जब रेप किया तो था मर्द - कानून के शिकंजे में फंसा तो हो गया नामर्द

मुज़फ्फरनगर दंगों में महिला से बलात्कार में अदालत ने 20 साल की सजा सुनाई तो मुलजिम ने साथी मुलजिम को नामर्द करार दे दिया

Update: 2023-05-09 13:52 GMT

मुजफ्फरनगर। साल 2013 के दंगों में महिला से बलात्कार के आरोप में जब अदालत ने 20 साल की सजा सुनाई तो एक मुलजिम ने अपने साथी मुलजिम को नामर्द करार दे दिया।



गौरतलब है कि साल 2013 में मुजफ्फरनगर में कवाल कांड के बाद दंगा हुआ था। इस दंगे में सुल्ताना (महिला का बदला हुआ नाम) निवासी गांव लांक थाना फुगाना जनपद मुजफ्फरनगर के साथ उसके बेटे की गर्दन पर चाकू रखकर 3 लोगों ने बारी-बारी से बलात्कार किया था। इन तीनों के नाम थे कुलदीप, सिकंदर और महेश वीर। पुलिस ने अपनी विवेचना में इन तीनों के खिलाफ चार्जशीट दे दी थी। पुलिस की चार्जशीट में इन तीनों अभियुक्तों के खिलाफ बारी बारी से बलात्कार करने के पर्याप्त साक्ष्य मौजूद थे।

अदालत में गवाही चलनी शुरू हुई तो लेटलतीफी से आजिज आकर पीड़ित महिला ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। जहां से सुप्रीम कोर्ट इस मुकदमे में लेटलतीफी से नाराज हुई और सुप्रीम कोर्ट ने 3 महीने में इसकी सुनवाई पूरी करने के आदेश दिए। इस पूरे मामले में सुप्रीम कोर्ट की एडवोकेट वृंदा ग्रोवर ने अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई । सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद अब मुजफ्फरनगर की स्थानीय अदालत ने चार्जशीट में पर्याप्त साक्ष्य पाते हुए तथा गवाहों के बयान के आधार पर दो अभियुक्त महेश वीर और सिकंदर को 20-20 साल की सजा सुना दी है। इसमें तीसरे आरोपी कुलदीप की मौत हो चुकी है।

जब इन दोनों को पुलिस कस्टडी में अदालत से बाहर लाया गया तो सिकंदर ने कहा कि महेशवीर तो नामर्द है और इसने शादी भी नहीं की है। उसकी वीडियो जब सोशल मीडिया पर आई तो आम लोगों में यही चर्चा है कि जब गैंगरेप की घटना को अंजाम दिया तब महेशवीर मर्द था और अदालत ने 20 साल की सजा सुना दी तो अब उसका साथी ही उसे नामर्द साबित करने पर तुला हुआ है।

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