महामारी में ओटीटी प्लेटफॉर्म को लगे पंख

बिना केबल या सेटेलाइट प्रोवाइडर के हाई स्पीड इंटरनेट से टीवी और फिल्म कंटेंट देखने की सुविधा देने वाले सिस्टम को ओवर द टॉप (ओटीटी) प्लेटफॉर्म कहा जाता है

Update: 2020-06-19 12:31 GMT

नई दिल्ली। अस्सी और नब्बे के दशक में दूरदर्शन व डीडी2 का चलन था। तब टेलीविजन पर 24 घंटे का प्रसारण तो नहीं होता था लेकिन जो भी कार्यक्रम आते थे वो बच्चे, बड़े, महिलाओं और बुजुर्गों को ध्यान में रखकर बनाए जाते थे, एक ही चैनल पर सब कुछ देखने को मिल जाता था। जैसे-जैसे वक्त बीता से प्राइवेट चैनलों की भरमार हो गई यह बात लगभग 2000 के आस-पास की है जहां हर वर्ग और समुदाय के लिए उनकी पसंद के हिसाब से अलग-अलग चैनल हो गए जिसका जो मन था वो उसे देख सकता था। ऐसे में अगर मौजूदा समय की बात करें तो आज लोग मनोरंजन के लिए टीवी पर चैनलों पर ही निर्भर नहीं हैं बल्कि मनोरंजन के लिए मोबाइल पर उनके पास ओटीटी यानी ओवर द टॉपप्लेटफॉर्म उपलब्ध हंै। ऐसे में यह कहना अतिशयोक्ति नहीं होगी कि आज हर हाथ में टीवी है।

बिना केबल या सेटेलाइट प्रोवाइडर के हाई स्पीड इंटरनेट से टीवी और फिल्म कंटेंट देखने की सुविधा देने वाले सिस्टम को ओवर द टॉप (ओटीटी) प्लेटफॉर्म कहा जाता है। भारत में प्रमुख ओटीटी प्लेटफॉर्म हॉटस्टार, अमेजन प्राइम, नेटफ्लिक्स, वूट, जी5, सोनी लाइव है। ऐसे में आपको बता दें कि टेलीविजन पर आने वाले कार्यक्रमों की जगह अब वेब सीरीज ने ले ली हैं लेकिन ओटीटी प्लेटफॉर्म अब कुछ खास हो गए हैं और वजह है फिल्मों का रिलीज होना। देश भर में कोरोना वायरस फैलने के कारण सिनेमाघरों को बंद कर दिया गया है। फिल्म की रिलीज के साथ, इस बात पर चर्चा हुई है कि क्या भविष्य में ओटीटी प्लेटफॉर्म थिएटर का विकल्प बन जाएगा।

कोरोना वायरस की वजह से लगे लॉकडाउन के चलते बॉलीवुड ने भी अब अपनी फिल्में इन्हीं ओटीटी प्लेटफॉर्म में रिलीज करने का निर्णय ले लिया हैं। बीते शुक्रवार को ओटीटी प्लेटफॉर्म एमेजॉन प्राइम वीडियो पर रिलीज हुई सुजित सरकार की फिल्म गुलाबो सिताबो ने सीधे ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर ही नई फिल्मों की रिलीज का रास्ता तैयार कर दिया है। खबरांे की माने तो अक्षय कुमार की फिल्म लक्ष्मी बम, लंबे समय बाद महेश भट्ट की बतौर निर्देशक वापसी वाली फिल्म सड़क-2 और अजय देवगन की फिल्म भुजः द प्राइड ऑफ इंडिया भी अगले कुछ महीनों में डिज्नी प्लस हॉटस्टार प्लेटफॉर्म पर रिलीज हो सकती हैं। वहीं नेटफ्लिक्स ने गुंजन सक्सेनाः द कारगिल गर्ल के डिजिटल प्रसारण अधिकार हासिल कर लिए हैं। इस फिल्म के निर्माता करण जौहर ने पिछले हफ्ते जाह्नवी कपूर की मुख्य भूमिका वाली इस फिल्म के ओटीटी अधिकार की पुष्टि भी की। जौहर के साथ उनकी आगामी फिल्म शेरशाह को लेकर भी बात चल रही है। आज के समय में लोग टीवी यानि टेलीविजन के स्थान पर स्मार्ट टीवी, स्मार्ट फोन एवं टैबलेट जैसे डिवाइस खरीद रहे हैं इसका मुख्य कारण ओटीटी प्लेटफॉर्म ही हैं, क्योकि लोग अब इन डिवाइस पर ओटीटी को कनेक्ट करके उसमें ये शोज देख लेते हैं।

