उत्कृष्ट शिक्षा केन्द्र द्वारा भारत बनेगा विश्वगुरु: निशंक
केंद्रीय शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने कहा कि 12 मई 2020 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा आत्मनिर्भर भारत की घोषणा की गई थी।
नई दिल्ली। कोविड-19 के चलते विचार- विनियमय की प्रक्रिया को नई दिशा मिली है। संगोष्ठी का नया स्वरूप वेबिनार लोकप्रिय हो रहा है। ऐसी ही एक परिचर्चा में केंद्रीय शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने कहा कि 12 मई 2020 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा आत्मनिर्भर भारत की घोषणा की गई थी। जिसमें उन्होंने कहा कि आज विश्व की जो स्थिति है वह हमें सिखाती है कि आत्मनिर्भर भारत ही एकमात्र रास्ता है। उन्होंने हमारे धर्मग्रंथों का उल्लेख किया- 'एषःपन्थाः'- अर्थात् आत्मनिर्भर भारत। केंद्रीय शिक्षा मंत्री ने कहा कि संकट की घड़ी को शिक्षा क्षेत्र ने अनेक प्रयासों के माध्यम से अवसर के रूप में बदला, विशेष रूप से नवीन पाठ्यक्रम और शिक्षाशास्त्र अपनाने के क्षेत्र में, कमजोर क्षेत्रों में ऊर्जा केंद्रित करने के लिए, हर स्तर पर अधिक समावेशी और प्रौद्योगिकी को एकीकृत करने के क्षेत्र में, जिससे कि मानव संसाधन के क्षेत्र में निवेश के एक नए युग की शुरुआत की जा सके।
शिक्षा मंत्री दिल्ली में आत्मनिर्भर मध्य प्रदेश-स्वास्थ्य एवं शिक्षा नामक वेबिनार में बोल रहे थे। उन्होंने ने कोविड संकट से निपटने के लिए सभी क्षेत्रों में कई पहल करने के लिए मध्य प्रदेश सरकार को बधाई दी।
मानव संसाधन विकास मंत्रालय जिसका नाम शिक्षा मंत्रालय कर दिया गया है , की उपलब्धियों की चर्चा करते हुए निशंक ने बताया कि राज्यों और केंद्र शासित प्रदेश की सरकारों को सलाह दी गई है कि वे कोविड महामारी के कारण स्कूल बंद रहने के दौरान, बच्चों की प्रतिरक्षा को सुरक्षित रखने के लिए पात्र बच्चों की पोषण आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए खाद्यान्न और खाना पकाने की लागत सहित मध्याह्न भोजन या उसके समकक्ष खाद्य सुरक्षा भत्ता प्रदान करें। शिक्षकों के मार्गदर्शन में माता-पिता की भागीदारी के साथ और आनंदपूर्ण शिक्षण दृष्टिकोण अपनाते हुए, सभी बच्चों को स्कूली शिक्षा प्रदान करने के वैकल्पिक तरीकों का उपयोग करते हुए घर पर शिक्षा प्रदान करने के लिए, एनसीईआरटी ने सभी चार चरणों के लिए वैकल्पिक शैक्षणिक कैलेंडर तैयार किए है- प्राथमिक, उच्च प्राथमिक, माध्यमिक और उच्च माध्यमिक। प्रवासी श्रमिकों के बच्चों की पढ़ाई और सीखने में व्यवधान से बचाने के लिए, मानव संसाधन विकास मंत्रालय द्वारा राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के लिए दिशा-निर्देशों का एक सेट तैयार किया गया है, जिससे महामारी द्वारा उत्पन्न चुनौतियों के कारण किसी भी छात्र का निरंतर अध्ययन प्रभावित न हो सकें। उन राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के लिए जहां पर ज्यादा प्रवास/ अन्तर्वाह हो रहा है, राज्य सरकार सभी स्कूलों को निर्देश दे सकती है कि वे ऐसे किसी भी बच्चे को अपने स्कूल में प्रवेश दें, जो हाल ही में अपने गांव वापस लौटे हों, जिनके पास केवल एक कोई भी पहचान पत्र हो और बिना किसी अन्य दस्तावेज के। उनसे पहले उपस्थित वर्ग का प्रमाण या स्थानांतरण प्रमाण पत्र की मांग नहीं की जानी चाहिए। बच्चों के माता-पिता द्वारा प्रदान की गई जानकारी को सही माना जा सकता है और उसके आधार पर बच्चे को उसके पड़ोस के सरकारी/सरकारी सहायता प्राप्त स्कूल में संबंधित कक्षा में प्रवेश दिया जा सकता है। ऑन लाइन शिक्षा के बारे में उन्होंने बताया कि स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग ने ऑनलाइन माध्यम से डिजिटल शिक्षा के लिए प्राज्ञाता दिशा-निर्देश जारी किया है। जो शिक्षा की गुणवत्ता को बढ़ावा देने के लिए ऑनलाइन शिक्षा को आगे ले जाने वाले एक रोडमैप या सुझाव प्रदान करते हैं। 230 केन्द्रीय विद्यालय और 570 जवाहर नवोदय विद्यालयों के विशाल परिसर को, रक्षा अधिकारियों, अर्धसैनिक बलों और राज्य सरकारों को कोरोना संदिग्धों को क्वारंटाइन करने, प्रवासी मजदूरों को आवास प्रदान करने और अर्धसैनिक बलों की अस्थायी तैनाती के लिए कैंप बनाने के उद्देश्य से सौंपा गया है।
