सेना प्रमुख की फिक्र दूर करेगी एके-47 203

एके-47 203 को एके-47 राइफल्स का सबसे एडवांस्ड वर्जन माना जाता है यह अब इंडियन स्मॉल आर्म्स सिस्टम (इंसास) असॉल्ट राइफल की जगह लेगा

Update: 2020-09-05 14:41 GMT

नई दिल्ली। भारत और चीन के बीच जारी गतिरोध के दौरान लद्दाख के दो दिवसीय दौरे पर गए सेना प्रमुख मनोज मुकुंद नरवणे चिंतित हैं । उनकी चिंता का कारण भी वाजिब है। सेना प्रमुख ने कहा है कि वास्तविक नियंत्रण रेखा यानी एलएसी पर स्थिति गंभीर और नाजुक है। वहां की वर्तमान स्थिति पर सेना प्रमुख ने कहा, एलएसी पर स्थिति थोड़ी तनावपूर्ण है। स्थिति को ध्यान में रखते हुए, हमने अपनी सुरक्षा के लिए एहतियातन तैनाती ले ली है, ताकि हमारी सुरक्षा और अखंडता सुरक्षित रहे। हम किसी भी तरह की चुनौती का सामना करने के लिए पूरी तरह से तैयार हैं। उनकी चिंता को मास्को में मौजूद रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने भी महसूस किया। इसी के बाद भारत और रूस के बीच एके-47 203 राइफल्स को लेकर सौदा फाइनल हो गया है। अब इस राइफल को भारत में तैयार किया जाएगा। एके-47 203 को एके-47 राइफल्स का सबसे एडवांस्ड वर्जन माना जाता है। यह अब इंडियन स्मॉल आर्म्स सिस्टम (इंसास) असॉल्ट राइफल की जगह लेगा। 

इस सौदे पर एससीओ (शंघाई कॉर्पोरेशन ऑर्गनाइजेशन) समिट के दौरान सहमति बनी है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह इस समिट में हिस्सा लेने के लिए रूस में ही मौजूद थे। खास बात यह है कि पुराने मॉडल से उलट यह राइफल हिमालय जैसे ऊंचे इलाकों के लिए बेहतर होती है। चीन के साथ लद्दाख से लेकर पूर्वोत्तर राज्यों तक की सीमा पर जारी तनाव और हाल के वक्त में हुईं सैन्य झड़पों को देखते हुए यह डील एक अहम मौके पर की गई है। भारतीय सेना में इनसास का इस्तेमाल 1996 से चला आ रहा है और उसमें हिमालय की ऊंचाई पर जैमिंग और मैगजीन के क्रैक जैसी समस्याएं पैदा होने लगी हैं। रूस के सरकारी मीडिया के मुताबिक, इंडियन आर्मी को करीब 7 लाख से ज्यादा एके-47 203 राइफल की जरूरत है। इनमें से 1 लाख राइफल्स आयात की जाएंगी जबकि बाकी को देश में ही तैयार किया जाएगा।

रूस निर्मित एके 203 राइफल दुनिया की सबसे आधुनिक और घातक राइफलों में से एक है। हर राइफल की कीमत 1100 डॉलर हो सकती है। इसमें टेक्नॉलजी ट्रांसफर और उत्पादन इकाई स्थापित करने की कीमत शामिल है। एके-203 बेहद हल्की और छोटी है जिससे इसे ले जाना आसान है। इसमें 7.62 एमएम की गोलियों का इस्घ्तेमाल किया जाता है। इस राइफल को बनाने में आईआरपीएल में आर्डिनेंस फैक्ट्री बोर्ड (ओएफबी) की 50.5 फीसद की हिस्सेदारी होगी। इसमें रूस का क्लाशिनकोव ग्रुप 42फीसद का साझेदार होगा। वहीं, रूस की सरकारी एक्सपोर्ट एजेंसी रोसोबोरोन एक्सपोर्ट बाकी बचे 7.5फीसद की हिस्सेदार होगी। इस बेहतरीन 7.62, 39 एमएम की राइफल को उत्तर प्रदेश के अमेठी स्थित आर्डिनेंस फैक्ट्री में तैयार किया जाएगा। इस फैक्ट्री का उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले साल किया था।

