पतंजलि के बाद अब डॉक्टरों को भी SC की लताड़- दूध के धुले नहीं डॉक्टर

डॉक्टर भी मरीज को महंगे दामों पर बिकने वाली दवाईयों के साथ गैर जरूरी दवाइयां लिखते हैं।

Update: 2024-04-23 09:11 GMT

नई दिल्ली। बाबा रामदेव की पतंजलि आयुर्वेद कंपनी के अपनी दवाइयों को लेकर गलत दावों के प्रचार के मामले को लेकर सुनवाई कर रही सुप्रीम कोर्ट ने इंडियन मेडिकल एसोसिएशन को भी अपने निशाने पर लेते हुए डॉक्टरों की कार्य प्रणाली को लेकर खरी खरी सुनाई है। शीर्ष अदालत का कहना है कि संगठन से जुड़े डॉक्टर भी महंगी और गैर जरूरी दवाओ का प्रचार प्रचार करते हुए मरीजों को उन्हें खरीदने को विवश करते हैं।

मंगलवार को पतंजलि आयुर्वेद कंपनी की दवाइयों को लेकर किए गए गलत दावों के प्रचार के मामले की सुनवाई कर रही सुप्रीम कोर्ट की बेंच के जस्टिस हिमा कोहली एवं अमानतुल्लाह खान ने इंडियन मेडिकल एसोसिएशन की कार्य प्रणाली पर भी उंगली उठाते हुए अंग्रेजी दवाइयों का प्रयोग करने वाले डॉक्टर को खरी खरी सुनाई है।

बेंच ने अपनी तल्ख और तीखी टिप्पणी में कहा है कि जब आप एक उंगली किसी और की तरफ उठाते हैं तो चार उंगलियां आपकी ओर भी उठती है। बेंच ने कहा है कि आई एम ए के डॉक्टर भी महंगी दवाइयों का प्रचार अंग्रेजी दवाइयों के क्षेत्र में करते हैं। यदि ऐसा हो रहा है तो फिर आपसे सवाल क्यों नहीं किया जाए? सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि अगर आप नैतिकता की बात करते हैं तो फिर आपको अपनी तरफ भी देखने की उतनी ही जरूरत है। उन्होंने कहा है कि एलोपैथिक पद्धति से मरीज का उपचार करने वाले डॉक्टर भी मरीज को महंगे दामों पर बिकने वाली दवाईयों के साथ गैर जरूरी दवाइयां लिखते हैं। 

अदालत ने कहा है कि आई एम ए की ओर से भी अनैतिक तौर तरीके अपनाए जाने की शिकायत उन्हें मिलती रही है। इतना ही नहीं शीर्ष अदालत ने इस दौरान पतंजलि आयुर्वेद के अलावा अन्य एफएमसीजी कंपनियों का जिक्र करते हुए कहा है कि वह भी अपने उत्पादों के बारे में गलत दावे करती है। अदालत ने कहा है कि ऐसे भी उत्पादों के विज्ञापन आते हैं, जिनके इस्तेमाल से छोटे बच्चों स्कूल जाने वाले बच्चों एवं वरिष्ठ नागरिकों तक पर बुरा असर पड़ता है।

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