कृषि विकास से ग्वालियर-चंबल क्षेत्र में बीहड़ के एकीकृत विकास में मदद मिलेगी: नरेंद्र सिंह तोमर
ग्वालियर-चंबल क्षेत्र के बीहड़ को कृषि योग्य बनाने के लिए विश्व बैंक की मदद से एक बड़ी परियोजना के जरिए व्यापक काम किया जाएगा
नई दिल्ली। केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण, ग्रामीण विकास तथा पंचायती राज मंत्री और मुरैना-श्योपुर क्षेत्र के सांसद नरेंद्र सिंह तोमर की पहल पर ग्वालियर-चंबल क्षेत्र के बीहड़ को कृषि योग्य बनाने के लिए विश्व बैंक की मदद से एक बड़ी परियोजना के जरिए व्यापक काम किया जाएगा। इस संबंध में नरेंद्र सिंह तोमर की पहल पर शनिवार (25 जुलाई) को उच्चस्तरीय बैठक हुई। बैठक में नरेंद्र सिंह तोमर के अलावा विश्व बैंक के अनेक प्रतिनिधि व मध्य प्रदेश के कृषि विभाग के वरिष्ठ अधिकारी एवं कृषि विशेषज्ञ शामिल हुए। नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि इस परियोजना से बीहड़ क्षेत्र में खेती-किसानी तथा पर्यावरण में अत्यधिक सुधार होगा, साथ ही रोजगार के असीम अवसर सृजित होंगे। परियोजना पर सभी ने सैद्धांतिक सहमति जताई तथा प्रारंभिक रिपोर्ट एक माह के भीतर बनाना भी तय हुआ है।
वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से आयोजित इस बैठक में नरेंद्र सिंह तोमर ने बताया कि बीहड़ की 3 लाख हेक्टेयर से ज्यादा जमीन खेती योग्य नहीं है। यदि परियोजना के माध्यम से इस क्षेत्र में अपेक्षित सुधार हो जाए तो वहां खेती प्रारंभ होगी तथा पर्यावरण की दृष्टि से भी यह ठीक होगा, आजीविका भी मिलेगी। विश्व बैंक तथा मध्य प्रदेश के अधिकारी सभी इस पर काम करने के इच्छुक हैं। परियोजना से बीहड़ विकास के अलावा नए सुधार से खेती-किसानी के लिए मदद होगी। इस संबंध में पिछले दिनों विश्व बैंक के अधिकारियों से उनकी बात हुई थी, जिसके बाद राज्य सरकार के वरिष्ठ अधिकारियों को शामिल करते हुए यह बैठक रखी गई।
केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने प्रस्तावित परियोजना के माध्यम से बीहड़ क्षेत्र में कृषि का विस्तार करने, उत्पादकता बढ़ाने तथा वैल्यू चेन विकसित करने पर विशेष जोर दिया। नरेंद्र सिंह तोमर ने बताया कि चंबल क्षेत्र के लिए पूर्व में विश्व बैंक के सहयोग से बीहड़ विकास परियोजना प्रस्तावित थी, पर विभिन्न कारणों से विश्व बैंक उस पर राजी नहीं हुआ। अब नए सिरे से इसकी शुरुआत की गई है, ताकि ग्वालियर-चंबल क्षेत्र के समग्र विकास का सपना हकीकत का रूप ले सके। परियोजना के माध्यम से बीहड़ को कृषि योग्य बनाने का उद्देश्य तो है ही, इसके साथ ही कृषि का विस्तार होने से उत्पादकता भी बढ़ेगी। कृषि बाजारों, गोदामों व कोल्ड स्टोरेज का विकास परियोजना के अंतर्गत करने का विचार है। नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि क्षेत्र में नदी किनारे काफी जमीन है जहां कभी खेती नहीं हुई तो यह क्षेत्र जैविक रकबे में जुड़ेगा जो बड़ी उपलब्धि होगी। जो चंबल एक्सप्रेस बनेगा, वह यहीं से गुजरेगा। इस तरह क्षेत्र का समग्र विकास हो सकेगा। प्रारंभिक रिपोर्ट बनाए जाने के बाद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के साथ भी बैठक की जाएगी और आगे की बातें तय होंगी।
