दंगे के आरोपियों के घर गिराने के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंचा जमीयत

आपराधिक कार्यवाही के अंतर्गत संबंधित की इमारतों को गिराने जैसी कार्यवाही नहीं होनी चाहिए

Update: 2022-04-18 13:36 GMT

नई दिल्ली। मुस्लिम संगठन जमीअत उलमा हिंद की ओर से सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर केंद्र तथा उत्तर प्रदेश एवं मध्य प्रदेश समेत कुछ राज्यों को यह निर्देश दिए जाने का आग्रह किया गया है कि आपराधिक कार्यवाही के अंतर्गत संबंधित की इमारतों को गिराने जैसी कार्यवाही नहीं होनी चाहिए।

सोमवार को सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाने के लिए पहुंचे मुस्लिम संगठन जमीयत उलेमा ए हिंद की ओर से उच्चतम न्यायालय में याचिका दाखिल की गई है। दंगे के आरोपियों के घर गिराने के खिलाफ दायर की गई इस याचिका में उच्चतम न्यायालय से आग्रह किया गया है कि आपराधिक कार्यवाही के अंतर्गत आरोपी की इमारतों को गिराने जैसी कार्यवाही नहीं होनी चाहिए। मध्यप्रदेश में रामनवमी के पर्व पर निकाली जा रही शोभायात्रा के दौरान हुए दंगे के आरोपियों के मकानों एवं दुकानों को बुलडोजर की सहायता से गिराने की हाल ही में की गई कार्यवाही के मद्देनजर जमीयत उलेमा ए हिंद की ओर से दाखिल की गई यह याचिका संबंधित के लिए महत्वपूर्ण हो गई है।

उच्चतम न्यायालय में दाखिल याचिका में जमीयत ने कहा है कि आपराधिक कार्रवाई के अंतर्गत दंड देने के तौर पर आरोपी के घरों को तोड़ने जैसी कार्यवाही का आपराधिक कानून में कोई उल्लेख नहीं है। याचिका में यह भी कहा गया है कि याचिकाकर्ता यह भी घोषणा चाहते हैं कि आवासीय संपत्ति या किसी भी व्यावसायिक संपत्ति को दंडात्मक उपाय के तौर पर नहीं गिराया जा सकता है।

यह भी आग्रह किया गया है कि पुलिसकर्मियों को सांप्रदायिक दंगों एवं उन स्थितियों से निपटने के लिए विशेष प्रशिक्षण प्रदान किया जाए जिनमें लोग भड़क जाते हैं।

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