कोरोना टीके का नहीं दिखा कोई दुष्प्रभाव :रूस
रूस ने दावा किया है कि कोरोना टीके से किसी प्रकार का दुष्प्रभाव नहीं देखा गया
मॉस्को।रूस ने दावा किया है वैश्विक महामारी कोविड-19 के खिलाफ विकसित उसके टीके को पंजीयन से पहले के ट्रायल में करीब 2500 वालंटियर को लगाया गया था और उसका किसी प्रकार का दुष्प्रभाव नहीं देखा गया।रुस ने कहा है कि तीसरे चरण के क्लीनिकल ट्रायल में करीब 40 हजार लोग शामिल हैं।कोरोना वैक्सीन विकसित करने का दावा कर रहे रूस के संस्थान 'द गामाले साइंटिफिक रिसर्च इंस्टीट्यूट ऑफ एपिडेमियोलॉजी एंड माइक्रोबायोलॉजी' के प्रमुख अलेक्जेंडर गिंस्टबर्ग ने कहा कि वैक्सीन के ट्रायल की की खेप को देश के सभी राज्यों को दिया गया है। अलेक्जेंडर का दावा है कि अगले साल तक कोरोना को मात देने के लिए उसका वैक्सीन लोगों को उपलब्ध हो जायेगा।
उन्होंने कहा," मॉस्को के 2500 लोगों ने कोरोना का पहला वैक्सीन लगाया है और मामूली असुविधा के लिए अलावा कोई बड़ी समस्या देखने को नहीं मिली। तीसरे चरण के क्लीनिकल ट्रायल में 40 हजार से अधिक लोग शामिल हैं।"
दो दिन पहले रूस के स्वास्थ्य मंत्रालय ने यह नहीं बताया था कि देश में कितने लोगों को यह टीका लगाया था। स्वास्थ्य मंत्री मिखाइल मुराश्को ने कहा था, रूस के प्रांतों में छोटी खेप भेजी गई हैं। उन्होंने हालांकि यह नहीं बताया कि कितनी खुराकें भेजी गई हैं और कब तक ये उपलब्ध हो सकेंगी। उन्होंने बताया था कि सेंट पीटर्सबर्ग के पास लेनिनग्रैड रीजन में सबसे पहले सैंपल वैक्सीन भेजी जाएगी।
एसोसिएशन ऑफ क्लिनिकल ट्रायल ऑर्गनाइजेशन की डायरेक्टर स्वेतलाना जाविडोवा ने कहा है, "अगर इस वैक्सीन का उत्पादन सीमित होता तो अच्छा रहता क्योंकि इसे जल्दीबाजी में स्वीकृति दी गई थी। इस माह विज्ञान पत्रिका लैंसेट में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार यह वैक्सीन सुरक्षित है। फेज एक और फेज दो के आंकड़ों के मुताबिक इसने सेल्युलर और एंटीबॉडी रिस्पांस जेनरेट किया। फेज तीन ट्रायल के नतीजे अक्टूबर-नवंबर में प्रकाशित होने की उम्मीद है। रूस ने आज ही दावा किया कि अगले वर्ष फरवरी तक इस टीके का अधिकत उत्पादन हो सकेगा।
रूस 11 अगस्त को कोरोना वैक्सीन'स्पूतनिक वी' विकसित करने की घोषणा करके वैश्विक संक्रमण के खिलाफ टीका का पंजीयन कराने वाला पहला देश बन गया। राष्ट्रपति ब्लादीमिर पुतिन ने घोषणा की थी कि उन्होंने अपनी बड़ी पुत्री को यह टीका लगवाया है। रूस के इस टीके के लेकर विश्वभर में विवाद बढ़ गया क्योंकि इसे बिना अंतिम चरण के क्लीनिकल ट्रायल के लगाया गया था।