मांगा जवाब- मिड डे मील में बच्चों को क्यों नहीं दे रहे चिकन मटन?

सरकारी स्कूलों में शिक्षा ग्रहण करने वाले बच्चों को मिड डे मील योजना के अंतर्गत चिकन और मटन क्यों नहीं दे रहे हैं?

Update: 2023-05-10 09:26 GMT

नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने लक्ष्यदीप प्रशासन से पूछा है कि वह सरकारी स्कूलों में शिक्षा ग्रहण करने वाले बच्चों को मिड डे मील योजना के अंतर्गत चिकन और मटन क्यों नहीं दे रहे हैं?

उच्चतम न्यायालय ने लक्ष्यदीप प्रशासन से अदालत में दाखिल की गई उस याचिका को लेकर जवाब मांगा है जिसमें केंद्र शासित प्रदेश लक्ष्यदीप में सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों को मिड डे मील योजना के अंतर्गत चिकन और मटन को हटाने को लेकर चुनौती दी गई है। इससे पहले इस प्रदेश में स्कूलों में मिड डे मील के अंतर्गत शिक्षा ग्रहण करने वाले बच्चों को चिकन एवं मटन दिया जाता था लेकिन लक्ष्यदीप प्रशासन की ओर से उसे बंद कर दिया गया है।

जस्टिस अनिरुद्ध बोस एवं जस्टिस सुधांशु धूलिया की खंडपीठ ने एक स्पेशल लीव पिटिशन की सुनवाई करते हुए पूछा कि आप बच्चों को चिकन मटन से क्यों वंचित कर रहे हैं? खंडपीठ अभी यह सवाल पूछे ही रही थी कि उसी समय अतिरिक्त सॉलीसीटर जनरल केएम नटराज ने तपाक से जवाब दिया कि बच्चों को चिकन मटन से बेहतर चीजें दी गई है।इस पर खंडपीठ ने तुरंत सवाल दागा कि क्या बेहतर है? क्या चिकन और मटन की जगह बच्चों को ड्राइफ्रूट्स दिए जा रहे हैं? इसके बाद अतिरिक्त सॉलीसीटर की ओर से बेंच के सामने मिड डे मील योजना पेश की गई। उसे देखते हुए पीठ ने फिर पूछा कि इसमें चिकन कहां है?मान लीजिए कि यह मेरे आहार और सांस्कृतिक आदत का हिस्सा है तो इसे कैसे उससे अलग किया जा सकता है।अब लक्ष्यदीप प्रशासन को अपना जवाब सुप्रीम कोर्ट को सौंपना है।

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