आंदोलन के नाम पर देश में फैली अराजकता

अपनी जायज बात को मनवाने के लिए धरना-प्रदर्शन का भी उन्हें हक है। इसके बावजूद जनतंत्र की भावना को ठीक से समझना होगा

Update: 2020-11-06 02:22 GMT

नई दिल्ली। प्रजातंत्र में सभी को अपनी बात कहने का अधिकार है और अपनी जायज बात को मनवाने के लिए धरना-प्रदर्शन का भी उन्हें हक है। इसके बावजूद जनतंत्र की भावना को ठीक से समझना होगा क्योंकि अभी ज्यादा दिन नहीं हुए जब सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली के शाहीन बाग में सीएए के विरोध में लम्बे समय तक चले धरना-प्रदर्शन पर महत्वपूर्ण निर्णय दिया था। देश की सबसे बड़ी अदालत ने कहा था कि हम अपना हक मांगे, यह अधिकार है लेकिन उससे दूसरे का हक प्रभावित नहीं होना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट का आशय था कि शाहीन बाग में जो लोग सीएए के विरोध में धरना दे रहे थे, यह उनका संवैधानिक अधिकार है लेकिन उन्होंने रास्ता बंद करके दूसरों का हक बाधित किया, इसकी इजाजत उन्हें नहीं दी जा सकती। अब पंजाब और राजस्थान में जिस तरह से विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं उससे लगता है कि सुप्रीम कोर्ट की बात को न तो जनता ने सुना और न सरकार चलाने वाले ही उसको तरजीह दे रहे हैं। पंजाब में रेल की पटरी पर आंदोलनकारी बैठ गये तो केन्द्रीय रेलमंत्री ने मालगाड़ियों का आवागमन रोक दिया। आवश्यक सामान के साथ कोयले की आपूर्ति रुकी बिजली का उत्पादन घट गया। मतलब यह कि किसान आंदोलन के तहत लोगों ने करोड़ों जनता का हक बाधित किया है। इसी तरह अब राजस्थान में गुर्जर समुदाय के लोग आरक्षण के लिए आंदोलन कर रहे हैं। उन्होंने तो रेल की पटरियों पर बिस्तर लगाकर आराम फरमाना शुरू किया है। वहां डिस्को हो रहा है। शर्म तो इसलिए आती है कि वहां की अशोक गहलोत सरकार तमाशबीन बनकर अराजकता को बढ़ावा दे रही है। पंजाब और राजस्थान में आंदोलन के चलते 8 स्पेशल त्योहार ट्रेनें रद्द कर दी गयी हैं। इन आंदोलन करने वालों को दूसरे लोगों का हक बाधित करने के लिए क्या सजा नहीं मिलनी चाहिए?

पंजाब और राजस्थान में आंदोलन के कारण रेलवे ने 5 और 6 नवंबर को संचालित होने वाली 8 त्योहार स्पेशल ट्रेनों को रद्द कर दिया है। इसके साथ ही डिब्रूगढ़-लालगढ़-डिब्रूगढ़ ट्रेन का मार्ग परिवर्तन किया गया है। त्योहार स्पेशल ट्रेनों के रद्द होने से दिवाली पर दूरदराज से घर आने की उम्मीद लगाये बैठे लोगों के सपनों पर पानी फिर गया है। ये ट्रेनें रद्द होने से लोगों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ेगा। जिन ट्रेनों को रद्द किया गया है, उनमें 02422 जम्मूतवी-अजमेर प्रतिदिन 02421 अजमेर-जम्मूतवी प्रतिदिन 304888 बाड़मेर-ऋषिकेश प्रतिदिन 05 नवंबर को और 04887 ऋषिकेश-बाड़मेर प्रतिदिन 06 नवंबर को शामिल हैं। इसके अलावा 02471 श्रीगंगानगर-दिल्ली प्रतिदिन 05 और 06 नवंबर को 02472 दिल्ली-श्रीगंगानगर प्रतिदिन 05 और 06 नवंबर को 09611 अजमेर-अमृतसर द्वि-साप्ताहिक 05 नवंबर को 09614 अमृतसर-अजमेर द्वि-साप्ताहिक 06 नवंबर को रद्द रहेगी।

