मल्टीमॉडल कनेक्टिविटी प्रधानमंत्री का सपना है: सुरेश सी. अंगडी

कर्नाटक के मुख्यमंत्री बी. एस. येदियुरप्पा ने इस अवसर पर कहा कि हमारे प्रिय माननीय प्रधानमंत्री जी मल्टीमॉडल कनेक्टिविटी पर जोर दे रहे हैं

Update: 2020-08-30 12:38 GMT

नई दिल्ली। कर्नाटक के मुख्यमंत्री बी. एस. येदियुरप्पा और रेल राज्यमंत्री सुरेश सी. अंगडी ने दक्षिण पश्चिम रेलवे के नेलमंगला (बेंगलुरु के पास) से बेल (सोलापुर के पास) तक पहली बार रोल ऑन रोल ऑफ़ (आरओआरओ यानी रो-रो) सेवा को हरी झंडी दिखाई।

कर्नाटक के मुख्यमंत्री बी. एस. येदियुरप्पा ने इस अवसर पर कहा कि हमारे प्रिय माननीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी मल्टीमॉडल कनेक्टिविटी पर जोर दे रहे हैं। क्षेत्र में एपीएमसी बाज़ारों की वजह से रो-रो सेवा के लिए अपार संभावनाएं हैं। उन्होंने इस दिशा में पहल करने के लिए रेल राज्य मंत्री सुरेश सी. अंगडी को बधाई दी और राज्य सरकार की तरफ से पूर्णसहयोग का आश्वासन दिया।

इस अवसर पर रेल राज्य मंत्री सुरेश सी. अंगडी ने कहा कि मल्टीमॉडल कनेक्टिविटी माननीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का सपना है। बेंगलुरु और सोलापुर के बीच हजारों ट्रक आते-जाते रहते हैं। रो-रो सेवा के साथ यात्रा का समय केवल 17 घंटे होगा। यह ट्रायल रन है जिसमें कोविड के कारण देर हुई। किसान रेल शुरू की गई है जिससे कृषि उपजों को पूरे देश में पहुंचाया जा सकता है और इस प्रकार किसानों की मदद की जा सकती है। उन्होंने कहा कि रो-रो सेवा से क्षेत्र में तेजी से विकास होगा।

उन्होंने रो-रो सेवा का लाभ उठाने में पहल करने के लिए आज के ग्राहकों को बधाई दी। उन्होंने इस महान कार्य में लगे सभी रेलवे कर्मचारियों को भी बधाई दी।

रोल ऑन रोल ऑफ (रो-रो) विभिन्न वस्तुओं से भरे सड़क वाहनों को खुले समतल रेलवे वैगनों पर ले जाने की एक अवधारणा है। हाल ही के स्वतंत्रता दिवस के भाषण में प्रधानमंत्री ने भारत को विकास के अगले स्तर तक ले जाने के लिए मल्टीमॉडल कनेक्टिविटी की परिकल्पना की है।

रो-रो सेवाएं इस मायने में सड़क और रेल परिवहन की सर्वोत्तम विशेषताओं का संयोजन हैं कि वे बड़े और प्रत्यक्ष रेल लिंक द्वारा न्यूनतम हैंडलिंग के साथ घर-घर सेवाएं प्रदान करती हैं। वस्तुओं की घर-घर डिलीवरी से सड़क परिवहन को फायदा होता है। हालांकि,बढ़ते ट्रैफिक की वजह से सड़कों पर भीड़ हो जा रही है और यात्री वाहनों को आन-जाने में देरी हो रही है। इससे यात्रा असुरक्षित हो जाएगी। इसके अलावा,अंतरराज्यीय चेक पोस्ट पर विभिन्न दस्तावेजों के निरीक्षण के कारण देरी इत्यादि से यात्रा का समय बढ़ जाता है।

दूसरी ओर,रेलवे मध्यम से लेकर बड़ी मात्रा में माल ढुलाई के लिए बाधा रहित और पर्यावरण के अनुकूल परिवहन सेवा प्रदान करती है। परिवहन के सभी साधनों की तुलना में रेल परिवहन में सबसे कम ईंधन खर्च लगता है और यह सड़क की तुलना में अधिक सुरक्षित भी है।



रो-रो के लाभ:

-रोल-ऑन-रोल-ऑफ यानी रो-रो सेवा निम्नलिखित फायदे के साथ एक मल्टीमॉडल डिलीवरी मॉडल है

-माल और आवश्यक वस्तुएं लाने - ले जाने की तेज़ गतिविधि, शहरों के बीच सड़कों पर जाम की वजह से ट्रकों का गंतव्य तक पहुंचने में लगने वाले समय को कम करता है

-सड़कों पर भीड़ को कम करता है

-कीमती ईंधन बचाता है

-कार्बन उत्सर्जन को कम करता है

-ट्रक के चालक दल के लिए राहत क्योंकि यह लंबी दूरी की ड्राइविंग से बचाता है

-चेक पोस्ट / टोल गेट आदि का कोई झंझट नहीं

-मौजूदा ट्रैक पर रोडवेज और रेलवे-इंटर-मोडल परिवहन के बीच निर्बाध अंतर-संचालन

-आवश्यक वस्तुओं की निर्बाध आपूर्ति सुनिश्चित करना

-लोडिंग / अनलोडिंग के लिए 3 घंटे का नि: शुल्क समय है

-'लोकल फॉर वोकल' यानी स्थानीय के लिए मुखर अभियान को रो-रो सेवा से बल मिलेगा

-ट्रकों के माध्यम से छोटे / विकेन्द्रीकृत लोडिंग को प्रोत्साहित करके स्थानीय एमएसएमई इकाइयों को बढ़ावा मिलेगा

