संसद का घेराव टालने का प्रयास नाकाम-किसानों से नहीं बनी बात

किसानों को प्रदर्शन के लिए वैकल्पिक स्थान उपलब्ध कराने की पेशकश की गई। लेकिन इसे किसान नेताओं ने ठुकरा दिया है।

Update: 2021-07-18 10:42 GMT

नई दिल्ली। केंद्र सरकार के 3 नए कृषि कानूनों को रद्द किए जाने की मांग को लेकर मानसून सत्र के दौरान किसानों द्वारा प्रस्तावित संसद के बाहर विरोध प्रदर्शन को टालने के लिए दिल्ली पुलिस की ओर से की गई किसानों को मनाने की कोशिश नाकाम रही है। बैठक के दौरान पुलिस की तरफ से दिल्ली में किसानों को प्रदर्शन के लिए वैकल्पिक स्थान उपलब्ध कराने की पेशकश की गई। लेकिन इसे किसान नेताओं ने ठुकरा दिया है।

रविवार को दिल्ली पुलिस की ओर से राजधानी के टीकरी, गाजीपुर और सिंघु बॉर्डर पर नए कृषि कानूनों के विरोध में आंदोलन कर रहे किसान नेताओं को मानसून सत्र के दौरान संसद के बाहर प्रस्तावित विरोध प्रदर्शन को डालने के लिए बैठक का बुलावा भेजा गया। दिल्ली पुलिस के साथ मिलने के लिए पहुंचे प्रतिनिधिमंडल में किसान नेता योगेंद्र यादव, दर्शन पाल सिंह, शिवकुमार कक्का समेत कई बड़े किसान नेता शामिल रहे। बैठक के बाद किसान नेता शिवकुमार कक्का ने कहा है कि हमने दिल्ली पुलिस को बता दिया है कि सिंघु बॉर्डर से हर दिन 200 लोग संसद तक मार्च करेंगे। प्रत्येक व्यक्ति के पास पहचान के लिए बाकायदा बैज होगा। हम सरकार को प्रदर्शनकारियों की सूची पहले से ही सौंपेंगे। पुलिस ने हमसे प्रदर्शनकारियों की संख्या कम करने को कहा है, जिसे हम ने मना कर दिया है। उधर किसान नेता दर्शन पाल ने बताया है कि आज दिल्ली पुलिस के साथ किसानों की बात हुई है। हमने पुलिस से कहा है कि 22 जुलाई को 200 लोग संसद जाएंगे और वहां पर किसान संसद चलाएंगे। हमने संसद के घेराव की बात कभी भी नहीं कही है। हमें उम्मीद है कि हमें अपनी बात रखने की इजाजत मिलेगी। उधर दिल्ली पुलिस ने सोमवार को संसद के पास किसानों के विरोध के मद्देनजर दिल्ली मेट्रो को 7 मेट्रो स्टेशनों पर अतिरिक्त निगरानी रखे जाने और आवश्यकता होने पर उन्हें बंद करने के लिए चिट्ठी लिखी है। इससे पहले भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा है कि आज दिल्ली पुलिस के अधिकारियों के साथ किसानों की बैठक हुई है। बैठक में 22 जुलाई के कार्यक्रम की चर्चा हुई। 22 जुलाई को हमारे 200 लोग संसद जाएंगे। प्रदर्शनकारियों द्वारा बताए जाने वाले मार्गो पर चर्चा की गई। हमने विपक्ष के लोगों से कहा है कि वह हमारी बात सदन के भीतर उठाएं।

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