भारत द्वारा कम कीमत पर उत्कृष्ट शिक्षा प्रदान करने और विश्व गुरु के रूप में उसकी भूमिका को बहाल करने के लिए, उसे एक वैश्विक अध्ययन गंतव्य के रूप में बढ़ावा दिया जा रहा है। वर्ष 2020-21 के लिए, भारत में अध्ययन के अंतर्गत 35,500 छात्र पंजीकृत हैं। 1,452 विदेशी शिक्षकों ने पाठ्यक्रमों को पढ़ाने के लिए भारत का दौरा किया है। भारत आने वाले छात्रों को छात्रवृत्ति प्रदान करने के लिए इंड-सैट परीक्षा शुरू की गई है जिसमें 2,000 छात्रों को छात्रवृत्ति देने का प्रावधान रखा गया है। चैंपियन सेवा क्षेत्र योजना (सीएसएसएस) के अंतर्गत छात्रवृत्ति, अवसंरचना और ब्रिज कोर्स के लिए पांच वर्षों में (2023-24 तक), 710.35 करोड़ रुपये आबंटित किए गए हैं।
शिक्षा मंत्री ने यह भी कहा कि कोविड-19 महामारी के चलते हमारे सामने उत्पन्न हुई विभिन्न चुनौतियों को सुलझाने और आत्मनिर्भर भारत बनाने में सभी उच्च शिक्षण संस्थानों (एचईआई) ने सकारात्मक रूप से आगे बढ़कर योगदान दिया है। देश के प्रमुख संस्थानों ने इस संकट से निपटने के लिए असंख्य नवोन्मेषी उपाय किए हैं, जिनका वैश्विक स्तर पर एक अद्वितीय प्रभाव पड़ा है। अनुसंधान से बचाव तक, हमारे एचईआई ने कोविड-19 चुनौती का मुकाबला करने के लिए विभिन्न आयामों में योगदान देकर बहुत बड़ी जिम्मेदारी निभाई है। ड्रग डिस्कवरी हैकथॉन, फाइट कोरोना आइडियाथॉन और स्मार्ट इंडिया हैकाथन जैसे हैकथॉन का आयोजन किया जा रहा है।
ज्ञात हो एमएचआरडी ने कोरोश्योर किट को लॉन्च किया है। आईआईटी दिल्ली कुसुमा स्कूल ऑफ बायोलॉजिकल साइंस (केएसबीएस) के शोधकर्ताओं ने कोविड-19 के लिए एक अनुसन्धान जांच किट विकसित की है, जिसे आईसीएमआर ने मंजूरी प्रदान कर दी है। इस जांच किट को आईसीएमआर ने 100ः संवेदनशीलता और विशिष्टता के साथ मान्यता प्रदान की है। यह, आईआईटी-दिल्ली को पहला शैक्षणिक संस्थान बनाता है जिसने रियल टाइम पीसीआर आधारित नैदानिक जांच के लिए आईसीएमआर से अनुमोदन प्राप्त हुआ है। आईआईटी दिल्ली द्वारा विकसित किफायती कोविड-19 परीक्षण किट पीपीपी का एक बेहतरीन उदाहरण है। चाहे वह वेंटिलेटर हो, टेस्टिंग किट हो, मास्क उत्पादन हो, सैनिटाइजर इकाई, मोबाइल आधारित संपर्क ट्रैकिंग एप्लीकेशन, संसाधन जुटाने के लिए विभिन्न वेब-पोर्टल्स हों, हमारे एचईआई ने विश्वस्तरीय काम किया है। आईआईटी रुड़की ने कम लागत में 'प्राण-वायु' वेंटिलेटर विकसित किया है। आईआईटी कानपुर ने स्वदेशी मास्क उत्पादन केंद्र की शुरुआत की है। आईआईटी के पूर्व छात्रों द्वारा विकसित कोविड-19 टेस्ट बस महाराष्ट्र में शुरू की गई है। आईआईटी, आईआईआईटी, एनआईटी और आईआईएसईआर में पर्याप्त रूप से काम किया जा रहा है।
शिक्षा मंत्री के अनुसार राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 का उद्देश्य भारत की शिक्षा प्रणाली के सभी पहलुओं को नया रूप प्रदान करना है, जो पिछले तीन दशकों से चल रहे हैं और इसे शिक्षा के सर्वोत्तम वैश्विक मानकों के नजदीक लाना है। एनईपी में परंपराओं और अंतःविषय दृष्टिकोण के बीच एक संतुलन स्थापित किया गया है। एनईपी साधनों का एक मिश्रण है जो छात्रों को वैश्विक दुनिया के साथ प्रतिस्पर्धा करने में सक्षम बनाता है, साथ ही साथ भारत के मूल्यों, संस्कृति और भाषाओं को समझने में भी। सबसे महत्वपूर्ण बात, एनईपी में स्पष्ट दृष्टिकोण और परिभाषित उद्देश्य हैं।
उन्होंने दावा किया कि एनईपी सबसे ज्यादा नियोजित, व्यापक और संपूर्ण दस्तावेज है जिसका उद्देश्य छात्रों के समग्र विकास को सुनिश्चित करना है, जिससे वे भारत के केंद्रित मूल्यों, नैतिकता और संस्कृति को संरक्षित रखते हुए वैश्विक दुनिया के साथ प्रतिस्पर्धा करने के लिए तैयार हो सकें। चूंकि शिक्षा एक समवर्ती विषय है, इसलिए एनईपी केवल व्यापक दिशा प्रदान करता है। प्रस्तावित सुधारों को केवल केंद्र और राज्यों द्वारा सहयोगात्मक रूप से ही लागू किया जा सकता है।
(मानवेन्द्र नाथ पंकज-हिन्दुस्तान समाचार फीचर सेवा)