म्यांमार सेना ब्रिटेन के पूर्व राजदूत समेत हजारो कैदियों को करेगी.....

उन्होंने बताया कि फरवरी 2021 में सुश्री आंग सान सू की की लोकतांत्रिक रूप से निर्वाचित सरकार को उखाड़ फेंका था;

Update: 2022-11-17 07:46 GMT

यांगून। म्यांमार की सेना ब्रिटेन के पूर्व राजदूत, एक जापानी फिल्म निर्माता और देश के अपदस्थ नेता के एक ऑस्ट्रेलियाई सलाहकार सहित छह हजार कैदियों को रिहा करेगी। बीबीसी द्वारा गुरुवार को जारी एक रिपोर्ट में यह जानकारी दी गयी। बीबीसी ने बताया कि पूर्व राजनयिक विक्की बोमन और टोरू कुबोता को इस साल की शुरुआत में जेल में डाल दिया गया था, जबकि सीन टर्नेल को 2021 तख्तापलट के तुरंत बाद हिरासत में लिया गया था। सैन्य जुंटा ने कहा (जिसने 2021 में सत्ता पर कब्जा करने के बाद से 16 हजार से अधिक लोगों को गिरफ्तार किया है) कि कैदियों को माफी म्यांमार राष्ट्रीय दिवस के अवसर पर दी गयी है।

उन्होंने बताया कि फरवरी 2021 में सुश्री आंग सान सू की की लोकतांत्रिक रूप से निर्वाचित सरकार को उखाड़ फेंका था जिसके बाद, पूरे देश में भारी विरोध और व्यापक प्रतिरोध आंदोलन छिड़ गया था। राजनयिक बोमन ने 2002 और 2006 के बीच म्यांमार में ब्रिटेन के दूत के रूप में सेवा की और अपनी गिरफ्तारी के समय यांगून स्थित म्यांमार सेंटर फॉर रिस्पॉन्सिबल बिजनेस (एमसीआरबी) चला रहे थे। बीबीसी ने कहा कि इस बीच, टर्नेल को फरवरी 2021 में यंगून में हिरासत में लिया गया था, सेना द्वारा अपना तख्तापलट शुरू करने के कुछ दिनों बाद, और आधिकारिक गोपनीयता अधिनियम के तहत तीन साल के लिए जेल में डाल दिया गया था।

वह विपक्षी नेता आंग सान सू की के करीबी सलाहकार थे, जिन्हें उनके तख्तापलट के बाद से कई आरोपों में 20 साल से अधिक जेल की सजा सुनाई गई है। वृत्तचित्र निर्माता टोरू कुबोता को जुलाई में यांगून में एक सरकार विरोधी रैली के पास गिरफ्तार किया गया था। उन्हें राजद्रोह के आरोप में और इलेक्ट्रॉनिक संचार कानून का उल्लंघन करने के लिए 10 साल की जेल की सजा सुनाई गई थी। फिल्म निर्माता साइट फिल्म फ्रीवे के अनुसार, "निर्माता कुबोता ने अपना करियर तब शुरू किया, जब वह वर्ष 2014 में जापान में एक रोहिंग्या शरणार्थी से मिले, और बाद में म्यांमार में शरणार्थियों और जातीय मुद्दों के बारे में कई फिल्में बनाईं। म्यांमार में सेना पर सत्ता पर कब्जा करने के बाद से बड़े पैमाने पर मानवाधिकारों के उल्लंघन का आरोप लगाया गया है। निगरानी समूह असिस्टेंस एसोसिएशन फॉर पॉलिटिकल प्रिजनर्स के अनुसार, तख्तापलट के बाद से सेना द्वारा 2,400 से अधिक लोग मारे गए हैं।

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