विपक्ष को सरकार के साथ खड़े होने का समय

चीन के साथ लगी करीब 3,500 किलोमीटर की सीमा पर भारतीय थल सेना और वायु सेना के अग्रिम मोर्चे पर स्थित ठिकानों को हाई अलर्ट कर दिया गया है

Update: 2020-06-18 12:59 GMT

नई दिल्ली। राजनीति इस समय कुछ भी कहती हो लेकिन सत्ता पक्ष और विपक्ष को इस समय कंधे से कंधा मिला कर खड़े होने की जरूरत है। लद्दाख में सीमा पर चीन की तरफ से बहुत गंदी हरकत की गयी है। इससे कारगिल में पाकिस्तान की हरकतों का जख्म ताजा हो गया। पूर्वी लद्दाख में गलवान घाटी में भारतीय और चीनी सेनाओं के बीच झड़प के मद्देनजर चीन के साथ लगी करीब 3,500 किलोमीटर की सीमा पर भारतीय थल सेना और वायु सेना के अग्रिम मोर्चे पर स्थित ठिकानों को हाई अलर्ट कर दिया गया है। गलवान घाटी में 15 जून की रात चीनी सैनिकों के साथ झड़प में भारत के 20 सैन्यकर्मी शहीद हो गए और कई घायल हुए,जबकि चीन के भी 43 सैनिक हताहत हुए थे। अब दोनों देशों की सेनाएं पीछे हट गयी हैं। चीन ने कहा है कि वह भारत के साथ विवाद या हिंसक झड़प जैसी स्थिति नहीं चाहता है लेकिन उसकी बात पर यकीन नहीं किया जा सकता क्योंकि चीन ने फिर आरोप लगाया है कि भारतीय सेना के आक्रामक रवैये के बाद हिंसक झड़प हो गयी थी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस घटना पर आक्रोश मिश्रित दुख जताया है। मोदी ने कहा है कि देश के जवानों का वलिदान व्यर्थ नहीं जाएगा। देश में राज्य सभा के चुनाव होने हैं। उसी दिन पीएम ने सर्वदलीय बैठक बुलाई है। यह समय सरकार की कमियों को उजागर करने का नहीं है। समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव और बसपा नेता मायावती ने साफ साफ कहा है कि वे इस मामले में सरकार के साथ खड़े हैं। कांग्रेस की कार्यकारी अध्यक्ष सोनिया गांधी, राहुल गाँधी और प्रियंका गांधी ने कुछ सवाल उठाए हैं। सवाल वाजिब हैं लेकिन समय उपयुक्त नहीं है। सत्ता पक्ष की तरफ से भी प्रतिक्रिया तीखी आती है। इसका असर हमारे सैनिकों के मनोबल पर पड़ता है। समय सवाल पूछने का नहीं है, साथ खड़े होने का है।

चीन की नीयत ठीक नहीं है। चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजियन ने कहा कि गलवान घाटी क्षेत्र की संप्रभुता हमेशा चीन से संबंधित रही है। चीन नहीं चाहता है कि आगे किसी भी तरह की झड़प हो। सीमा से जुड़े मुद्दों और हमारी कमांडर स्तर की वार्ता की सर्वसम्मति के बाद भी भारतीय सेना ने सीमा पार की। उन्होंने आरोप लगाया कि भारतीय सेना ने हमारी सीमा प्रोटोकॉल का उल्लंघन किया है। चीन ने स्पष्ट कहा है कि अगर भारतीय सेना की तरफ से आक्रामक रुख नहीं अख्तियार किया जाएगा तो सीमा पर शांति रहेगी। लिजियन ने कहा कि हम लगातार बातचीत कर रहे हैं और इसका नतीजा सकारात्मक होगा।

हकीकत यह है कि चीन सफेद झूठ बोल रहा है। भारत और चीन के बीच सीमा विवाद ने गंभीर रूप ले लिया है। गलवान घाटी में चीनी सैनिकों ने भारतीय सैनिकों पर बेहद बर्बर हमले किए। इस हमले के बाद इलाज करा रहे भारतीय सैनिकों द्वारा दी गई सूचना के बारे में जानकारी रखने वाले एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी के मुताबिक चीनी सैनिकों ने कंटीले तार लगे लोहे के रॉड से हमले किए। इस हमले में 16 बिहार रेजीमेंट के जवान शहीद हो गये। अधिकारी के अनुसार ऐसी बर्बर झड़प आधुनिक सेनाओं के हाल-फिलहाल के इतिहास में बेहद कम देखने को मिलती हैं।

चीनी सेना के इस बर्बर हमले में जिन भारतीय सैनिकों ने जान गंवाई है, उनमें 16बिहार रेजीमेंट के कमांडिंग अफसर कर्नल संतोष बाबू भी शामिल हैं। माना जा रहा है कि कई घायल सैनिकों की मौत शून्य से काफी कम तापमान में लगातार बने रहने के कारण हुई। एक भारतीय अधिकारी के मुताबिक, जिन सैनिकों के पास हथियार नहीं थे, उनकी भी बर्बर हत्या की गई। इनमें वो लोग भी शामिल हैं जिन्होंने जान बचाने के लिए गलवान नदी में छलांग लगा दी थी। सरकारी सूत्रों के मुताबिक इन पंक्तियों के लिखे जाने तक कम से कम दो दर्जन जवान अस्पताल में जिंदगी और मौत के बीच जूझ रहे थे।बताया गया कि करीब 110 से ज्यादा को इलाज की जरूरत पड़ी। कहा जा सकता है कि अभी मौत की संख्या का आंकड़ा बढ़ सकता है।

