छात्रों के जीवन को लेकर प्रियंका चिंतित-शिक्षा मंत्री को भेजा पत्र
अगर सरकार विद्यार्थियों, अभिवावकों एवं शिक्षकों की बात को नजरंदाज करके परीक्षाओं को कराने के लिए आगे बढ़ती है
नई दिल्ली। सीबीएसई व सीआईएसई की 12वीं की बोर्ड परीक्षाओं को लेकर चल रही गहमागहमी के बीच कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव एवं उत्तर प्रदेश प्रभारी प्रियंका गांधी वाड्रा ने छात्र-छात्राओं के जीवन और भविष्य के प्रति चिंतित होते हुए केंद्रीय शिक्षा मंत्री को एक पत्र लिखा है। जिसमें उन्होंने कहा है कि यदि सरकार छात्र छात्राओं व उनके अभिभावकों की आवाज को नजरअंदाज करते हुए बोर्ड परीक्षा कराती है तो यह विद्यार्थियों के साथ बहुत बड़ी नाइंसाफी होगी और विद्यार्थियों व शिक्षकों एवं उनके परिवारों के जीवन को परीक्षा कराकर खतरे में डालने के लिए सरकार जिम्मेदार होगी।
सोमवार को कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव एवं उत्तर प्रदेश प्रभारी प्रियंका गांधी वाड्रा ने केंद्रीय शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक को पत्र लिखकर सीबीएसई 12वीं बोर्ड परीक्षाएं कराए जाने के संबंध में विद्यार्थियों, अभिवावकों एवं शिक्षकों की बात सुनने की बात कही है। उन्होंने कहा है कि अगर सरकार विद्यार्थियों, अभिवावकों एवं शिक्षकों की बात को नजरंदाज करके परीक्षाओं को कराने के लिए आगे बढ़ती है तो उनके जीवन को खतरे में डालने की जिम्मेदारी सरकार की होगी।गौरतलब है कि कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने विद्यार्थियों एवं उनके अभिवावकों से सीबीएसई 12वीं बोर्ड परीक्षाओं के बारे में अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर सुझाव मांगे थे और कहा था कि वो इन सुझावों को शामिल कर केंद्रीय शिक्षा मंत्री को पत्र लिखेंगी।
कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने अपने पत्र में कहा कि विद्यार्थियों और उनके माता-पिता के इन सुझावों को देखकर आप इन परिस्थितियों में परीक्षाएं कराने संबंधी मानवीय, भावनात्मक एवं मनोवैज्ञानिक दृष्टिकोण समझ सकते हैं। प्रियंका गांधी वाड्रा ने इस पत्र में यूपी के पंचायत चुनावों में कोरोना के चलते हुई मौतों का उदाहरण देते हुए कहा कि पंचायत चुनावों में कई शिक्षकों को जबरन चुनाव ड्यूटी के लिए भेजा गया था। इस लापरवाही के चलते उप्र में 1600 से अधिक शिक्षकों की मृत्यु हो गई।
कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने अपने पत्र में विद्यार्थियों, अभिवावकों एवं शिक्षकों द्वारा दिए गए इन सुझावों का सार प्रस्तुत करते हुए कुछ महत्वपूर्ण सुझावों को केंद्रीय शिक्षा मंत्री को लिखकर भेजा है। कुछ सुझाव निम्नलिखित हैं भीड़भाड़ वाले परीक्षा केंद्रों पर परीक्षा देने की परिस्थितियां पूरी तरह से असुरक्षित होंगी। कई विद्यार्थियों ने सुझाया है कि अन्य देशों की तरह ही आंतरिक मूल्यांकन को मूल्यांकन का आधार बनाया जा सकता है क्योंकि इन परिस्थितियों में परीक्षाओं से विद्यार्थियों पर भारी मनोवैज्ञानिक दबाव है। कई सारे विद्यार्थियों ने सुझाया है कि एक व्यापक रणनीति बनाकर सभी विद्यार्थियों को वैक्सीन लगाकर परीक्षाओं के लिए भेजा जाए। हालांकि इसके लिए काफी देर हो चुकी है लेकिन 2022 की परीक्षाओं के लिए यह रणनीति काम कर सकती है। उन्होंने सुझाव दिया है कि छत्तीसगढ़ सरकार की तरह ओपन बुक एग्जाम की विधि की संभावनाओं पर भी विचार किया जा सकता है। कई विद्यार्थियों ने बताया कि वे अपने प्रियजनों एवं परिजनों को कोरोना की दूसरी लहर में खो चुके हैं और परीक्षाएं देने की हालत में नहीं हैं। कई विशेषज्ञों ने कोरोना की तीसरी लहर के दुष्प्रभाव बच्चों पर होने का अनुमान लगाया है। इन परिस्थितियों में परीक्षाएं कराने से तीसरी लहर की संभावना और प्रबल हो सकती है। कई सारे विद्यार्थी इन परिस्थितियों के चलते अवसादग्रस्त हो गए हैं। ऐसे में उनको परीक्षाओं में धकेलना घोर अमानवीय होगा। कुछ अभिवावकों का कहना है कि यदि सरकार इन परिस्थितियों में बच्चों को जबरन परीक्षाओं के लिए भेजती है तो किसी भी नुकसान की कानूनी जिम्मेदारी सरकार एवं सीबीएसई को लेनी होगी। प्रियंका गांधी वाड्रा ने कहा कि ये हमारी युवा पीढ़ी है। इसको सुरक्षित रखने की जिम्मेदारी सरकार की है। इन परिस्थितियों में विद्यार्थियों की जान खतरे में डालकर सरकार द्वारा उन्हें जबरन परीक्षाओं के लिए धकेलना उचित कदम नहीं होगा।