20 हजार की रिश्वत लेते हुए पकड़ी गई महिला दरोगा बर्खास्त
विभागीय जांच पूरी होने के बाद 20000 रूपये की रिश्वत लेते हुए पकड़ी गई महिला दरोगा को दोषी मानकर पुलिस सेवा से बर्खास्त
इटावा। विभागीय जांच पूरी होने के बाद 20000 रूपये की रिश्वत लेते हुए पकड़ी गई महिला दरोगा को दोषी मानकर पुलिस सेवा से बर्खास्त कर दिया गया है। भ्रष्टाचार के मामले को लेकर शासन की ओर से की गई इस बड़ी कार्यवाही से पुलिस महकमे में हड़कंप मच गया है।
वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक जय प्रकाश सिंह ने बताया है कि वर्ष 2017 में 20 हजार रुपये की रिश्वत लेते पकड़ी गई महिला दारोगा को विभागीय जांच पूरी होने के बाद दोषी मानकर बर्खास्त कर दिया गया। महिला दारोगा दो साल से सैफई थाने में तैनात थी।
उन्होने बताया कि गोरखपुर जिले के बांसगांव क्षेत्र के कौड़ीराम निवासी दारोगा गीता यादव के खिलाफ वाराणसी जिले के शिवपुर थाने में भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत मुकदमा दर्ज हुआ था। इस मामले में उसे जेल भेजा गया था और विभागीय जांच शुरू हो गई थी। जमानत पर गीता जेल से छूटी थी और उसकी तैनाती दोबारा विभाग में हो गई थी। सैफई थाने में वह वर्ष 2019 से तैनात थी। अपर पुलिस आयुक्त मुख्यालय एवं अपराध ने दरोगा गीता यादव को जांच में दोषी पाए जाने पर बर्खास्तगी की रिपोर्ट भेजी, जिस पर उसको बर्खास्त कर दिया गया है।
कैंट रेलवे स्टेशन पर टीटीई पद पर कार्यरत वाराणसी जिले के शिवपुर क्षेत्र के भरलाई निवासी अभिषेक पाठक की पत्नी पूजा ने उन पर, बहन व मां के खिलाफ दहेज उत्पीडऩ का मुकदमा 27 जून, 2017 को दर्ज कराया था। मामले की जांच दरोगा गीता यादव कर रही थीं। अभिषेक ने विवाहिता बहन का नाम मुकदमे से हटाने की गुहार लगाई थी। गीता ने एक लाख रुपये रिश्वत मांगी। मामला 80 हजार रुपये पर तय हुआ। अभिषेक ने 30 हजार रुपये दे भी दिए। इसके बाद गीता बाकी रुपये देने का दबाव अभिषेक पर बनाने लगी और 16 नवंबर, 2017 को उसके घर जा कर धमकी दी थी। अभिषेक पाठक ने 18 नवंबर, 2017 को भ्रष्टाचार निवारण संगठन से शिकायत की। इसके बाद योजना के अनुसार अभिषेक ने अगले ही दिन दरोगा को अपने घर 20 हजार रुपये देने के लिए बुलाया। भ्रष्टाचार निवारण संगठन की टीम ने घूस लेते हुए रंगे हाथ गिरफ्तार कर लिया था।