SC की दो टूक- मुस्लिम महिलाएं भी गुजारा भत्ता मांगने की हकदार

वह सीआरपीसी की धारा 125 के अंतर्गत अदालत में याचिका दायर कर सकती है।

Update: 2024-07-10 08:49 GMT

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट की ओर से दिए गए बड़े अहम फैसले में कहा गया है कि गुजारा भत्ता कोई चैरिटी अथवा दान नहीं है, बल्कि विवाहित महिलाओं का अधिकार है और यह सभी विवाहित महिलाओं पर लागू होता है। वह चाहे किसी भी धर्म की क्यों ना हो।

बुधवार को सुप्रीम कोर्ट की ओर से तलाकशुदा मुस्लिम महिलाओं के पक्ष में सुनाएं गए एक बड़े फैसले में अदालत ने कहा है कि ऐसी महिलाएं सीआरपीसी की धारा 125 के अंतर्गत अपने पति से भरण पोषण की मांग कर सकती है, जिसके चलते तलाकशुदा महिलाएं गुजारा भत्ता पाने की हकदार है। देश की सर्वोच्च अदालत ने साफ-साफ शब्दों में कहा है कि देश में केवल सेकुलर कानून ही चलेगा।

बुधवार को सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस बीवी नागरत्ना एवं जस्टिस आगस्टिन गार्ज मसीह की पीठ की ओर से सुना गए फैसले में कहा गया है कि मुस्लिम महिलाएं गुजारा भत्ता पाने के लिए अपने कानूनी अधिकार का इस्तेमाल कर सकती है। वह सीआरपीसी की धारा 125 के अंतर्गत अदालत में याचिका दायर कर सकती है।

सुप्रीम कोर्ट की ओर से साफ तौर पर कहा गया है कि यह धारा सभी विवाहित महिलाओं पर लागू होती है, वह चाहे किसी भी धर्म की क्यों ना हो।

सुप्रीम कोर्ट की ओर से यह फैसला अब्दुल समद नाम के एक मुस्लिम व्यक्ति द्वारा पत्नी को गुजारा भत्ता देने के तेलंगाना हाई कोर्ट के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में दी गई चुनौती को लेकर सुनाया गया है।Full View

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