फर्जी IAS गिरफ्तार, रेलवे में नौकरी के नाम पर की करोड़ों रुपये ठगी

बेरोजगारों को रेलवे में नौकरी दिलाने के नाम पर करोड़ों रुपये की ठगी करने वाले जालसाज गिरोह के दो सदस्यों को गिरफ्तार किया है।

Update: 2021-08-15 11:40 GMT

नयी दिल्ली। दिल्ली पुलिस ने भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) का वरिष्ठ अधिकारी बताकर बेरोजगारों को रेलवे में नौकरी दिलाने के नाम पर करोड़ों रुपये की ठगी करने वाले जालसाज गिरोह के दो सदस्यों को गिरफ्तार किया है।

दिल्ली पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा के अतिरिक्त उपायुक्त आर के सिंह ने रविवार को बताया कि ब्रिज किशोर (34) और सचिन कुमार (36) को पीड़ितों की शिकायत के आधार पर गिरफ्तार किया गया है। बिहार में पटना के कंकड़बाग का रहने वाला ब्रिज किशोर जयपुर से बीटेक की पढ़ाई पूरी करने के बाद एक निजी कंपनी में नौकरी की थी। रातों-रात अमीर बनने के लिए वह विभिन्न सरकारी विभागों में स्थानांतरण एवं नियुक्ति के नाम पर लोगों से ठगी करने लगा। आरोप है कि उसने अपने को बतौर वरिष्ठ आईएएस अधिकारी बताकर 40 बेरोजगारों से दो करोड़ 44 लाख रुपये की ठगी की।

उन्होंने बताया कि आरोपी भोले-भाले बेरोजगार युवकों को रेलवे में नौकरी का झांसा देकर रुपये लेकर बकायदा फर्जी नियुक्ति सह प्रशिक्षण पत्र देता था। युवकों का विश्वास जीतने के लिए वह उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में प्रशिक्षण दिलाता था। उसके गिरोह में शामिल उत्तर प्रदेश के देवबंद तहसील के सहारनपुर का निवासी सचिन बेरोजगारों को प्रशिक्षण देने का नाटक करता था। बीकॉम की पढ़ाई के बाद उसने वहां 'एनआरटी इंडिया' नाम से कोचिंग चला था और वहीं फर्जी तरीके से प्रशिक्षण देता था।

उपायुक्त आर के सिंह ने बताया कि कथित प्रशिक्षण के बाद बेरोजगारों को रेलवे के विभिन्न मंडलों में नियुक्ति के लिए भेजा जाता था। एक पीड़ित जब झारखंड के टाटानगर स्थित डीआरएम कार्यालय नियुक्ति पत्र लेकर पहुंचा तो उसे पता चला कि रेलवे बोर्ड ने ऐसी कोई वैकेंसी नहीं निकाली थी। इसके बाद युवक को अपने ठगे जाने का एहसास हुआ। पुलिस से उसकी शिकायत के आधार पर एक विशेष टीम गठित कर जांच शुरू की।

उन्होंने बताया कि ठगी के शिकार लोगों में अधिकांश उत्तर प्रदेश के आगरा एवं हाथरस के आसपास गावों में रहने वाले गरीब परिवार से आते हैं। उन्होंने बताया कि अपने को वरिष्ठ आईएएस अधिकारी बताने वाला ब्रिज किशोर अक्सर नई दिल्ली रेलवे स्टेशन के पास पहाड़गंज के होटलों या लुटियंस जोन में रेलवे भवन के आसपास मिला करता था।

उपायुक्त आर के सिंह ने बताया कि पीड़ितों की शिकायत के आधार पर एक टीम गठित की गई। शिकायतकर्ता के पास ब्रिज किशोर के निवास का पता नहीं था, सिर्फ उसके मोबाइल थे। इसी आधार पर टीम ने जांच शुरू की और दिल्ली से बाहर कई स्थानों पर छापेमारी के बाद आरोपियों गिरफ्तार किया गया।

उन्होंने बताया कि इस मामले में आर्थिक अपराध शाखा में इस वर्ष 21 जनवरी को भारतीय दंड संहिता की 419, 420, 406, 467, 468, 471 और 120-बी धाराओं के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई थी।


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वार्ता

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