जल जीवन मिशन के तहत यूपी से कोई टेंडर नहीं किया गया: महेन्द्र सिंह
राज्य में जल जीवन मिशन के अंतर्गत आज तक कोई भी टेंडर नहीं किया गया है।
लखनऊ। आम आदमी पार्टी (आप) सांसद संजय सिंह के भ्रष्टाचार के आरोपों को सिरे से नकारते हुये उत्तर प्रदेश के जलशक्ति मंत्री डा महेन्द्र सिंह ने सोमवार को कहा कि राज्य में जल जीवन मिशन के अंतर्गत आज तक कोई भी टेंडर नहीं किया गया है।
डा महेन्द्र सिंह ने यहां पत्रकारों से कहा कि आप सांसद ने उनके विभाग और उन पर जो आरोप लगाए हैं, वे सत्य से कोसों दूर हैं। विभाग ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के हर घर को स्वच्छ जल देने के सपनों को आगे बढ़ाया है मगर कुछ लोग यह नहीं चाहते कि लोगों के घर तक पानी पहुंचे।
उन्होने कहा कि रश्मि मेटलीक्स को हजारों करोड़ रूपये का ठेका देने का आरोप सरासर मनगढंत है। वास्तव में उत्तर प्रदेश में जल जीवन मिशन के अंतर्गत आज तक कोई भी टेंडर नहीं किया गया है। उत्तर प्रदेश में ईपीसी मोड पर कार्य किया जा रहा है। कंपनियाें की पसंद होती है कि वह किस से सामान खरीदें और किससे ना खरीदें। इसके अलावा एलटीसी जो कंपनियां काम कर रही हैं अगले 10 वर्ष तक वही उसका मेंटेनेंस और रखरखाव भी देखेंगे। इस तरह से उत्तर प्रदेश में आज तक कोई भी टेंडर नहीं किया गया।
उन्होंने कहा कि संजय सिंह को पता होगा कि 12000 करोड़ रुपए का घोटाला उन्होने कहां से निकाला है। अब तक बुंदेलखंड में 15000 करोड रुपए का डीपीआर बना है। यह भी झूठ है। वह किसी भी कंपनी के पक्ष में बोलने के लिए नहीं बैठे हैं।
मंत्री ने कहा कि आप नेता ने आठ राज्यों में ब्लैक लिस्टेड कागज दिखाए हैं, उनमें जम्मू कश्मीर सरकार ने कहीं भी कंपनी को ब्लैक लिस्टेड नहीं लिखा है वही हिमाचल प्रदेश ने कहा है कि इनका कार्य संतोषजनक है। झारखंड में भी दो कागज जारी किए हैं जिसमें एक कागज में कुछ दिन के लिए काम रोका गया जबकि दूसरे में कार्य करने के लिए मंजूरी दी गई। पश्चिम बंगाल में जो कागज जारी किए हैं जिसमें लिखा है कि भूलवश पहला आदेश जारी हो गया वहीं मध्यप्रदेश और उडीसा में दूसरा आदेश जारी कर मंजूरी दी गयी।
उन्होने कहा कि वर्ष 2012 और 13 में सरफेस वाटर के लिए दो स्कीम बनाई गई थी जो मऊ और बरकट नाम की थी। ये लगभग 200 करोड़ रुपए की स्कीम थी। जल निगम उसका कार्य कर रहा था जिसमें आज तक उस लोगों के घर तक पानी नहीं पहुंचा है और यह एक बड़ा घोटाला था एक लाख 25 हजार करोड़ रुपए की चित्रकूट की जो योजना थी वह 10 साल पहले बनाई गई थी उसकी आज जांच शुरु है। 50 हजार रूपये प्रति घर कनेक्शन के हिसाब से उत्तर प्रदेश सरकार कार्य कर रही है वहीं 125000 के हिसाब से 10 साल पहले जल निगम कार्य कर रही थी जो आज तक जांच के घेरे में हैं ऐसी एजेंसी को काम देने के लिए संजय सिंह ने आरोप लगाया है।
डा महेन्द्र सिंह ने दावा किया कि यूपी में अलग-अलग मंडलों में अलग-अलग दरें तय थी लेकिन सरकार ने जिन कंपनियों के टेंडर को सबसे न्यूनतम दर से प्राप्त हुए,उनके आधार पर पूरे प्रदेश में लागू किया। टीपीआई द्वारा क्वालिटी कंट्रोल प्रोजेक्ट मैनेजमेंट जांच कर रिपोर्ट देना कार्यालय स्थापित करना भी किया जाता है। मध्य प्रदेश और आंध्र प्रदेश के टीपीआई के स्तर पर यूपी में दरों को देखना चाहिए।
गौरतलब है कि आप सांसद संजय सिंह ने रविवार को उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा 'जल जीवन मिशन' में हजारों करोड़ रुपए का घोटाला का आरोप लगाते हुए इसकी सीबीआई जांच की मांग की थी। उन्होने कहा था कि पानी पिलाना पुण्य का काम है मगर योगी सरकार ने इसमें भी बड़ा घोटाला किया और अपने मंत्रियों और अफसरों को लूट करने की खुली छूट दे दी।
वार्ता