जीवन को खतरे में डालकर न मनायें त्योहार: हर्षवर्धन

डॉ़ हर्षवर्धन ने आज कहा कि किसी भी धर्म में में कोई भी धर्माचार्य यह नहीं कहते हैं कि लोगों के जीवन को खतरे में डालकर त्योहार मनाने चाहिए

Update: 2020-10-11 10:35 GMT

नई दिल्ली। केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री डॉ़ हर्षवर्धन ने आज कहा कि किसी भी धर्म में में कोई भी धर्माचार्य यह नहीं कहते हैं कि लोगों के जीवन को खतरे में डालकर त्योहार मनाने चाहिए और कोई भी भगवान यह नहीं कहते कि उनकी पूजा के लिए आपको बड़े-बड़े पूजा पंडालों में जाने की जरूरत है। इस वक्त कोरोना के खिलाफ लड़ाई ही पूरी दुनिया के लिए सर्वोपरि धर्म है।

डॉ़ हर्षवर्धन ने संडे संवाद में त्योहारों के मौसम को ध्यान में रखते हुए स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा जारी दिशानिर्देशों के पालन सुनिश्चित करने के संबंध में पूछे गये सवाल के जवाब में कहा," त्योहारों के मौसम में कोरोना के संक्रमण का खतरा निश्चित रूप से अधिक है और इसे लेकर हम सब चिंतित हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वयं त्योहारों को मौसम को देखते हुए जन आंदोलन की शुरूआत की है। अगर इस जन आंदोलन में हम और आप सब अपनी भागीदारी दें तो निश्चित रूप से हमने त्योहारों को लेकर जो दिशा निर्देश जारी किये हैं, वे खुद ब खुद जनता तक पहुंच जायेंगे। इस जन आंदोलन में प्रधानमंत्री ने कोविड-19 अनुकूल व्यवहार का पालन करने और दूसरों को भी इसके लिए प्रेरित करने काे कहा है। विशेषकर सार्वजनिक स्थलों पर सदैव मास्क पहनने और दूसरों से कम से कम दो गज की दूरी रखने की आवश्यकता है।

केंद्रीय मंत्री ने कहा," देश के स्वास्थ्य मंत्री के रूप में लोगों के प्राणों की रक्षा करना मेरा पहला धर्म है। त्योहार आते- जाते रहेंगे। एक व्यक्ति के रूप में और देश के स्वास्थ्य मंत्री के रूप में मेरा धर्म लोगों की रक्षा करना, जिंदगी बचाना है। मेरा धर्म जिंदगी को बर्बाद करना नहीं है। कोई धर्म या भगवान ये नहीं कहते हैं कि त्योहारों को आडंबरपूर्ण तरीके से मनाने के लिए और प्रार्थना के लिए पंडाल में या मंदिर में या मस्जिद में जाने की जरूरत है। यह असाधारण समय है और इसका निदान भी असाधारण ही होना चाहिए।"

उन्होंने कहा,"कुरुक्षेत्र में भगवान कृष्ण ने अर्जुन से कहा कि अपने धर्म का पालन करो। इस समय हमारा धर्म कहता है कि चाहे जो हो कोविड-19 के खिलाफ लड़ें। गीता में कहा गया है सैनिक का धर्म है कि वह अच्छाई के लिए लड़े और सच्चा वैष्णव वह है, जो अपने अंदर के कृष्ण को पहचाने इसीलिए अपने धर्म और विश्वास को साबित करने के लिए भीड़ इकट्ठा करने की जरूरत नहीं। "

डॉ़ हर्षवर्धन ने त्योहारों के मौसम में भीड़भाड़ के कारण कोरोना फैलने के खतरे के प्रति आगाह करते हुए कहा ," अगर हम इस वक्त ज्यादा भीड़भाड़ करेंगे तो हम बड़ी मुसीबत में फंस जायेंगे। हमारा और आपका लक्ष्य कोरोना को खत्म करना है और यही हमारा धर्म है।"

उन्होंने कहा," आपको पता हो कि बाहर आग हुई है तो कैसे त्योहारों के नाम पर लोगों को उसमें झोंक सकते हैं। ऐसे त्योहारों का भला क्या मतलब है। सच्चे मन से भगवान का कहीं भी स्मरण किया जा सकता है। लोगों को परिवार के साथ त्योहार मनाना चाहिए। पहले ऐसे ही त्योहार मनाये जाते थे। फिर भी अगर लोग अपनी मान्यताओं के अनुसार पूजा- पंडाल में जाते हैं तो वहां दो गज की दूरी का जरूर पालन करें। मास्क पहनें और दूसरों को भी इसके लिए प्रेरित करें। "

वार्ता

Tags:    

Similar News