कोरोना संकट के समय हमें धैर्य और संयम से काम लेते हुए सतर्क सजग रहना होगा : अखिलेश यादव
अखिलेश यादव ने कहा कि प्रधानमंत्री की अपील के बावजूद उत्तर प्रदेश सरकार कोरोना संकट पर न तो गम्भीर दिख रही है और ना संवेदनशील है।
लखनऊ । समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कहा है कि कोरोना संकट के समय हमें धैर्य और संयम से काम लेते हुए सतर्क और सजग रहना होगा। कोरोना जैसी विश्वव्यापी विपदा का इलाज करना डाक्टरों का काम है लेकिन उसे फैलने से रोकने में हम सबको भी अपनी भूमिका निभानी होगी। जिन पर संक्रमण का संदेह हो उन्हें समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ता तुरंत डाक्टरी मदद दें और जिनके पास खाने की दिक्कत हो उनकी तत्काल यथासंभव मदद में देरी न करें।
अखिलेश यादव ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अपील के बावजूद उत्तर प्रदेश में भाजपा सरकार कोरोना संकट पर न तो गम्भीर दिख रही है और नहीं वह संवेदनशील है। इस संकट के मामले में उसका दोहरा चरित्र नज़र आता है। भाजपा सरकार कोरोना के प्रति जनसामान्य में जागरूकता जगाने और अस्पतालों की व्यवस्था सुधारने के बजाय विज्ञापनों और अपने झूठे प्रचार पर अंधाधुंध खर्च करने में व्यस्त है। इस संकट से बचाव के लिए जो सुरक्षात्मक उपाय करने चाहिए उनमें भी लापरवाही बरती जा रही है।
अस्पतालों में कोरोना के नियंत्रण की पर्याप्त व्यवस्थाएं नहीं है। ये स्थिति तो राजधानी की है। मास्क और सैनीटाइजर भी पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध नहीं है। सरकार के ओहदेदार पार्टियों में दावत उड़ा रहे हैं। प्रधानमंत्री जी की अपील के बावजूद हाल यह है कि एक प्राइवेट हाईप्रोफाइल रात्रि पार्टी में बालीवुड की एक गायिका को सुनने के लिए भाजपा के बड़े नेता, मंत्री तथा शीर्ष अधिकारी भी पहुंच गए। इनके भाजपा सरकार के शीर्ष नेतृत्व तक से सम्पर्क है। पार्टी में शामिल कई लोग संक्रमित पाए गए है। ऐसे में कल्पना की जा सकती है कि यह मर्ज कहां तक जाएगा?
बताते हैं बालीवुड गायिका कनिका कपूर जिस पार्टी में थी उसमें 100 से ज्यादा लोग थे। इसमें एक पूर्व मुख्यमंत्री, सांसद, शीर्ष अधिकारी तथा प्रदेश के स्वास्थ्यमंत्री जी भी शामिल थे। ऐसी कई हाई प्रोफाइल पार्टियों में कनिका कपूर गई थी। जाहिर है जिस कोरोना संकट की दुनिया भर में दहशत है उसके प्रति प्रदेश के जिम्मेदार लोगों का रवैया कितना निम्नस्तरीय और निंदनीय है।
कोरोना संक्रमण की गम्भीर स्थिति को देखते हुए सरकार को मेडिकल कालेज और सार्वजनिक खाद्य वितरण प्रणाली के लिए पर्याप्त फण्ड तत्काल जारी करना चाहिए। दवाइयां मुफ्त हों और दिहाड़ी मजदूरों को संकट काल तक रोजमर्रा का खर्च दिया जाना चाहिए। गरीब लोगों और रोज कुुंआ खोदकर पानी पीने वालों के लिए शासन-प्रशासन द्वारा मुफ्त भोजन, इलाज की सुविधा मिलनी चाहिए। सरकार को संक्रमण के टेस्ट सेंटर बढ़ाने चाहिए।