राजस्थान प्रदेश में गुर्जर आरक्षण आंदोलन 5 नवम्बर को पांचवें दिन भी लगातार जारी रहा। पटरियों बैठे गुर्जर समाज के प्रदर्शनकारी सभी मांगें नहीं माने जाने तक वहां से हटने को तैयार नहीं है। आंदोलन को विस्तार देने के लिये प्रदर्शनकारियों ने अब दिल्ली-मुंबई रेलवे ट्रैक पर पीलूपुरा में एक बार फिर पटरियों पर तम्बू तान दिया है। इस बीच सरकार से बातचीत के कई दौर होने के बाद भी अभी तक पूरी तरह से सहमति नहीं बन पाई है। लिहाजा आंदोलनकारियों ने आंदोलन जारी रखने का निर्णय किया है। आंदोलन के चलते पांचवें दिन भी दिल्ली मुंबई रेलमार्ग नहीं खुल पाया है। गुर्जर आंदोलनकारियों ने पटरियों पर सुबह-सुबह कचैरी और जलेबी का नाश्ता किया। आंदोलनकारी सुबह-शाम का खाना भी पटरियों पर बैठकर ही खा रहे हैं। इस प्रकार अन्य लोगों को कितनी ही परेशानी हो रही हो लेकिन आंदोलनकारी वहां पिकनिक मना रहे हैं। आंदोलन के कारण गत पांच दिन से करौली, सवाई माधोपुर, भरतपुर, धौलपुर और जयपुर के गुर्जर बाहुल्य इलाकों में इंटरनेट ठप है। इससे लोगों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। इंटरनेट बंद होने से पूर्वी राजस्थान के सभी जिलों में विद्यार्थियों की ऑनलाइन क्लासेज पूरी तरह से बंद है। इस बीच 6 नवम्बर से राजस्थान पुलिस कांस्टेबल की भर्ती परीक्षा होनी है। इस भर्ती में शामिल होने वाले अभ्यर्थी एडमिट कार्ड निकलवाने के लिये दर दर की ठोकरें खा रहे हैं। लेकिन नेट बंद होने से वे एडमिट कार्ड डाउनलोड नहीं करवा पा रहे हैं। दिल्ली-मुंबई रेल मार्ग बंद होने से लोगों की मुश्किलें बढ़ी हुई हैं। इंटरनेट के अभाव में व्यापारियों को भी ऑनलाइन लेनदेन में भारी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है।

वहीं आंदोलन से पहले इस मुद्दे पर गुर्जर समाज के दो फाड़ होने से आंदोलनकारी भी मायूस दिखाई दे रहे हैं। आंदोलन स्थल पीलूपुरा में उनके मुताबिक भीड़ नहीं जुट पा रही है। पटरियों पर आंदोलनकारियों के साथ गुर्जर आरक्षण संघर्ष समिति के संयोजक कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला के पुत्र विजय बैंसला डटे हुये हैं। वहीं कर्नल बैंसला दिन में एक बार आंदोलन स्थल पर आते हैं। वहां प्रदर्शनकारियों के साथ आंदोलन की समीक्षा और आगे की रणनीति बनाकर वापस अपने हिंडौन सिटी स्थित आवास चले जाते हैं।

बहरहाल राजस्थान में चल रहे गुर्जर आरक्षण आंदोलन में अभी तक पूर्ण समाधान की राह नहीं निकल पाई है। इसके कारण दिल्ली-मुंबई रेलवे ट्रैक लगातार पांचवें दिन भी बाधित रहा। बताया जा रहा है कि आंदोलनकारियों और सरकार के बीच चल रहे वार्ताओं के दौर में अधिकांश मांगों पर सहमति बन गई है, लेकिन बैकलॉग के मसले पर बात अटकी हुई है। आंदोलन के समाधान को लेकर सरकार के प्रशासनिक प्रतिनिधि वरिष्ठ आईएएस नीरज क. पवन दो दिन तक यहां डेरा डाले रखा था, लेकिन अब वे लौट गये हैं। नीरज के. पवन ने इन दो दिनों के दौरान पटरियों पर पड़ाव डालकर बैठे आंदोलनकारियों और उनकी अगुवाई कर रहे गुर्जर आरक्षण संघर्ष समिति के संयोजक कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला से मुलाकात कर सरकार का पक्ष रखा। वार्ताओं में अधिकांश बातों पर सहमति भी बनती दिखी, लेकिन वह समझौते में तब्दील नहीं हो पाई है। वार्ता के दौरान बैकलॉग को लेकर बात अटक गई है। दो दिन की मशक्कत के बाद नीरज के. पवन वापस लौट गये हैं।

पवन ने बताया कि अटकी हुई भर्तियों पर विस्तार से चर्चा हुई है। परेशान अभ्यर्थियों को जयपुर बुलाकर राहत दी जायेगी। बैकलॉग का भी सरकार अध्ययन करा रही है। उल्लेखनीय है कि आंदोलन के पहले ही दिन मंत्री अशोक चांदना को कर्नल बैंसला ने बुलावा भेजा था। इस पर चांदना तमाम जरूरी काम छोड़कर गुर्जरों के बीच पहुंचते, इससे पहले ही हिंडौन-बयाना स्टेट हाइवे पर गुर्जर आंदोलनकारियों ने चक्काजाम कर दिया। चांदना ने कर्नल से मिलने की कोशिश की तो उन्होंने दूसरे दिन सुबह आने को कहा और अपने बेटे विजय बैंसला से मिलने की हिदायत दी। चांदना विजय से मिलने निकले तो उनसे भी मुलाकात नहीं हो पाई। इस पर वो वापस लौट गए। बाद में नीरज पवन आये। उनकी दो दिन में कर्नल बैंसला से मुलाकात भी हुई। उन्होंने पटरी पर आकर मांगों को पूरी करने का भरोसा भी दिया, लेकिन कर्नल ऑर्डर की जिद पर कायम हैं। वहीं, विजय बैंसला का अड़ियल रुख भी वार्ता को नतीजे तक ले जाने में बाधक बना हुआ है। सरकार सख्त कदम उठाने से डरती है और जनता परेशान है। (हिफी)

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