बोली मायावती- भाजपा कांग्रेस से दूर रहे दलित- करें चुनाव की तैयारी
बसपा पर मुकने कहा है कि हमारे पास समय काम है और चुनौतियां बड़ी खड़ी हुई है।;
लखनऊ। पार्टी पदाधिकारी एवं जिला अध्यक्षों के साथ बैठक करते हुए बहुजन समाज पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती ने कहा है कि पार्टी को मजबूत करने के लिए हर कार्यकर्ता को मेहनत करनी होगी बहुजन समाज पार्टी का मूल जानदार दलित पिछड़े और आदिवासी है लेकिन इन्हें भाजपा और कांग्रेस पर गैलन में लगी हुई है बुधवार को बहुजन समाज पार्टी के मुख्यालय पर बुलाई गई उत्तर प्रदेश एवं उत्तराखंड के पार्टी पदाधिकारी यो एवं जिला अध्यक्षों की बैठक को संबोधित करते हुए बसपा पर मुकने कहा है कि हमारे पास समय काम है और चुनौतियां बड़ी खड़ी हुई है।
बी.एस.पी. प्रमुख मायावती द्वारा इस दौरान यूपी व उत्तराखण्ड स्टेट पार्टी के वरिष्ठ पदाधिकारियों आदि की अहम बैठक में पार्टी संगठन की समीक्षा की गयी तथा पार्टी के जनाधार को बढ़ाने के सम्बंध में पिछले 2 मार्च को दिये गये दिशा-निर्देशों की प्रगति रिपोर्ट लेने के साथ ही आगे के लिये कमियों को दूर करके लक्ष्य की समयबद्ध प्राप्ति हेतु भी निर्देश दिये
समीक्षा बैठक के दौरान बी.एस.पी. के बैनर तले बहुजनों द्वारा अपने मसीहा बाबा साहेब डा. भीमराव अम्बेडकर की 14 अप्रैल को व 15 मार्च को कांशीराम की जयंती पूरी मिशनरी भावना से परिवार के साथ मनाने की अच्छी परम्परा के लिए बसपा सुप्रीमो द्वारा सभी लोगों की भूरि-भूरि प्रशंसा तथा तहेदिल से आभार व धन्यवाद प्रकट किया।
इस दौरान साथ ही, यूपी के समग्र व यहाँ सर्वसमाज के सर्वांगीण विकास के पिछड़ते हुए हालात व कानून व्यवस्था के मामले में भी बिगड़ती हुई स्थिति पर गंभीर चिन्ता व्यक्त की गयी।
बसपा सुप्रीमो मायावती ने कहा कि वैसे भी 'डबल इंजन' की यूपी सरकार सर्वसमाज के गरीबों के हित, कल्याण व विकास के लिए सही से कार्य ना करके, सपा सरकार की तरह ही, केवल कुछ क्षेत्र व समूह विशेष के लिए समर्पित रहना और वैसा ही दिखना चाहती है, जिससे यूपी का समग्र व समुचित विकास प्रभावित, जबकि बी.एस.पी. की सरकारों में सभी की खुशी व खुशहाली का ध्यान रखा गया। इसीलिए सरकार धर्म को कर्म नहीं बल्कि कर्म को धर्म मानकर संवैधानिक दायित्व सही से निभाये।
"ट्रम्प टैरिफ" के विकट समय में जब भारतीय अर्थव्यवस्था को भी चारों तरफ से भारी वैश्विक चुनौतियों का सामना है, खासकर भाजपा व उनकी राज्य सरकारों तथा इनके नेताओं को भी वोटों के स्वार्थ की संकीर्ण राजनीति त्याग कर केन्द्र सरकार को कंधे से कंधे मिलाकर सहयोग करने की पहल जरूर करनी चाहिये, जिस क्रम में शान्ति-व्यवस्था अत्यन्त ही ज़रूरी।