महाकुंभ में मुसलमानों की दुकान- अखाड़ा परिषद व मुस्लिम जमात हुए...
जबकि हम तो रघुपति राघव राजा राम ईश्वर अल्लाह तेरे नाम की संस्कृति के व्यक्ति हैं,
प्रयागराज। महाकुंभ के दौरान मेला इलाके में समुदाय विशेष के लोगों की दुकान लगाने को लेकर अखाड़ा परिषद और ऑल इंडिया मुस्लिम जमात आमने-सामने आ गए हैं। जहां अखाड़ा परिषद की ओर से महाकुंभ मेला परिक्षेत्र में मुसलमानों की दुकानों का विरोध किया गया है वही ऑल इंडिया मुस्लिम जमात ने कहा है कि अखाड़ा परिषद का यह फैसला सांप्रदायिकता को बढ़ावा देने वाला है।
ऑल इंडिया मुस्लिम जमात के राष्ट्रीय अध्यक्ष मुफ्ती शहाबुद्दीन रजवी बरेलवी ने अखाड़ा परिषद पर निशाना साधते हुए कहा है कि अखाड़ा परिषद का महाकुंभ मेला परिसर में विशेष समुदाय के लोगों की दुकानों का विरोध किए जाने का फैसला सांप्रदायिकता को बढ़ावा देने वाला है और इससे समाज के बीच नफरत फैलेगी।
मौलाना शहाबुद्दीन ने सोशल मीडिया पर पोस्ट की गई वीडियो में कहा है कि प्रयागराज में महाकुंभ का मेला शुरू होने जा रहा है और ऑल इंडिया मुस्लिम जमात चाहती है कि महाकुंभ मेला अमन और शांति के साथ संपन्न हो। उन्होंने कहा है कि मगर अफसोस की बात यह है कि अखाड़ा परिषद घोषणा कर रहा है कि मेले में समुदाय विशेष के लोगों की दुकान नहीं लगने दी जाएंगी।
उन्होंने कहा है कि अखाड़ा परिषद का यह फैसला समाज के बीच नफरत फैलाने वाला है। मौलाना ने उत्तर प्रदेश सरकार से डिमांड उठाई है कि कुंभ मेले के दौरान विशेष समुदाय के लोगों की दुकानों का विरोध करने वाले लोगों के खिलाफ कानूनी कार्यवाही की जाए और अखाड़ा परिषद अपने फैसले को वापस ले। उधर अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष रविंद्र पुरी ने ऑल इंडिया मुस्लिम जमात की बात पर सवाल उठाते हुए कहा है कि हमें मक्का और मदीना में क्यों नहीं जाने दिया जाता है? वहां पर हिंदुओं के जाने पर आखिरकार रोक क्यों है? जबकि हम तो रघुपति राघव राजा राम ईश्वर अल्लाह तेरे नाम की संस्कृति के व्यक्ति हैं,
उन्होंने कहा है कि अगर हमारे मेले में मुस्लिम दुकान लगाएंगे तो हमें भी मक्का मदीना में दुकान लगाने और वहां जाने की अनुमति मिलनी चाहिए। महंत रवींद्र पुरी ने कहा है कि हम मुसलमानों द्वारा महाकुंभ में दुकान लगाने का इसलिए विरोध कर रहे हैं क्योंकि यह खाने-पीने के सामान में गंदी चीज मिलते हैं और यह बात अनेक स्थानों पर उजागर भी हो चुकी है, इसलिए ऐसे लोगों का विरोध लगातार था और आगे भी जारी रहेगा।