स्वच्छ भारत मिशन के तहत मुजफ्फरनगर फेल- योगी के मंत्री ने जताई थी नाराजगी

यदि मुजफ्फरनगर की बात करें तो ऐसा लगता है जैसे की यहां पर स्वच्छ भारत मिशन की शुरूआत ही नहीं हुई हो

Update: 2021-08-21 12:53 GMT

मुजफ्फरनगर। भारत सरकार द्वारा राष्ट्रीय स्तर पर स्वच्छ भारत अभियान चलाया गया है। इसकी शुरूआत 2 अक्टूबर 2014 को की गई थी। इस अभियान का उद्देश्य शहरों व गांवों की गलियों, सड़कों तथा अधोसंरचना को साफ-सुथरा करना और कूडा साफ रखना है। ताकि लोगों को साफ-सफाई रहने से स्वास्थ्य सम्बंधी समस्याओं से होकर गुजरना न पड़े। इस अभियान को चले हुए लगभग 7 वर्ष से अधिक हो चुके हैं। यदि मुजफ्फरनगर की बात करें तो ऐसा लगता है जैसे की यहां पर स्वच्छ भारत मिशन की शुरूआत ही नहीं हुई हो।


मुजफ्फरनगर में किसी भी दिशा से घुसते ही रास्ते पर लगे कूडे और गंदगी के ढेर आंगतुक का स्वागत करते हुए दिखाई देते हैं, जिनसे उठ रही बदबू के चलते इंसान का शहर में घुसना दुस्वार हो जाता है। बरसात के दिनों में गंदे पानी से लबलबाते नाले इस बात की तस्दीक करते हैं कि नाले व नालियों की सफाई पर किया गया खर्च बेमतल ही किया गया है। शहर में कई जगह ऐसी है जहां बड़े पैमाने पर स्वच्छ भारत मिशन योजना की पेंटिग कराई गई लेकिन स्वच्छ भारत मिशन के नियमों का जरा-सा भी पालन नहीं किया गया है। शहर में घुसते ही ईदगाह चौराहा, शिव चौक के निकट डाकखाने के पास, सिटी सेंटर के सामने आपको कूड़े के ढेर लगे मिलेंगे, जिनस उठ रही बदबू से वहां से निकलना दुस्वार हो जाता है। शहर में आसपास के गांव व कस्बों से आये लोगों को जब इस गंदगी से उठती बदबू दम घोटती हुई नजर आती है, तो वह अपने गांव को ही शहर से बेहतर बताते हुए वहां से निकल जाते हैं। इन स्थानों से निकलना इतना मुश्किल हो जाता है कि उसे मजबूरी में अपनी नाक ही बंद करनी पड़ती है। गजब की बात तो यह है कि जहंा पर यह गंदगी के ढेर लगे हुए हैं। उसी के पास आपको स्वच्छ भारत मिशन योजना हुई पुताई दीवारों पर मिलेगी। अगर आप स्वच्छ भारत मिशन के पुताई की बात करोगे तो मुजफ्फरनगर शायद इसमें अव्वल आ सकता है।


लोगों को कहना है कि इसकी शिकायत होने पर इस पर कोई कार्रवाई नहीं की जाती है। इतना ही नहीं बल्कि अगर आप खालापार और किदवईनगर में घुस जाते हैं तो आपको वहां से निकलना मुश्किल हो जायेगा क्योंकि जगह-जगह कूडे का अंबार लगा हुआ है। किदवईनगर में कब्रिस्तान के पास लगभग 100 मीटर के दायरे में कूड़े व गंदगी से सड़क का बुरा हाल रहता है। शहर में कूडे के ढेरों से हो रही गंदगी से मच्छर पैदा हो रहे है और लोगों को विभिन्न प्रकार की बीमारियों को सामना करना पड़ रहा है। एक तरफ तो भारत सरकार का स्वच्छ भारत अभियान चला हुआ और दूसरी तरफ शहर में कूडे का अंबार लगा हुआ है। लेकिन आपको वहां साफ-सफाई की व्यवस्था नहीं मिलेगी। इस अभियान को 7 वर्ष के लगभग हो चुके हैं। अगर साफ-सफाई को लेकर मुजफ्फरनगर में गंभीर प्रयास किया जाते तो शायद कोई भी व्यक्ति मुजफ्फरनगर की साफ-सफाई को लेकर इसके कर्ता-धर्ताओं की बुराई करता नहीं मिलता।


कुछ दिन पूर्व शहर में आये योगी आदित्यनाथ मंत्रिमंडल के नगर विकास मंत्री आशुतोष टंडन ने नगर की साफ-सफाई को लेकर नाराजगी जताई थी और सार्वजनिक मंच से इस बाबत उन्होंने अपने दो टूक विचार व्यक्त करते हुए पालिका को इसके लिये नसीहत भी दी थी। आमतौर पर देखा जाता है कि जब कोई मंत्री या उच्चाधिकारी शहर में आता है, तो उनके गुजरने वाले क्षेत्र में विशेषतौर पर साफ-सफाई कराते हुए अपनी अक्षमता का पर्दा डालने का प्रयास किया जाता है। जिस दिन किसी विशिष्ट व्यक्ति के आने पर शहर की सड़कों की साफ-सफाई हुई लोगों को दिखाई देती है तो एक बार भी वह असंमजस में पड़ जाते हैं कि वह किसी अजनबी शहर में तो नहीं आ गया है कि उसकी आंखों को शहर में गंदगी देखने की आदत पड़ चुकी है। हालांकि शहर की साफ-सफाई के मामले में अपनी नाकामयाबी पर पालिका की ओर से नगर विकास मंत्री के दौरे के दौरान पर्दा डालने की कोशिशों के तहत उनके गुजरने वाले काफिले के क्षेत्र में साफ-सफाई कराई गई थी लेकिन उन्होंने अपनी पैनी आंखों से पालिका की यह कारगुजारी देख ली थी, जिसके चलते उन्होंने निर्देश दिये थे कि जल्द से जल्द शहर की पब्लिक को गंदगी से निजात दिलाई जाये। अब देखने वाली बात यह रह गई है कि नगर विकास मंत्री के निर्देशों के बाद भी काफी वर्षों से गंदगी का सामना कर रही पब्लिक को अभी आखिर और कितने वर्षों तक इस गंदगी का सामना करना पडेगा।  



Tags:    

Similar News