फिल्म उद्योग के आंकड़ों के अनुसार, देश भर में किसी भी फिल्म की रिलीज के लिए लगभग 9600 स्क्रीन उपलब्ध हैं। दूसरी ओर, अगर ओटीटी प्लेटफॉर्म की बात करें, तो नेटफ्लिक्स के अकेले भारत में 11 मिलियन ग्राहक हैं, जबकि दुनिया भर के 190 से अधिक देशों में 18.1 मिलियन भुगतान करने वाले उपयोगकर्ता हैं। वहीं, अमेजन प्राइम में 200 से अधिक देशों तक पहुंच का दावा किया गया है। ओटीटी प्लेटफॉर्म को पिछले तीन महीनों में लॉकडाउन से सबसे अधिक फायदा हुआ। यह मनोरंजन का सबसे बड़ा माध्यम बनकर उभरा है। यदि आप 5 फरवरी से 29 मार्च 2020 तक लॉकडाउन के दौरान के आंकड़ों को देखें, तो ओटीटी में बिताए गए समय के मामले में नेटफ्लिक्स अकेले 73 फीसद की दर से बढ़ी है। अमेजन प्राइम वीडियो 47 फीसद और हॉटस्टार 30 फीसद बढ़ा। मैक्स प्लेयर 27 फीसद बढ़ा। 2019 में, ओटीटी प्लेटफॉर्म सब्सक्रिप्शन से कुल राजस्व 1,200 करोड़ रुपये था। इसके 2024 तक 7,400 करोड़ रुपये तक पहुंचने की उम्मीद है। जी फाइव इंडिया के सीईओ तरुण कटियाल के मुताबिक, लॉकडाउन के दौरान ऐप डाउनलोड 41 फीसद बढ़ गए।

इंटरनेट की पहुंच और तेज स्पीड देश में वीडियो कंटेंट देखने के तरीके को तेजी से बदल रही है। तेजी से बढ़ते ओटीटी प्लेटफॉर्म डीटीएच ऑपरेटर्स को मजबूत चुनौती दे रहे हैं। इंटरनेट की बढ़ती पहुंच, नेट स्पीड, स्मार्टफोन की बढ़ती संख्या की वजह से ओटीटी प्लेटफॉर्म तेजी से लोकप्रिय हो रहे हैं। मोबाइल के माध्यम से सफर में या घर से बाहर कहीं भी वीडियो कंटेंट देखने की सुविधा ने इसके इस्तेमाल को काफी बढ़ा दिया है। मो-मैजिक ने जून से अगस्त के बीच 7500 यूजर के बीच यह सर्वे किया जिसके मुताबिक देश में 55 फीसद लोग टीवी शो, फिल्में, स्पोर्ट और दूसरे कंटेंट ओटीटी प्लेटफॉर्म (ओवर द टॉप) जैसे, हॉटस्टार, अमेजन प्राइम, नेटफ्लिक्स पर देख रहे हैं। 41 फीसद लोग कंटेंट देखने के लिए डीटीएच प्लेटफॉर्म जैसे, टाटा स्काई, डिश टीवी का इस्तेमाल करते हैं। सर्वे के मुताबिक भारत में ओटीटी मार्केट 2023 तक 3.60 लाख करोड़ रुपए तक पहुंच जाएगा। बोस्टन कंसल्टिंग ग्रुप की रिपोर्ट के अनुसार 2018 तक यह मार्केट 35 हजार करोड़ रुपए का था। इंटरनेट की बढ़ती स्पीड और स्मार्टफोन यूजर बढ़ने की वजह से भारत में ओटीटी मार्केट 15 फीसद की तेज रफ्तार से बढ़ रहा है। 2025 तक इसका वैश्विक मार्केट 17 फीसदी की रफ्तार से बढ़कर 240 लाख करोड़ रुपए तक पहुंच जाएगा।

