सरकारी धन को खातों में जमा करने पर दो आरोपी गिरफ्तार
फर्जी खातें में जमा करने का प्रयास करने वाले गिरोह का पर्दाफाश करते हुए दो आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया।
लखनऊ। उत्तर प्रदेश पुलिस की स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) ने राज्य मार्ग प्राधिकरण के 125 करोड़ रुपये के बैंक ड्राफ्ट अवैध रूप से प्राप्त कर प्राधिकरण तथा बैंक कर्मियों की मिलीभगत से उन्हें फर्जी खातें में जमा करने का प्रयास करने वाले गिरोह का पर्दाफाश करते हुए दो आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया।
एसटीएफ प्रवक्ता ने आज यहां यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि पंजाब नेशनल बैंक के धोखाधड़ी जोखिम प्रबंधन, कक्ष मण्डल कार्यालय नई दिल्ली द्वारा वित्त नियंत्रक को प्राधिकरण के नाम से फर्जी खाता खोलने और 125 2554647 का बैंक ड्राफ्ट आहरित कराने सम्बन्धी सूचना दी गई थी। इस सम्बन्ध में लखनऊ के महानगर थाने पर भारतीय दण्ड विधान की धारा 420,467,468,471 के तहत मुकदमा दर्ज कराया गया था।
उन्होंने बताया कि इस प्रकरण की जांच के लिए अपर मुख्य सचिव (गृह) द्वारा इस धोखाधड़ी की जांच एवं विधिक कार्रवाई के लिए एसटीएफ को निर्देशित किया गया था। इस सम्बन्ध में एसटीएफ की विभिन्न टीमों एवं इकाईयों को अभिसूचना संकलन के लिए लगाया गया था। जिसके अनुपालन में एसटीएफ के पुलिस उपाधीक्षक दीपक सिंह के पर्यवेक्षण में निरीक्षक हेमन्त भूषण सिंह के नेतृत्व में एक टीम को कार्रवाई करने के लिए गठित किया गया। इसी क्रम में
सूचना संकलन एवं अन्य माध्यम से जानकारी मिली की सरकारी संस्थाओं के रूपयों की बैंक एवं सम्बंधित विभागों के कर्मियों एवं दलालों की मिलीभगत से अधिक कमीशन दिलाने का प्रलोभन देकर सरकारी धनराशि की बंदर-बाँट करने वाला एक गिरोह राष्ट्रीय स्तर पर सक्रिय है और गिरोह के सदस्य लखनऊ के फातिमा रेलवे क्रासिंग के पास मौजूद हैं।
प्रवक्ता ने बताया कि सूचना के बाद एसटीएफ की टीम ने मंगलवार शाम करीब सवार सात बजे फातिमा रेलवे क्रासिंग के पास से आरोपी बुलंदशहर निवासी अमरनाथ गुप्ता उर्फ अनिल गोयल जो फिलहाल जीटीबी एन्कलेव जनता फलैटस दिल्ली में रहता को उसके साथी लखनऊ निवासी प्रभाष चन्द्र श्रीवास्तव के साथ गिरफ्तार कर लिया। उनके कब्जे से दो मोबाइल फोन, कुछ नकदी और एक महंगी कार बरामद की।
उन्होंने बताया कि गिरफ्तार जालसालों ने विस्तृत पूछताछ पर बताया गया कि इन लोंगो का एक संगठित गिरोग है, जिसके द्वारा सरकारी संस्थाओं के खातों में उपलब्ध धनराशियों का एफडीआर बनवाकर अधिक ब्याज दर दिलाने एवं अवैध रूप से प्राप्त कमीशन का आपस में बन्दर बाट करने का प्रलोभन देकर सरकारी संस्थाओं की अन्य बैंको में जमा धनराशि का एफडीआर प्राप्त कर लेते है। फिर गिरोह में शामिल बैंक कर्मियों की मिली-भगत से उस