अमीर देशों ने कोरोना वैक्सीन पर भी किया कब्जा
कोरोना की वैक्सीन नजदीकी भविष्य में बन भी गई तो इस असमानता से इसके गरीब राष्ट्रों में पहुंचने की उम्मीद धूमिल नजर आती है
नई दिल्ली। कोरोना वैक्सीन को लेकर दर्जनों दावों के बावजूद एक भी मुकम्मल वैक्सीन बाजार में अबतक नहीं आ पाई है। लेकिन दुनिया के अमीर देशों ने इस वैक्सीन के बनने से पहले ही कोरोना वैक्सीन की 2 अरब डोज खरीद ली हैं। अगर कोरोना की वैक्सीन नजदीकी भविष्य में बन भी गई तो इस असमानता से इसके गरीब राष्ट्रों में पहुंचने की उम्मीद धूमिल नजर आती है।
ब्रिटेन की पत्रिका नेचर जर्नल में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक अमेरिका ने 15 अगस्त तक कोरोना की वैक्सीन बना रही 6 कंपनियों ने 800 मिलियन डोज खरीद ली थी। इसके अलावा इसने 1 अरब वैक्सीन खरीदने का विकल्प खुला रखा है। अगर ब्रिटेन की बात करें तो इसने 340 मिलियन कोरोना की डोज खरीद रखी है। आबादी के हिसाब से ब्रिटेन ने हर एक नागरिक के लिए 5 वैक्सीन खरीद रखी है। यूरोपियन यूनियन के देश सामूहिक रूप से कोरोना की वैक्सीन खरीद रहे हैं। जापान ने भी पहले ही कोरोना वैक्सीन का ऑर्डर कर रखा है।
नेचर जर्नल की रिपोर्ट के अनुसार, ऑक्सफोर्ड और आस्ट्रा जेनिका का कोरोना वैक्सीन सबसे पहले आने की संभावना है। आकलन के मुताबिक कंपनी अगले साल के अंत तक 2।94 अरब खुराक तैयार करेगी। इस उत्पादन में यूरोप, अमेरिका, ब्रिटेन, जापान ने पहले ही अपनी बुकिंग करा ली है। यहां निम्न और मध्य आय वर्ग के देशों के लिए बहुत कम हिस्सा बच गया है। नोवावैक्स नाम की कंपनी भी अगले साल तक कोरोना के 1।35 अरब डोज बनाने पर विचार कर रही है। इसमें से अमेरिका और ब्रिटेन ने 16 करोड़ टीके पहले ही बुक कर लिए हैं। फाइजर के टीके में अमेरिका, जापान और ब्रिटेन ने 23 करोड़ कोरोना वैक्सीन की बुकिंग कर ली है। मॉडर्ना के टीके में अमेरिका ने 10।45 करोड़, जॉनसन एंड जॉनसन के टीके में यूरोप, अमेरिका एवं ब्रिटेन ने 33 करोड़, स्नोफी के टीके में यूरोप, ब्रिटेन और अमेरिका ने 46 करोड़ की बुकिंग कर ली है।