-रो-रो टीओपी (टमाटर, प्याज, आलू) की कीमतें स्थिर रखने में सरकार की "ऑपरेशन ग्रीन" जैसी पहल को मदद करेगा

-कृषि उत्पादन क्षेत्रों और कृषि उपभोग केंद्रों को जोड़ने में मदद प्रदान करेगा

-यह सुनिश्चित करता है कि किसानों को उनकी उपज के लिए सही बाजार और सही मूल्य मिले

-वस्तुओं की कमी वाले और अधिकता वाले बाज़ारों को आपस में जोड़ता है और दोनों में संतुलन बनाए रखता है

भारतीय रेल में रो-रो ट्रेन सेवाओं को पहली बार 1999 में कोंकण रेलवे में शुरू किया गया था और तब से यह सफलतापूर्वक चल रहा है। देश में कोविड-19 के फैलाव को रोकने के लिए जब लॉकडाउन की घोषणा की गई थी तो रो-रो मॉडल कई ट्रांसपोर्टरों के काम आया।

सोलापुर स्थित एक कंपनी मेसर्स जितेंद्र रियल्टी एंड इंफ्रास्ट्रक्चर प्राइवेट लिमिटेड कंपनी (जेआरआईपीएल) ने सोलापुर और बेंगलुरु के बीच रो-रो ट्रेन सेवाओं की व्यावसायिक व्यवहार्यता का पता लगाया। दक्षिण मध्य और दक्षिण पश्चिम रेलवे द्वारा अनुशंसित और मध्य रेलवे द्वारा सौंपी गई व्यवहार्यता रिपोर्ट के आधार पर, रेलवे बोर्डने अप्रैल, 2020 में दो वाणिज्यिक शहरों नेलमंगला (बेंगलुरु के पास) और बेल (सोलापुर के पास) के बीच रो-रो सेवा को मंजूरी दे दी है।

कृषि उपजों से संपन्न बेंगलुरु और सोलापुर तेजी से उभरते व्यापारिक शहर हैं। इन दोनों शहरों के बीच सड़क पर बड़ी संख्या में वस्तुओं से लदे वाहन आते-जाते रहते हैं। गहन अध्ययन के बाद, इन दो शहरों के बीच रो-रो रेल सेवाओं के लिए मार्ग तय किए गए हैं जो चार राज्यों कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और महाराष्ट्र से होकर गुजरते हैं।

तकनीकी पहलू: रो-रो ट्रेन सेवा का सबसे महत्वपूर्ण सुरक्षा पहलू रेलवे वैगनों पर लदे ट्रकों का अधिकतम गतिशील आयाम है। रेलवे मार्गों में चलने वाले वाहनों की ऊंचाई और चौड़ाई की स्वीकार्य सीमाएं हैं और जब ट्रकों को वैगनों के ऊपर लोड किया जाता है, तो उनका कुल आयाम इन सीमाओं से अधिक नहीं होने चाहिए।

इस मुद्दे की सभी संबंधितों पक्षों द्वारा जांच की गई और यह निर्णय लिया गया कि रेल मार्ग पर अधिकतम 3300 मिमी की ऊंचाई वाले ट्रकों को ही रो-रो ट्रेनों पर लादा जाएगा।

रेलगाड़ी के फ्लैट वैगनों पर ऐसे ट्रकों को लोड करने के लिए प्रत्येक छोर पर लोडिंग और अनलोडिंग रैंप की आवश्यकता होती है। दोनों टर्मिनलों का चयन राज्य राजमार्गों की पहुंच, ट्रेन के लौटने और टर्मिनल की लाइन क्षमता आदि की उपलब्धता को ध्यान में रखते हुए किया गया है। एजेंसी ने अपनी लागत पर सोलापुर के पास बेल और बेंगलुरू के पास नेलमंगलाला पर रैंप का निर्माण किया है। अन्य साधन जैसे कि लोडिंग से पहले खेप की ऊंचाई मापने के लिए ऊंचाई नापने का यंत्र, वेब्रिज,ट्रकों की आवाजाही के लिए पार्किंग एरिया,दिन / रात के संचालन के लिए बिजली,आदि भी स्थानीय एजेंसियों के परामर्श पर दोनों टर्मिनलों पर प्रदान किए गए है।

बेंगलुरू - सोलापुर खंड पर रो-रो रेल सेवाएं भारतीय रेलवे में केवल निजी तौर पर संचालित रो-रो ट्रेन सेवाएं होंगी जो न केवल सोलापुर और बेंगलुरु के दो प्रमुख बाजारों को मदद पहुंचाएंगी बल्कि इस मार्ग पर यात्रा करने वाली जनता को एक बड़ी राहत देते हुए व्यस्त राजमार्ग पर भीड़-भाड़ को भी कम करेगी।

बेंगलुरु से आने वाली प्रमुख वस्तुओं में मसाले, मेवे, (ड्राई फ्रूट्स),कच्चे नारियल, कॉफ़ी, नट्स इत्यादि हैं, जबकि सोलापुर से प्याज,दालें,फल इत्यादि जैसे कृषि उत्पादों के लोड किए जाने की संभावना है। फरवरी, 2020 के बाद यह देखा गया है कि कृषि उत्पादों के परिवहन को बहुत महत्व दिया गया है।

रो-रो सेवाओं के फायदे और अवसर को देखते हुए राज्य सरकार ने रो-रो रेल सेवा को पूर्ण समर्थन देने का भी वादा किया है। निर्बाध रो-रो सेवा से दोनों शहरों के कृषि क्षेत्र और उद्योगों को जबरदस्त लाभ मिलेगा,जो सभी हितधारकों के लिए जीत की स्थिति होगी।

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