संस्था का फर्जी अथाॅरिटी लेटर तैयार कर अन्य दूरस्थ बैंको में खाता खुलवाते हैं फिर प्राप्त एफडीआर को उस फर्जी खाते में आहरित करा लेते हैं। इसी क्रम में 26.05.2020 को उत्तर प्रदेश राज्य मार्ग प्राधिकरण की 1252554647 रुपये की धनराशि जीबी मार्ग पीएनबी, हजरतगंज में मेच्योर्ड हुए एफडीआर को पुनः 185 दिन के लिए एफडी बनाने के लिए दो जून 2020 को पत्र के माध्यम से शाखा प्रबंधक से वित्तीय नियंत्रक द्वारा अनुरोध किया गया। जिस पर 11.06.2020 पीएनबी बैंक के खाखा प्रबंधक अजय कुमार दीक्षित से प्रभाष ने बैंक ड्राफ्ट मूल ड्राफ्ट प्राप्त कर लिया था।
उन्होंने बताया इस सरकारी धनराशि के इस ड्राफ को बेईमानी से प्राप्त करने के बाद गिरोह के सदस्यों की सहायता से द्वारिका नई दिल्ली स्थित पीएनबी ब्रांच में अपने जानने वाले अमर नाथ गुप्ता को उपलब्ध कराया था और अमर नाथ गुप्ता ने द्वारिका स्थित पीएनबी के बैंक मैनेजर एवं दिल्ली में रहने वाले गिरोह के सदस्यों की सहायता से अमरनाथ गुप्ता की पहचान अनिल गोयल के रूप में कराकर फर्जी आधार कार्ड पैन कार्ड एंव वित्त नियंत्रक/सचिव (वित्त) के नाम से
विभिन्न प्रकार के कागज तैयार कर एक खाता खुलवाया। उसके बाद बैंक ड्राफ्ट को अमर नाथ और अनिल गोयल के खोले गये फर्जी खाते में आहरित करने के लिए लगाया गया था।
प्रवक्ता ने बताया कि खाता बन्द होने पर इस अवैध कार्य में संलिप्त बैंक कर्मियों से पूछने पर बताया गया की खाते में अधिक धनराशि की डीडी लगाये जाने के कारण धोखाधड़ी जोखिम प्रबंधन कक्ष (पीएनबी) के डिप्टी सर्किल प्रमुख ने डीडी जारी करने वाले बैंक (पीएनबी जीबी मार्ग) एंव प्रियरंजन कुमार को अनिल गोयल एंव उपरोक्त खाते की पुष्टि के सम्बंध में ई-मेल किया गया था। जिससे इस प्रकार की धोखाधड़ी प्रकाश में आयी तथा रूपयाें के आहरण पर रोक लगा दी गई थी। बाद में वह रूपया पीएनबी जीबी मार्ग से पुनः पीएनबी महानगर को ट्रांसफर किया गया। पीएनबी महानगर को यह रूपया 23 जून को जीबी मार्ग द्वारा ट्रांसफर किया गया तथा अपनी गलती छिपाने के लिए एफडीआर को बैक डेट 11 जून से बना दिया।
उन्होंने बताया कि आरोपी प्रभाष ने बताया की हम लोगो के माध्यम से एफडीआर बनवाने पर प्रति करोड़ लगभग 05 से 06 हजार रूपये संस्था के अधिकारी एंव कर्मचारी को प्राप्त होते हैं। इसी लालच में आकर पूर्व में भी चेक क्लोन एवं एफडीयों को फर्जी खातों में भुगतान कराया जा चुका है। आरोपियों के व्हाट्सऐप को चेक करने पर शासन के पत्र एवं रूपयों की जानकारी पायी गई है। व्हाट्सऐप चैट के माध्यम से पता चला है कि अभियुक्तों ने धोखाधड़ी से प्राप्त रूपयों से एक ऑडी कार एवं एक बीएमडब्लू कार भी खरीदी है। गिरफ्तार अभियुक्तों को महानगर कोतवाली लखनऊ में दर्ज 420,467,468,471,120बी व 34 भादंवि में दाखिल करा दिया गया। आगे की कार्रवाई स्थानीय थाना स्तर से की जा रही है।