क्या इस तरह हो पाएगा बाॅलीवुड नशे से मुक्त
बाॅलीवुड में ड्रग्स पर जो विवाद सुशांत सिंह की मौत के बाद रिया चक्रवर्ती से होते हुए कंगना तक पहुंचा था।
लखनऊ। बाॅलीवुड में ड्रग्स पर जो विवाद सुशांत सिंह की मौत के बाद रिया चक्रवर्ती से होते हुए कंगना तक पहुंचा था। अब उसकी गूंज संसद में भी सुनाई देने लगी है। 15 सितंबर को राज्यसभा में मानसून सत्र के दौरान समाजवादी पार्टी की सांसद जया बच्चन और भाजपा सांसद रवि किशन व एक्ट्रेस कंगना रनोट आमने सामने आ गए हैं। इतना ही नहीं 16 सितंबर को उत्तर प्रदेश फिल्म विकास परिषद के चेयरमैन और हास्य अभिनेता राजू श्रीवास्तव ने ड्रग माफिया पर रोक लगाने के लिए गोरखपुर के सांसद रवि किशन को पत्र लिखा है। राजू ने लिखा, ''बॉलीवुड में चल रहे ड्रग्स लेने के प्रचलन से बॉलीवुड ही नहीं बल्कि पूरा देश नशे में डूबता जा रहा है क्योंकि बॉलीवुड के अभिनेताओं को देश के लोग अपना रोल मॉडल मानते हैं।'' राजू ने लिखा, ''उनके (बॉलीवुड स्टार्स) के द्वारा जो भी क्रियाएं की जाती हैं, देशभर के लोग उन्हें अपनाते हैं। इसलिए बॉलीवुड में चल रहे ड्रग्स के प्रचलन को रोकने की सख्त जरूरत है। मेरा भारत सरकार एवं राज्य सरकार से यही अनुरोध है कि बॉलीवुड से ड्रग्स माफियाओं को जल्द से जल्द प्राथमिकता के साथ जड़ से खत्म करने की जरूरत है।''
राज्यसभा में जया बच्चन ने किसी का भी नाम लिए बिना कहा, ''फिल्म इंडस्ट्री में नाम कमाने वाले उसी को गटर कह रहे हैं। मुझे उम्मीद है कि सरकार ऐसे लोगों से कहे कि वे इस तरह की भाषा का इस्तेमाल नहीं करें।'' इस पर कंगना ने कहा कि आपका बेटा फंदे पर झूला होता तो भी क्या आप यही बयान देतीं। रवि किशन ने कहा कि जयाजी से ऐसी उम्मीद नहीं थी। जया बच्चन ने कहा, ''कुछ लोगों की वजह से आप पूरे इंडस्ट्री की छवि को धूमिल नहीं कर सकते। मुझे शर्म आती है कि कल लोकसभा में हमारे एक सदस्य, जो फिल्म उद्योग से हैं, उन्होंने इसके खिलाफ बोला। यह शर्मनाक है। आप जिस थाली में खाते हैं उसमें छेद नहीं कर सकते हैं।'' दरअसल, जया का यह बयान सुशांत की मौत के बाद बॉलीवुड के साथ कंगना रनोट का विवाद और भाजपा सांसद रवि किशन के लोकसभा में दिए गए बयान से जोड़ कर देखा जा रहा है। 'जया जी क्या ये बात आप तब कह पातीं, जब मेरी जगह आपकी बेटी श्वेता को पीटा जाता, ड्रग्स दी जाती और युवावस्था में शोषण होता। क्या ये बात आप तब कह पातीं, यदि अभिषेक ने लगातार हैरेसमेंट की बात की होती और आप उन्हें एक दिन लटका पातीं। हमारे साथ सहानुभूति रखिए।'
कंगना ने एक और ट्वीट किया, ''ये मानसिकता कि गरीब को रोटी मिल गई, बस यही काफी है, इसे बदलना चाहिए। गरीब को रोटी के साथ सम्मान और प्यार चाहिए। मेरे पास ऐसे सुधारों की पूरी लिस्ट है। मैं चाहती हूं कि केंद्र सरकार कर्मचारियों और जूनियर आर्टिस्ट्स की बात सुने। किसी दिन मैं प्रधानमंत्री से मिलकर इस बारे में चर्चा करूंगी।'' जया बच्चन के बयान पर रवि किशन ने मंगलवार को कहा, मुझे उम्मीद थी कि जयाजी मेरा समर्थन करेंगी। इंडस्ट्री में सभी ड्रग्स नहीं लेते, लेकिन जो लोग लेते हैं, वे दुनिया की सबसे बड़ी फिल्म इंडस्ट्री को खत्म करने की योजना का हिस्सा हैं। जब मैंने और जयाजी फिल्म इंडस्ट्री को ज्वाइन किया था तब हालात ऐसे नहीं थे, लेकिन आज इंडस्ट्री को बचाने की जरूरत है।
