समुद्र की लहरों पर राष्ट्रीय गौरव और स्वाभिमान दुनिया में प्रतिष्ठित
स्वतंत्रता दिवस पर नरेन्द्र मोदी ने लाल किले की प्राचीर से राष्ट्रीय चेतना का उद्घोष किया था।
नई दिल्ली। स्वतंत्रता दिवस पर नरेन्द्र मोदी ने लाल किले की प्राचीर से राष्ट्रीय चेतना का उद्घोष किया था। उन्होंने भारत को विकसित देशों की श्रेणी में पहुंचाने का संकल्प व्यक्त किया था। उन्होने कहा था कि दासता के किसी भी निशान को हटाना, विरासत पर गर्व, एकता और अपने कर्तव्यों को पूरा करना सभी का दायित्व है। इससे भारत को विकसित बनाया जा सकता है।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने स्वदेशी युद्धपोत विक्रांत और जल सेना के नए निशान का लोकार्पण किया। यह आत्मनिर्भर भारत अभियान का एक अध्याय मात्र नहीं है बल्कि इसने समुद्र की लहरों पर राष्ट्रीय गौरव और स्वाभिमान को भी दुनिया में प्रतिष्ठित किया है। स्वतंत्रता दिवस पर नरेन्द्र मोदी ने लाल किले की प्राचीर से राष्ट्रीय चेतना का उद्घोष किया था। उन्होंने भारत को विकसित देशों की श्रेणी में पहुंचाने का संकल्प व्यक्त किया था। उन्होने कहा था कि दासता के किसी भी निशान को हटाना, विरासत पर गर्व, एकता और अपने कर्तव्यों को पूरा करना सभी का दायित्व है। इससे भारत को विकसित बनाया जा सकता है। पंच प्रण पर अपनी शक्ति, संकल्पों और सामर्थ्य को केंद्रित करना आवश्यक है। तब यह अनुमान नहीं था कि एक पखवाड़े में ही प्रधानमंत्री का कथन चरितार्थ होने लगेगा। स्वदेशी विक्रांत में सामरिक और नौ सेना के नए निशान में वैचारिक स्वाभिमान की झलक है। वर्तमान सरकार इन दोनों हो मोर्चों पर अभूतपूर्व कार्य कर रही है। इसके पहले अटल बिहारी वाजपेयी सरकार ने भी इन्हीं मोर्चों पर उल्लेखनीय पहल की थी। मोदी सरकार के दौरान इस पर शानदार प्रगति हो रही है। नरेंद्र मोदी ने विक्रांत को नौसेना के बेड़े में शामिल करने के साथ नौसेना के नए ध्वज का अनावरण करके औपनिवेशिक काल की गुलाम मानसिकता के प्रतीक से छुटकारा भी दिलाया। पहले नेवी झंडे में लाल क्रॉस बना होता था, जिसे हटा दिया गया है। नए झंडे में लाल क्रॉस की जगह अब तिरंगा ने ले ली है। छत्रपति शिवाजी ने समुद्री सीमाओं को सुरक्षित करने हेतु सशक्त नौसेना का निर्माण किया था। छत्रपति शिवाजी से प्रेरित इस ध्वज में उनकी राजमुद्रा का अंश है। यह भारत की समृद्ध संस्कृति का प्रतीक है।
भारतीय नौसेना के नए ध्वज में सेंट जॉर्ज क्रॉस को हटा दिया गया है। छत्रपति शिवाजी महाराज की शाही मुहर का प्रतिनिधित्व करने वाले अष्टकोण में संलग्न एक गहरे नीले रंग की पृष्ठभूमि पर भारतीय नौसेना शिखा का परिचय देता है। नया निशान औपनिवेशिक अतीत से मुक्त है।देश की आजादी से अब तक नौसेना के निशान को चार बार बदला जा चुका है। अब तक सफेद रंग के आधार पर लाल रंग का क्रॉस बना हुआ था। जो सेंट जॉर्ज का प्रतीक है। ध्वज के ऊपरी कोने में तिरंगा और साथ ही क्रॉस के बीच में अशोक चिह्न बना हुआ है। भारतीय नौसेना को 2 अक्टूबर 1934 को नेवल सर्विस को रॉयल इंडियन नेवी का नाम दिया गया था। 