गलवान घाटी में ये हिंसक झड़प भारतीय सेना द्वारा चीनी टेंट (कोडनेम-पैट्रोल प्वाइंट 14) हटाए जाने के बाद शुरू हुई थी। दरअसल इस चीनी टेंट को कर्नल संतोष बाबू के नेतृत्व में सैनिकों ने हटाया था। भारतीय सेना ने अपनी सीमा के भीतर इस चीनी टेंट को इसलिए हटाया था, क्योंकि भारतीय सेना के अधिकारी हरिंदर सिंह और चीनी सेना के अधिकारी लिन लिऊ की बैठक के बाद इस टेंट को लगाया गया था। कर्नल बाबू की यूनिट को इस टेंट को हटाए जाने के आदेश दिए गए थे।

चीनी सैनिकों ने ये प्वाइंट छोड़ने से इनकार कर दिया था। हालांकि अभी तक इसकी जानकारी नहीं लग सकी है कि चीनी सैनिकों ने ऐसा क्यों किया? विवाद को कम करने के लिए दोनों सेनाओं के अधिकारियों के बीच जारी बातचीत में चीनी पक्ष की तरफ से इस झड़प के लिए संतोष बाबू की यूनिट को जिम्मेदार ठहराया गया है। सरकारी सूत्रों के मुताबिक चीनी सेना का कहना है कि भारतीय सेना की इस टीम ने दोनों देशों की टुकड़ियों के बीच की सीमा को लांघा, जिससे बॉर्डर मैनेजमेंट प्रोटोकॉल का उल्लंघन हुआ। बहरहाल,संतोष बाबू की टीम द्वारा टेंट जलाए जाने के बाद चीनी सैनिकों की तरफ से पत्थरबाजी हुई थी। ऊंचाई पर मौजूद चीनी सैनिकों की तरफ से भारतीय सैनिकों पर बड़े-बड़े पत्थर फेंके गए। अधिकारियों के मुताबिक कई भारतीय सैनिकों की लाशें चीनी सेना ने भारतीय सेना को वापस की थीं। माना जा रहा है हिंसक झड़प के दौरान भारतीय सैनिकों को चीनी सीमा में खींच कर मारा गया होगा। अभी तक चीनी सेना की तरफ से ये नहीं बताया गया है कि बातचीत के बाद भी दुबारा क्यों भारतीय सीमा में टेंट लगाया गया था। इस घटना को भारतीय सेना के लिए 1999 में हुए करगिल युद्ध के बाद सबसे बड़ी क्षति माना जा रहा है। साथ ही 1967 के बाद भारत और चीन के बीच हुई ये सबसे जबरदस्त झड़प है। उस समय 88 भारतीय सैनिक शहीद हुए थे और तकरीबन 340 चीनी सैनिकों की मौत हुई थी।

चीन ने अब तक इस घटना में हुई मौतों के आंकड़े पर कोई आधिकारिक बयान नहीं जारी किया है लेकिन भारतीय सेना का दावा है कि उसकी जानकारी के मुताबिक 40 से ज्यादा चीनी सैनिक या तो मारे गए हैं या फिर घायल हुए हैं। इससे पहले 5 मई को भी गलवान घाटी में भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच हिंसक झड़प हुई थी। इसमें 11 महार रेजीमेंट के कर्नल विजय राणा को गंभीर चोटें आई थीं जिनका इलाज अब भी जारी है।

उधर, अमेरिकी विदेश मंत्रालय ने कहा है कि अमेरिका पूर्वी लद्दाख में भारत और चीन की सेनाओं के बीच हुई हिंसक झड़प के बाद स्थिति पर करीब से नजर रख रहा है और वह उम्मीद करता है कि विवाद को शांतिपूर्ण ढंग से हल कर लिया जाएगा। विदेश मंत्रालय के एक प्रवक्ता ने कहा, श्वास्तविक नियंत्रण रेखा पर भारत और चीन की सेनाओं के बीच हालात पर हम करीब से नजर रख रहे हैं।भारतीय सेना ने घोषणा की है कि उसके 20 सैनिक मारे गए हैं। हम उनके परिजनों के प्रति संवेदना व्यक्त करते हैं। संयुक्त राष्ट्र संघ ने चिंता जताते हुए कहा कि दोनों देशों आपसी बातचीत से विवाद को सुलझा लें। इसके लिए सबसे पहले चीन को कुटिलता त्यागने के लिए मजबूर करना होगा। भारत में यह क्षमता है लेकिन इसके लिए हर स्तर पर एकजुटता दिखानी होगी। इसमें सबसे पहली परीक्षा राजनीति को देनी है। सत्तारूढ भाजपा को भी इस समय चुनावी तिकड़म का मोह त्यागने की जरूरत है। चीन को उसी की शैली में जवाब देना पड़ेगा।

(अशोक त्रिपाठी-हिन्दुस्तान समाचार फीचर सेवा)

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