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) की बैठक में हिस्सा लेने के लिए 2 सितम्बर को रूस की राजधानी मॉस्को पहुंचे थे। अधिकारियों ने बताया कि श्री सिंह ने रूसी पक्ष से भारत को एस-400 मिसाइल रक्षा प्रणालियों की समय पर आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए अनुरोध भी किया है। भारत को एस-400 सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल प्रणाली की पहली खेप की आपूर्ति 2021 के अंत तक निर्धारित है। सेना प्रमुख ने कहा, श्पिछले 2-3 महीनों से स्थिति तनावपूर्ण है, लेकिन हम चीन के साथ सैन्य और राजनयिक दोनों स्तरों पर लगातार बात कर रहे हैं। यह हो रहा है और भविष्य में भी जारी रहेगा। हमें पूरा यकीन है कि इस बातचीत के माध्यम से हमारे बीच जो भी मतभेद हैंय उसका हल निकाल लिया जाएगा। हम यह सुनिश्चित करेंगे कि यथास्थिति नहीं बदली जाए और हम अपने हितों की रक्षा करने में सक्षम हों। सेना प्रमुख ने कहा, श्जवानों का का मनोबल ऊंचा है और वे किसी भी स्थिति से निपटने के लिए पूरी तरह तैयार हैं। मैं फिर से दोहराना चाहूंगा कि हमारे अधिकारी और जवान दुनिया में सबसे अच्छे हैं और न केवल सेना बल्कि देश को भी गौरवान्वित करेंगे।

नरवणे ने कहा, मैंने लेह पहुंचने के बाद विभिन्न स्थानों का दौरा किया। मैंने अधिकारियों, जेसीओ से बात की और तैयारियों का जायजा लिया। जवानों का मनोबल ऊंचा है और वे सभी चुनौतियों से निपटने के लिए तैयार हैं। बता दें नरवणे ने गत 3 सितम्बर को लद्दाख के दो दिवसीय दौरे पर पहुंचे थे।आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि पैंगोंग झील के दक्षिणी तट के आस-पास यथास्थिति को बदलने के चीन के हालिया प्रयासों के मद्देनजर क्षेत्र में सुरक्षा स्थिति की व्यापक समीक्षा करने के मकसद से सेना प्रमुख का यह दौरा हुआ। इससे पहले प्रमुख रक्षा अध्यक्ष (सीडीएस) जनरल बिपिन रावत ने जोर दिया कि भारत के सैन्य बल चीन की आक्रामक गतिविधियों से 'सबसे बेहतर एवं उचित तरीकों' से निपटने में सक्षम हैं।जम्मू-कश्मीर के लद्दाख में स्थित पैंगोंग सो झील के पास हुई भारत और चीन की सेनाओं के बीच झड़प के बाद जिस तरह से भारतीय सेना ने चीन के सैनिकों को खदेड़ा है उसके बाद से चीन सीमा पर घुसपैठ के साथ अपनी सेना की ताकत और बढ़ाने में जुट गया है। खबर है कि पैंगोंग झील के दक्षिणी किनारे पर चीनी टैंकों और पैदल सैनिकों की संख्या को तेजी से बढ़ाया जा रहा है। चीन अपनी तोपों को वास्तविक नियंत्रण रेखा के आसपास ही तैनात करने में जुटा हुआ है। पिछले छह दिनों में दो बार घुसपैठ के प्रयास भी हुए हैं।

सूत्रों के मुताबिक दक्षिणी पैंगोंग में चीन की सीमा के अंदर सैनिकों की आवाजाही बढ़ गई है। चीन की सीमा में आने वाले मोल्डो से कुछ ही दूरी पर अतिरिक्त टैंक दिखाई दिए हैं। हालांकि चीनी सेना की हर हरकत पर भारतीय सैनिक नजर बनाए हुए हैं।

बता दें कि थाकुंग से लेकर मुकपुरी के पार तक कई चोटियां हैं। चीन की सैनिक गतिविधि को देखते हुए भारतीय सेना की संख्या भी बढ़ाई जा रही है। सीमा पर अतिरिक्त बलों को तैनात किया जा रहा है ताकि एलएसी के ऊंचाइयों वाले इलाके में उसकी मौजूदगी और मजबूत हो सके। सैनिकों के हाथ में एके-47 203 राइफल्स होंगी, जिनको लेकर रूस से सौदा फाइनल हो गया है। अब इस राइफल को भारत के उत्तर प्रदेश में तैयार किया जाएगा। एके-47 203 को एके-47 राइफल्स का सबसे एडवांस्ड वर्जन माना जाता है। यह अब इंडियन स्मॉल आर्म्स सिस्टम (इंसास) असॉल्ट राइफल की जगह लेगी। इस प्रकार यूपी के अमेठी में लगी आर्म्स फैक्ट्री चीन की सीमा की रखवाली में अपनी भूमिका निभाने जा रही है।

(अषोक त्रिपाठी-हिन्दुस्तान समाचार फीचर सेवा)

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