दीर्घकालीन व्यवस्थाएं करनी होगी,यह कोरोना का उपचार नहीं : अखिलेश यादव

अखिलेश यादव ने सरकार का ध्यान कोरोना आपदा के पश्चात् उत्पन्न होने वाले प्रभावों के बारे में भी सावधान ‌‌‌किया ।

Update: 2020-04-06 04:55 GMT

लखनऊ समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कहा है कि कोरोना वायरस का संक्रमण तमाम प्रयासों के बावजूद अभी फैलता ही जा रहा है। ऐसे में अब दीर्घकालीन व्यवस्थाएं करनी होगी। ताली-थाली के शोर या दिया-टार्च जलाकर रोशनी जैसी प्रतीकात्मक कर्मकाण्डों से मनोरंजन भले हो, वह कोरोना का उपचार नहीं है। गरीबों के घरों में चूल्हों की आग ठण्डी न हो, बच्चे दूध के बिना भूखे न सोएं और नौजवानों की आंखो में भविष्य का धुंध न पनपे इस ओर प्रधानमंत्री  को तत्काल ध्यान देना चाहिए।

इस समय स्वास्थ्य सेवाओं पर विशेष ध्यान देना होगा। देश-प्रदेश की विशाल आबादी के जीवनयापन के लिए विशेष प्रबन्ध करने होंगे। सरकारी प्रयासों के अतिरिक्त समाजवादी पार्टी के नेता-कार्यकर्ता देशव्यापी लाॅकडाउन में भूखे, प्यासे, गरीबों असहायों की लगातार मदद कर रहे हैं। मास्क पहनकर और उचित दूरी बनाकर वे सेवाकार्य में रत है।

हम विशेष रूप से सरकार का ध्यान कोरोना आपदा के पश्चात् उत्पन्न होने वाले प्रभावों के बारे में भी सावधान करना चाहेंगे। देश में नोटबंदी-जीएसटी से कुप्रभावित उद्योगधंधे अब लाॅकडाउन के बाद पूरी तरह बंद हो चुके हैं। बेरोजगारी का संकट गहरा रहा है। श्रमिक पलायन से उत्पन्न स्थितियां भी चिंताजनक होंगी। निर्यात तो पूरी तरह बंद हो गया है। मंदी का प्रकोप बढ़ सकता है।

कोरोना संकट के बाद कानून व्यवस्था पर विशेष ध्यान दिए जाने की जरूरत होगी ही, यह भी देखना होगा कि काम-धाम बंद होने और सड़कों पर बेरोजगारी में घूम रहे नौजवानों को किस दिशा में प्रेरित किया जाएगा। अंतर्राज्यीय परिवहन बंदी से खाद्य, सब्जी, फल, दवाओं की कमी न होने पाए इस पर तो लाॅकडाउन पर ढील देते ही ध्यान देना होगा। इसमें तनिक भी प्रशासनिक उदासीनता काफी मंहगी साबित हो सकती है।


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