यह भारत के व्यापक विद्युतीकरण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम होगा– प्रो. (डॉ.) हरीश हिरानी
नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ सोलर एनर्जी (एनआईईएस), भारत सरकार के नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय का एक उत्कृष्टता स्वायत्त केंद्र है
नई दिल्ली। सीएसआईआर-सेंट्रल मैकेनिकल इंजीनियरिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट (सीएमईआरआई), दुर्गापुर और नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ सोलर एनर्जी (एनआईईएस), गुरुग्राम ने पूरे देश में सौर ऊर्जा क्षेत्र को बढ़ाने के लिए एक 'रणनीतिक संघ' के रूप में 7 सितंबर, 2020 को एक ऑनलाइन समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए हैं। एमओयू पर सीएसआईआर-सीएमईआरआई, दुर्गापुर के निदेशक प्रो. (डॉ.) हरीश हिरानी और एनआईएसई के महानिदेशक डॉ. अरुण कुमार त्रिपाठी द्वारा हस्ताक्षर किए गए।
दुनिया के सबसे बड़े 11.5 केडब्ल्यूपी के सौर वृक्ष की शानदार सफलता के बाद, सीएसआईआर-सीएमईआरआई अक्षय ऊर्जा प्रतिबद्धताओं को मजबूत करने की दिशा में अपने प्रयासों को आगे बढ़ाने की मंशा है। सीएसआईआर-सीएमईआरआई में सिंचाई, सौर ऊर्जा से संचालित एग्रो ड्रायर, डी-सेंट्रलाइज्ड सोलर कोल्ड स्टोरेज, बैटरी चालित कृषि यंत्रों की चार्जिंग आदि के लिए कृषि क्षेत्र को बढ़ावा देने की स्थानीयकृत ऊर्जा मांग को पूरा करने से लेकर विविध क्षमता वाली सौर उपकरणों के डिजाइन और विकास में विशेषज्ञता है। इसे सोलर कन्वर्टर और कंडीशनिंग यूनिट और आइसोलेटेड मिनीग्रिड के क्षेत्र में विशेषज्ञता हासिल है, जो इस सहयोग को और आगे बढ़ाने में सहायता प्रदान करेगा। संस्थान वर्तमान में सौर ऊर्जा आधारित खाना पकाने की प्रणाली को विकसित करने पर कार्य कर रहा है जो भारत में ग्रामीण क्षेत्र की आजीविका के उत्थान के साथ-साथ ऊर्जा आधारित एवं कार्बन-तटस्थ भारत के निर्माण में मदद प्रदान करेगा।
नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ सोलर एनर्जी (एनआईईएस), भारत सरकार के नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय का एक उत्कृष्टता स्वायत्त केंद्र है, और यह सौर पीवी/तापीय अनुसंधान और विकास, परीक्षण, प्रदर्शन परियोजनाओं, कौशल विकास, परामर्श, नवाचार और ऊष्मायन आदि गतिविधियों से जुड़ा है। संस्थान विभिन्न सोलर पीवी/थर्मल गैजेट्स के परीक्षण और प्रमाणन के लिए अग्रिम उपकरणों से लैस है।
इस एमओयू का उद्देश्य निम्नलिखित उद्देश्यों को प्राप्त करना है:
- विभिन्न सौर प्रौद्योगिकियों के लिए संयुक्त क्षेत्र के अध्ययन का संचालन।
- विकासशील सामाग्रियों सहित हितधारकों का कौशल विकास, इन कार्यक्रमों में ग्रिड से जुड़े सौर रूफटॉप सिस्टम, सौर ऊर्जा संयंत्र (ओएंडएम सहित), विकेन्द्रीकृत सौर ऊर्जा प्रणाली, उद्यमशीलता विकास, और नवीकरणीय ऊर्जा परियोजनाओं के तकनीकी-वित्तीय मूल्यांकन शामिल होंगे।
- ग्रिड एकीकरण, पुनर्चक्रण और सौर पैनलों, बैटरियों आदि के निपटान से निपटने के लिए नीति और नियामकों का अध्ययन करना।
- भारत में अनुसंधान कार्य करने के लिए अंतर्राष्ट्रीय स्तर के अनुसंधान संस्थानों के साथ सहयोग करना।
- संयुक्त रूप से संसाधन जुटाने के माध्यम से क्षमता, सुविधा और बुनियादी ढांचे को बढ़ाने और क्षमता निर्माण को संरेखित करने की दिशा में कार्य करना।
इस अवसर पर, सीएसआईआर-सीएमईआरआई, दुर्गापुर के निदेशक प्रो. (डॉ.) हरीश हिरानी ने कहा कि यह संयुक्त उद्यम अनुसंधान और विकास, कार्यान्वयन, परामर्शी सेवाऐं और सौर पीवी प्रणाली को प्रोत्साहन, सूक्ष्म ग्रिड पहल, ऊर्जा भंडारण प्रणाली, ऊर्जा कन्वर्टर और कंडीशनिंग सिस्टम, सोलर थर्मल एनर्जी सिस्टम, सोलर कुकिंग और इलेक्ट्रिक व्हीकल्स आदि से संबंधित समान लक्ष्यों और उद्देश्यों की प्राप्ति के लिए 'राष्ट्रीय एकता' की आवश्यकता को पूरा करने की दिशा में महत्वपूर्ण है। यह भारत के व्यापक विद्युतीकरण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम होगा; इससे संसाधनों के साथ-साथ सार्वजनिक निधियों का भी साझाकरण होगा।
एनआईएसई के महानिदेशक डॉ. अरुण कुमार त्रिपाठी ने इस अवसर पर अपने संबोधन में कहा कि यह समझौता ज्ञापन देश में सौर ऊर्जा के समग्र संवर्धन की दिशा में कार्यरत दोनों संस्थानों को लाभान्वित करेगा। उन्होंने कहा कि यह समझौता ज्ञापन सौर ऊर्जा के क्षेत्र में ज्ञान, क्षमता निर्माण और संयुक्त अनुसंधान परियोजना के आदान-प्रदान का मार्ग प्रशस्त करेगा। उन्होंने विशेष रूप से सौर ऊर्जा के क्षेत्र में संस्थान द्वारा की गई अद्वितीय वृद्धि के बाद सीएसआईआर-सीएमईआरआई के साथ सहयोग करने उत्सुकता जताते हुए सराहना की।