आतंकवाद पीड़ित पुलिस कर्मचारियों की सहायता की जाए- प्रो. चावला
सरकार से मांग की कि राज्य में आंतकवाद के दौरान अदालतों के मुकदमों में फंसे पुलिस कर्मचारियों की सहायता करें।
अमृतसर। पंजाब की पूर्व स्वास्थ्य मंत्री प्रो. लक्ष्मीकांता चावला ने मंगलवार को पंजाब सरकार से मांग की कि राज्य में आंतकवाद के दौरान अदालतों के मुकदमों में फंसे पुलिस कर्मचारियों की सहायता करें।
पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान और पुलिस महानिदेशक गौरव यादव को लिखे पत्र में प्रो. चावला ने कहा कि आतंकवाद से लड़ने वाले जो पुलिस कर्मी शहीद हो गए, उनके परिवारों को तो सरकार ने जिंदगी जीने के साधन दे दिए, लेकिन जो पुलिस कर्मचारी आतंकवाद से लड़ते हुए अदालतों के मुकदमों में फंस गए, जेलों में बंद हैं, जमानत पर हैं या पैरोल पर आकर मुकदमे लड़ रहे हैं, उनकी सरकार ने कोई सहायता नहीं की।
पूर्व मंत्री ने कहा कि यह पुलिस कर्मचारी वर्षों से अदालतों के दरवाजे पर धक्के खा रहे हैं। वकीलों के लिए पैसे का प्रबंध भी करते हैं। जेलों में भी बंद हैं। उन्होने कहा कि मुख्यमंत्री और डीजीपी से अनुरोध किया है कि वे समय निकालकर आतंकवाद पीड़ित सभी पुलिस कर्मचारियों और उनके परिवारों को बुलाएं तथा उनकी तकलीफें सुन कर उचित सहायता करें। उन्होंने कहा कि जो पुलिस कर्मचारी जेलों में बंद और मुकदमे भुगत रहे हैं। उनके परिवारों की स्थिति बहुत दयनीय है और उन जवानों की भी जो लड़ाई लड़ते-लड़ते बूढ़े हो रहे हैं। परेशान और निराश भी हैं। इसके साथ ही बहुत से ऐसे युवक-युवतियां हैं जो अब अधेड़ावस्था में पहुंच गए। उनके परिजनों को आतंकवादियों ने मारा था। उन्हें केवल सिपाही भर्ती किया गया, जो बीस- बीस साल की नौकरी के बाद भी सिपाही बने हैं उन्हें रैंक भी नहीं दिया गया। प्रो. चावला ने कहा कि जो नेता चार दशक पहले भी आतंकवादियों ने मारे, उनके परिजनों को तो डीएसपी बना दिया, अफसर बना दिया, लेकिन जिनके परिवार के सभी पुरुष मार दिए गए, वे आज तक सिपाही बनकर ही मजबूरी और बेबसी में जी रहे हैं। कृपया ऐसे परिवारों को भी राहत दें।