वैक्सीन कंपनी के खिलाफ हत्या के प्रयास को लेकर थाने में तहरीर
एक शख्स ने कोरोना वैक्सीन लगने के बाद भी एंटीबॉडी नहीं बनने का हवाला देते हुए
लखनऊ। लखनऊ के एक शख्स ने कोरोना वैक्सीन लगने के बाद भी एंटीबॉडी नहीं बनने का हवाला देते हुए वैक्सीन कंपनी के खिलाफ थाने में तहरीर दी है। कंपनी के साथ-साथ आईसीएमआर विश्व स्वास्थ्य संगठन और राज्य-केंद्र के अधिकारियों के खिलाफ भी लखनऊ में धोखाधड़ी और जान से मारने की प्रयासों के तहत हत्या का केस दर्ज करने की अर्जी दी है। मामला हाईप्रोफाइल होने की वजह से शख्स ने लखनऊ कैंट सीओ से भी शिकायत की है।
शिकायत में बताया गया कि प्रताप चंद्र नाम के एक शख्स ने कोविड-19 वैक्सीन अप्रैल को लगवाई दूसरी। डोज की डेट 28 दिन बाद दी गई थी, लेकिन उसे 6 हफ्ते बाद देने को कहा गया। अब सरकार ने ऐलान किया 6 की बजाय 12 हफ्ते बाद दूसरी वैक्सीन लगेगी। शिकायतकर्ता के मुताबिक मुताबिक उसके शरीर में प्लेटलेट्स 3 लाख थी वैक्सीन लगवाने से पहले मगर वैक्सीन लगवाने के बाद एंटीबॉडी नहीं बनी और उसके शरीर में प्लेटलेट पहले से भी कम हो गई। अब प्लेटलेट्स डेढ़ लाख रह गई। जिससे उसकी जान को खतरा है।
अब उस युवक ने अपनी जान खतरा बताते हुए थाने में तहरीर दी है। अपनी रिपोर्ट में जिक्र किया है कि जिसकी मंजूरी के बाद वैक्सीन को लगाने की अनुमति मिली थी, यह मामला अधिकारियों के संज्ञान में जिसके बाद आगे की कार्रवाई की जा सकती है। शख्स ने कहा कि FIR नही हुई तो वह कोर्ट का भी दरवाजा खटखट आएगा। युवक का कहना है कि आईसीएमआर और स्वास्थ्य विभाग के अनुसार वैक्सीन लगवाने से एंटीबॉडी डिवेलप होती है। कोरोना से बचने का सुरक्षा कवच तैयार होता है। उसकी लेकिन एंटीबॉडी नहीं बनी। उल्टा प्लेटलेट्स भी घट गई। युवक का कहना है कि अब कभी भी उसकी मौत हो सकती है। यह हत्या के प्रयास का विषय है।
इस मामले में जब सीओ कैंट डॉक्टर अर्चना सिंह से बात की गई तो उनके अनुसार उनके पास किसी का फोन आया था। इस बारे में उन्हें पूरी जानकारी नहीं है। सीओ ने पूरे प्रकरण को देखने के लिए बोला है।