अनियंत्रित बस खाई में पलटी, मचा हा हाकार, घायल कराये अस्पताल में भर्ती
बस में से घायल अवस्था में निकाले गए यात्रियों को अस्पताल में भर्ती कराया गया है। जिनमें से 5 यात्रियों की हालत चिंताजनक बताई जा रही है।
मुरादाबाद। यात्रियों को लेकर तेज रफ्तार के साथ सडक पर फर्राटा भर रही डबल डेकर बस अचानक से अनियंत्रित होकर सड़क किनारे बने खाई में जाकर पलट गई। जिससे बस में बैठे यात्रियों में चीख-पुकार मच गई। रात के सन्नाटे में यात्रियों के चीखने चिल्लाने की आवाज सुनकर मौके पर पहुंचे लोगों ने पुलिस को सूचना देते हुए बस में फंसे यात्रियों को बाहर निकालना शुरू कर दिया। इसी बीच एंबुलेंस के साथ पुलिस भी मौके पर पहुंच गई। बस में से घायल अवस्था में निकाले गए यात्रियों को अस्पताल में भर्ती कराया गया है। जिनमें से 5 यात्रियों की हालत चिंताजनक बताई जा रही है।
लखनऊ-दिल्ली नेशनल हाईवे पर तेज रफ्तार एक डबल डेकर बस 20 फीट गहरी खाई में जाकर पलट गई। जिससे भीतर बैठे यात्रियों में मदद के लिये हा हाकार मच गया। देर रात अचानक हुए इस हादसे की जानकारी वहां से गुजर रहे दूसरे वाहन सवारों ने घटनास्थल से थोड़ी दूरी पर ही स्थित नेशनल हाईवे के टोल प्लाजा पर जाकर दी। हादसे की सूचना मिलते ही टोल प्लाजा के अधिकारियों ने इसकी जानकारी मुरादाबाद पुलिस को दी। बस हादसे की सूचना मिलते ही मुरादाबाद पुलिस अधिकारियों के साथ ही स्वास्थ विभाग, फायर ब्रिगेड, परिवहन विभाग के अधिकारी भी घटनास्थल पर पहुंच गए और वहां पलटी हुई बस में सवार 100 से ज्यादा यात्रियों को जैसे-तैसे बस से बाहर निकाला। मौके पर 5 एंबुलेंस से घायलों को मुरादाबाद और रामपुर के जिला अस्पताल भेजा गया। गंभीर रूप से घायल 20 से अधिक यात्रियों को अस्पताल में भर्ती कराया गया है। दो यात्रियों की नाजुक हालत देखते हुए उन्हें हायर सेंटर के लिए रेफर कर दिया गया।
घायल यात्रियों ने बताया कि वह सीतापुर से आ रही बस में बरेली से सवार हुए थे। बस तेज गति से चल रही थी। रास्ते में बस का चालक बदला गया था। चालक बदलने के थोड़ी देर बाद ही बस अचानक सड़क पर लगे क्रैश बैरियर से टकरा गई और उसे तोड़ते हुए नीचे खाई में जाकर पलट गई। हादसे के बाद मौके चीख़ पुकार मच गई। सड़क से नीचे गड्ढे में भरे पानी में बस पलटने से यात्रियों ने बस की सीट पानी में डालकर उनके सहारे बाहर निकले। बस यात्रियों का सामान जहां तहां पड़ा नज़र आ रहा था। सबको ही अपनी जान बचाने की फ़िक्र थी। यात्री अपना सामान ऐसे ही छोड़कर चले गए।