विश्व बैंक के अधिकारी आदर्श कुमार ने कहा कि विश्व बैंक मध्य प्रदेश में काम करने को इच्छुक हैं। परियोजना से जुड़े जिलों में किस तरह से, कौन-सा निवेश हो सकता है, देखना होगा। परियोजना नए सुधार के अनुकूल हो सकती है। विश्व बैंक के ही अधिकारी एबल लुफाफा ने कहा कि क्षेत्रीय स्तर पर भूमि इत्यादि की जो स्थितियां हैं, उन्हें समझते हुए परियोजना पर विचार किया जाएगा। हम अन्य देशों का उदाहरण लेकर काम कर सकते हैं। मार्केटिंग की सुविधा, अवसंरचना आदि को ध्यान में रखते हुए पूरी योजना बनानी होगी। वैल्यू चेन पर काम करना ज्यादा फायदेमंद होगा। हम तत्पर है और यह काम करना चाहेंगे।
मध्य प्रदेश के कृषि उत्पादन आयुक्त के.के. सिंह ने कहा कि पुरानी परियोजना में फेरबदल किया जाएगा। नरेंद्र सिंह तोमर के दिशा-निर्देशों के अनुरूप सिंह ने महीनेभर में प्रारंभिक रिपोर्ट बनाने पर सहमति जताई। विश्व बैंक के साथ सहयोग करते हुए सैटेलाइट इमेज सहित अन्य माध्यमों से परीक्षण कर प्रारूप बनाया जाएगा। केंद्रीय कृषि मंत्रालय के संयुक्त सचिव विवेक अग्रवाल ने कहा कि शोध, तकनीक अवसंरचना, पूंजीगत लागत, निवेश आदि पर विचार किया जाए, इसके साथ ही छोटे आवंटन के साथ परियोजना का प्रारंभिक काम शुरू कर सकते हैं। बैठक में मध्य प्रदेश के कृषि संचालक संजीव सिंह ने बताया कि पूर्व में विभिन्न विभागों के साथ मिलकर एक परियोजना के बारे में विचार किया गया था। अब सहमति के उपरांत नए सिरे से प्रदेश में कृषि की वर्तमान स्थितियों तथा अन्य प्रदेशों का तत्संबंधी आकलन करते हुए परियोजना का प्रारूप बनाया जाएगा। सरकार द्वारा किए गए खेती संबंधी सुधार के आधार पर किसानों तथा अन्य संबंधित वर्गों को ज्यादा से ज्यादा लाभ कैसे मिलें, यह भी देखा जाएगा। मध्य प्रदेश में देश का सबसे ज्यादा जैविक क्षेत्रफल है, जिसे बढ़ावा देने की जरूरत है। परियोजना को मिशन मोड में लेकर अत्याधुनिक तकनीक के साथ काम किया जाएगा। गुणवत्ता युक्त बीजों के विकास तथा मध्य प्रदेश को इसमें आत्मनिर्भर बनाने के साथ-साथ सरप्लस राज्य बनाने का भी उद्देश्य रहेगा।
राजमाता विजयाराजे सिंधिया कृषि विश्वविद्यालय, ग्वालियर के कुलपति डा. एस.के. राव ने कहा कि मध्य प्रदेश के कृषि विकास को ध्यान में रखते हुए काम किया जा सकता है। कृषि उत्पादन में तो मध्य प्रदेश आगे है ही, अब अवसंरचना को इस परियोजना के माध्यम से मजबूत कर सकते हैं। आगे निर्यात बढ़ाने की भी तैयारी कर सकते हैं। यही नहीं, उद्यानिकी उपज में भी निर्यात की काफी गुंजाइश है।