रवि किशन के संसद में बॉलीवुड में ड्रग्स के मुद्दे उठाने को लेकर अब बाॅलीवुड फिल्ममेकर अनुभव सिन्हा ने भी ट्वीट कर कहा- ''बड़ा आभारी हूं भाई रवि किशन का कि संसद में बॉलीवुड और नशे पर बातचीत की। थोड़ी बात भोजपुरी फिल्म इंडस्ट्री की भी करें। पिछले तीस साल से इस भाषा और उस कला के सीने पर नंगा नाच करके एक पूरी पीढ़ी में जो अश्लीलता का जहर घोला गया है। उस पर भी बात होनी है। जिम्मेदार हैं वो''। दरअसल, 14 सितंबर को भाजपा सांसद रवि किशन ने लोकसभा में ड्रग्स और बॉलीवुड कनेक्शन का मुद्दा उठाया था। उन्होंने शून्यकाल के दौरान कहा था कि पाकिस्तान और चीन से ड्रग्स की तस्करी हो रही है। यह देश की युवा पीढ़ी को बर्बाद करने की साजिश है। उन्होंने कहा कि हमारे फिल्म उद्योग में इसकी पैठ हो चुकी है और एनसीबी इसकी जांच कर रही है। उन्होंने कहा कि मेरी मांग है कि इस मामले में सख्त कार्रवाई की जाए।
फिल्म अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की मौत की जांच अब नशे की अंधेरी दुनिया तक पहुंच गई है। ड्रग्स मामले में पहले रिया चक्रवर्ती के भाई शौविक चक्रवर्ती और बाद में रिया खुद सलाखों के पीछे पहुंच गई हैं। नशे का मामला आने के बाद इन दिनों कई मामलों को लेकर सुर्खियां बटोर रहीं कंगना रनौत ने भी कह दिया कि बॉलीवुड के 99 फीसद लोग ऐसे नशीले पदार्थों का सेवन करते हैं तो दूसरी तरफ रवीना टंडन ने कंगना को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि टोकरी में कुछ गंदे सेब सबको गंदा नहीं कर सकते। बॉलीवुड में ड्रग्स के मामलों ने कई बार तूल पकड़ा है, हालांकि आधिकारिक तौर पर किसी तरह की गंभीर जांच में कुछ नहीं साबित हुआ है। वैसे फिल्म जगत की कुछ हस्तियों को ड्रग्स के चलते जेल जाना पड़ा है तो कई हस्तियों ने ड्रग्स रिहैबिलिटेशन में अपना इलाज करवाया है। अभिनेता संजय दत्त का ड्रग्स लेना तो बॉलीवुड सितारों में सबसे चर्चित मामला रहा है। उनके पिता सुनील दत्त उन्हें रिहैब सेंटर ले गए जिसके बाद संजय दत्त ने बॉलीवुड में वापसी की थी। संजय दत्त की जिंदगी पर बनी फिल्म 'संजू' में भी इसका जिक्र किया गया है।
राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो की मानें तो भारत में 2007 से लेकर 2017 तक 10 सालों में ड्रग्स से संबंधित 25,000 से ज्यादा आत्महत्याएं हुई थीं। इसमें 74 फीसद मामले पंजाब से हैं। खुदकुशी के कुल मामलों में से 70 फीसद मामले पुलिस तक नहीं पहुंचते हैं। संयुक्त राष्ट्र के मुताबिक 2017 में पूरी दुनिया में नशे की वजह से 2.6 लाख लोगों की मौत हुई थी। देश के बच्चों और युवाओं में नशे का सेवन बढ़ना बड़ी समस्या बन चुका है। फरवरी 2019 में, अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान, नई दिल्ली के नेशनल ड्रग डिपेंडेंस ट्रीटमेंट सेंटर ने अपनी रिपोर्ट में नशीले पदार्थ के उपयोग की जानकारी दी है। इसके मुताबिक भारत में 10 से 75 वर्ष के बीच के करीब 14.6 फीसद लोग (करीब 16 करोड़ लोग) शराब पीते हैं। सबसे ज्यादा शराब का उपयोग छत्तीसगढ़, त्रिपुरा, पंजाब, अरुणाचल प्रदेश और गोवा में होता है। 2018 में करीब 2.8 फीसद भारतीयों (3.1 करोड़) ने भांग उत्पादों का उपयोग किया है। इस नशे का सबसे ज्यादा उपयोग उत्तर प्रदेश, पंजाब, सिक्किम, छत्तीसगढ़ और दिल्ली में होता है। 2.06 प्रतिशत लोगों ने अफीम का उपयोग किया है, जबकि 0.55 फीसद भारतीयों ने ओपिओइड का सेवन किया है। पूरे देश में करीब 8.5 लाख लोग ड्रग्स इंजेक्ट करते हैं। भारत के घरेलू बाजार में ड्रग्स की खपत चिंताजनक रूप से बढ़ रही है। पिछले कुछ वर्षों में भारत में ड्रग्स का बाजार 455 फीसदी बढ़ा है। अफगानिस्तान, पाकिस्तान, म्यांमार और नेपाल से हेरोइन, कोकेन और मॉर्फीन भारत के रास्ते दुनिया भर में सप्लाई की जाती है। भारत में नशाखोरी की समस्या कितनी बड़ी है इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी अपने 'मन की बात' कार्यक्रम तक में इसे मुद्दा बना चुके हैं। निजी संस्थाओं और सरकार भी नशामुक्ति के लिए नियमित जागरुकता अभियान चला रहे हैं। बावजूद जिस तरह से नशाखोरी के मामले देश के विभिन्न राज्यों में देखे जा रहे हैं, वह गंभीर चिंता का विषय हैं।
(नाज़नींन-हिन्दुस्तान समाचार फीचर सेवा)