अब इम्युनिटी बूस्ट करेगी एमपी की आयुर्वस्त्र साड़ी
जो महिलाओं को खूबसूरत दिखाने के साथ ही उनके लिए इम्युनिटी बूस्टर का काम भी करेंगी।
भोपाल। यकीन करना थोड़ा मुश्किल जरूर है लेकिन जो चीज सामने है, उससे इंकार कैसे किया जा सकता है! फिलहाल मध्यप्रदेश के दो शहरों भोपाल और इंदौर में लोगों को कुछ इसी तरह का अनुभव हो रहा है, जो उनके लिए अजूबे सरीखा है। इसकी वजह है मध्य प्रदेश का हथकरघा उद्योग, क्योंकि इस उद्योग ने ऐसी साड़ियों का निर्माण किया है, जो महिलाओं को खूबसूरत दिखाने के साथ ही उनके लिए इम्युनिटी बूस्टर का काम भी करेंगी।
मध्यप्रदेश हथकरघा एवं हस्तशिल्प निगम ने साड़ी के निर्माण में उस प्राचीन पद्धति का उपयोग करना शुरू किया है, जिसे कपड़े की गुणवत्ता बढ़ाने के लिए ऋषि-मुनियों के समय में उपयोग किया जाता था। आज के समय में इस तकनीक का उपयोग कपड़ों को डाई करने और कपड़ों का रंग पक्का करने के लिए भी किया जाता है। एमपी के हथकरघा उद्योग द्वारा तैयार की जा रही इन साड़ियों को बनाने के लिए हर्बल औषधियों और जड़ी-बूटियों का उपयोग किया जा रहा है। इस कारण इन साड़ियों को पहनने पर महिलाओं के शरीर पर फंगल, बैक्टीरियल और वायरल इंफेक्शन नहीं पनप पाएंगे। साड़ियों को बनाने के लिए सबसे पहले लौंग, बड़ी इलायची, काली मिर्च, कुछ नैचरल हर्ब और अन्य मसालों का मिश्रण तैयार किया जाता है। तैयार पाउडर को सूती कपड़े की पोटली में बांधकर, उसे करीब दो दिन पानी में भिगोकर रखा जाता है।
इसके बाद इस पानी को बड़ी भट्टी पर खौलाते हुए इसकी भाप में उस कपड़े को कई घंटों तक पकाया जाता है, जिससे साड़ियां बननी हैं। ताकि कपड़े के बारीक से बारीक रेशे तक भाप के रूप में औषधियों का अर्क पहुंच सके। इस विधि से तैयार की गई साड़ियों में स्किन इम्युनिटी बढ़ाने की क्षमता होती है। जैसा कि हम आपको बता चुके हैं कि इस कपड़े से बनी साड़ियां ऐंटिफंगल, ऐंटिवायरल और ऐंटिबैक्टीरियल मटीरियल के तौर पर बिहेव करती हैं। ये साड़ियां खासतौर पर कोरोना काल के दौर में रोगों से बचाने में सहायक रह सकती हैं। क्योंकि यात्रा के दौरान या किसी से मिलने के दौरान इन साड़ियों को पहनने से कोरोना वायरस आपकी साड़ी का उपयोग करियर के रूप में नहीं कर पाएगा। (हिफी)