चुनावी बांड पर कोर्ट का सुप्रीम ब्रेक- मांगा पार्टियों से हिसाब
कोर्ट ने कहा है कि मतदाताओं को चुनावी फंडिंग के बारे में जानने का पूरा अधिकार है, जिससे मतदान के लिए सही चयन होता है।
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट की ओर से लोकसभा चुनाव से चंद महीने पहले राजनीतिक दलों के इलेक्टोरल बॉन्ड के माध्यम से चंदा लेने पर तत्काल प्रभाव से ब्रेक लगा दिया है। अदालत ने बॉन्ड की गोपनीयता बनाए रखने रखने को असंवैधानिक बताते हुए 6 मार्च तक पार्टियों को लिए गए चंदे का हिसाब किताब देने को कहा है।
बृहस्पतिवार को उच्चतम न्यायालय के पांच जजों की बेंच ने लोकसभा चुनाव से चंद महीने पहले इलेक्टोरल बॉन्ड से चंदा लेने पर तत्काल प्रभाव से रोक लगाते हुए इस योजना को सूचना के अधिकार का उल्लंघन बताते हुए बॉन्ड की गोपनीयता बनाए रखने को संवैधानिक करार दिया है।
उच्चतम न्यायालय के चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा है कि पॉलीटिकल प्रोसेस में राजनीतिक दल एक अहम यूनिट होते हैं और पॉलिटिकल फंडिंग की जानकारी ऐसी प्रक्रिया है जिससे मतदाताओं को वोट डालने के लिए सही चॉइस मिलती है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि मतदाताओं को चुनावी फंडिंग के बारे में जानने का पूरा अधिकार है, जिससे मतदान के लिए सही चयन होता है।