पिछले कई वर्षों से विदेशी ओटीटी प्लेटफॉर्म भारत में हिंदी भाषाई दर्शकों के बीच अपनी पैठ जमाने की कोशिश में थे। उन्हें बड़ी कामयाबी अनुराग कश्यप और विक्रमादित्य मोटवानी के निर्देशन में आई 'सेक्रेड गेम्स' से मिली जो एक उपन्यास पर आधारित थी। कोरोना वायरस के चलते लाॅकडाउन में ओटीटी प्लेटफॉर्म मनोरंजन का एक नया युग बन कर उभरा है लेकिन मनोरंजन के नाम पर ओटीटी प्लेटफॉर्म पर वेब सीरीजों के माध्यम से फूहड़ता भी परोसी जा रही है। इसमें कोई दो राय नहीं है कि क्रियटिविटी के नाम पर प्रोड्यूसर्स लिबर्टी लेकर पैसे छाप रहे हैं और व्यूअर्स भी फ्रीडम ऑफ एडल्टहुड के नाम पर वेबसीरीज पर परोसी जा रही फूहड़ता और गाली-गलौज को जायज मानते हैं। ओटीटी प्लेटफार्म पर परोसे जाने वाले कंटेंट और विजुअल्स अभी सेंसर मुक्त हैं। वेब सीरीज में दिखाए जाने वाले बोल्ड और गाली-गलौज के खिलाफ कुछ एनजीओ और संस्थाओं ने कोर्ट का रूख जरूर किया, लेकिन कोई नियमन जैसी व्यवस्था ओटीटी प्लेटफार्म के लिए नहीं होने से कोर्ट ने याचिका को सुनने से इनकार कर दिया है। हालांकि काफी हो-हल्ला मचने के बाद ओटीटी प्लेटफार्म पर बढ़ती फूहड़ता और गाली-गलौज वाले सामग्रियों के खिलाफ विरोध के बाद सूचना और प्रसारण मंत्रालय ऑनलाइन ओटीटी कंटेंट के सर्टिफिकेशन की तैयारी कर रही है।

ओटीटी प्लेटफॉर्म की सीरीज में यकीनन बेवजह गालियां ठूंसी जा रही हैं। संवादों में संबोधन और विशेषण के लिए गालियों का चलन हो गया है। लेखकों और निर्देशकों को दृश्य और किरदार को प्रभावशाली दिखाने के लिए यह आसान तरीका लगता है। वेब सीरीज में अभी मुख्यरूप से अपराध, हिंसा और सेक्स कंटेंट पर जोर दिया जा रहा है, कामयाब सीरिजों पर नजर डालें तो जाहिर हो जाएगा कि दर्शक भी यही पसंद कर रहे हैं। वेब सीरीज के दर्शकों ने इसे सामान्य मान लिया है। लेखक, निर्माता और निर्देशक इससे बचें तो बेहतर होगा। सेक्स, हिंसा और गाली- गलौज की अधिकता कहीं सचमुच पाबंदी और नियंत्रण की स्थिति न पैदा कर दे। अगर ऐसा हुआ तो वेब सीरीज भी फिल्मों की तरह सीबीएफसी जैसी किसी संस्था की निगरानी में आ जाएंगे।

(नाजनीन-हिन्दुस्तान समाचार फीचर सेवा)

Tags:    

Similar News