26 जनवरी,1950 को इंडियन नेवी में से रॉयल शब्द को हटा लिया गया। उसे भारतीय नौसेना नाम दिया गया। आजादी के पहले तक नौसेना के ध्वज में ऊपरी कोने में लगा ब्रिटिश झंडा हटाकर उसकी जगह तिरंगे को जगह दी गई। औपनिवेशिक काल के बाद अन्य पूर्व औपनिवेशिक नौसेनाओं ने अपने नए झंडे में रेड सेंट जॉर्ज क्रॉस को हटा दिया,लेकिन भारतीय नौसेना ने इसे 2001 तक बरकरार रखा। इसके बाद अटल बिहारी बाजपेयी की सरकार के समय 2001 में फिर एक बार ध्वज में बदलाव किया गया। इस बार सफेद झंडे के बीच में जॉर्ज क्रॉस को हटाकर नौसेना के लोगो को जगह दी गई और ऊपरी बाएं कोने पर तिरंगे को बरकरार रखा गया। 2004 में तीसरी बार ध्वज या निशान में फिर से बदलाव करके रेड जॉर्ज क्रॉस को शामिल कर लिया गया। नए बदलाव में लाल जॉर्ज क्रॉस के बीच में राष्ट्रीय प्रतीक अशोक स्तंभ को शामिल किया गया। 2014 में एक और बदलाव कर राष्ट्रीय प्रतीक अशोक स्तंभ के नीचे सत्यमेव जयते लिखा गया था। इसी प्रकार नरेन्द्र मोदी ने भारत का पहला स्वदेशी विमानवाहक पोत विक्रांत राष्ट्र को सौंपा अधिकांश स्वदेशी सामग्री के साथ यह आत्मनिर्भर भारत की शानदार उपलब्धि है। यह युद्धपोत हिंद महासागर क्षेत्र में भारत को बढ़ावा देने के साथ ही नौसेना को पनडुब्बी रोधी युद्ध क्षमता प्रदान करेगा। भारतीय बेड़े में आईएसी के शामिल होने के बाद भारतीय नौसेना आने वाले वर्षों में दुनिया की शीर्ष तीन नौसेनाओं में से एक बन गया है। भारत की स्वदेशी डिजाइन और निर्माण क्षमताओं में वृद्धि हुई है। भारत अब अमेरिका, ब्रिटेन, रूस, चीन और फ्रांस सहित उन देशों के चुनिंदा क्लबों में शामिल हो गया है,जिन्होंने चालीस हजार टन से अधिक के विमान वाहक का डिजाइन और निर्माण किया आईएसी विक्रांत को भारतीय नौसेना में शामिल किये जाने से भारत की समुद्री शक्ति में बड़ी वृद्धि हुई है। यह स्वदेशी युद्ध पोत
नौसेना को पनडुब्बी रोधी युद्ध क्षमता प्रदान करेगा। विमानवाहक पोत की लड़ाकू क्षमता, पहुंच और बहुमुखी प्रतिभा देश की रक्षा में क्षमताओं को जोड़ेगी। यह समुद्री क्षेत्र में भारत के हितों को सुरक्षित रखने में सहायक होगी। सेना के आधुनिकीरण से लेकर नई तकनीकों से लैस हथियरों और उपकरणों की उपलब्धता बढ़ाने के लिए केंद्र सरकार प्रतिबद्ध है। यह जहाज स्वदेश निर्मित उन्नत हल्के हेलीकॉप्टर और हल्के लड़ाकू विमान के अलावा मिग लड़ाकू जेट, कामोव, हेलीकॉप्टरों का एयर विंग संचालन करने में सक्षम होगा। यह युद्धपोत विमान को लॉन्च करने के लिए स्की जंप से लैस है। इस पर लगभग तीस विमान एक साथ ले जाए जा सकते हैं, जिसमें लगभग पच्चीस 'फिक्स्ड-विंग' लड़ाकू विमान शामिल होंगे। पोत का पदनाम एयर डिफेंस शिप एडीएस से बदलकर स्वदेशी एयरक्राफ्ट कैरियर आईएसी कर दिया गया। नौसेना के बेड़े में शामिल हुआ देश का पहला स्वदेशी विमान वाहक पोत विक्रांत समुद्र में तैरता छोटा शहर जैसा है। लगभग दो फुटबॉल मैदान के बराबर इस युद्धपोत में लगभग बाइस सौ कंपार्टमेंट हैं, जिन्हें चालक दल के लगभग सोलह सौ सदस्यों के लिए डिजाइन किया गया है। विमानवाहक में नवीनतम चिकित्सा उपकरण सुविधाओं का अत्याधुनिक मेडिकल कॉम्प्लेक्स भी है। (हिफी)
(डॉ दिलीप अग्निहोत्री-हिन्दुस्तान फीचर सेवा)