हाथरस के बहाने रालोद को एक कर रहे जयंत

पूर्व सांसद और आरएलडी के उपाध्यक्ष जयंत चौधरी पर पुलिस वालों ने जिस तरह अचानक और बर्बर लाठीचार्ज किया था

Update: 2020-10-10 03:44 GMT

लखनऊ। हाथरस पीड़िता के परिवार से मिलने उनके गांव पहुंचे पूर्व सांसद और आरएलडी के उपाध्यक्ष जयंत चौधरी पर पुलिस वालों ने जिस तरह अचानक और बर्बर लाठीचार्ज किया था, उसे लेकर पश्चिम यूपी की सियासत गर्म हो गई है। मुजफ्फरनगर में 8 अक्टूबर को लोकतंत्र बचाओ महापंचायत कर आरएलडी ने जाट समुदाय का स्वाभिमान जगाकर उन्हें एकबार फिर से एकजुट करने का दांव चला है। जयंत चौधरी के पक्ष में जिस तरह से कई दलों के नेताओं के साथ-साथ हरियाणा, राजस्थान और पश्चिम यूपी के तमाम जाट समुदाय के लोग खड़े नजर आए हैं, उसके राजनीतिक मायने भी निकाले जा रहे हैं?

दरअसल मुजफ्फरनगर दंगे के बाद जाट समुदाय आरएलडी का साथ छोड़कर बीजेपी के पक्ष में एकजुट हुआ तो चौधरी चरण सिंह की विरासत संभालने वाले चौधरी अजित सिंह और जयंत चौधरी भी अपनी सीट नहीं बचा पाए थे। एक के बाद एक चुनाव में मिली हार के बाद आरएलडी के सियासी वजूद पर ही सवाल खड़े होने लगे। वहीं, चौधरी अजित सिंह सियासी तौर पर लगभग रिटायर होने की कगार पर खड़े हैं, जिसके चलते पश्चिम यूपी में आरएलडी की खोई सियासी जमीन को वापस लाने की जिम्मेदारी जयंत चौधरी के कंधों पर है। वो भले ही दो लोकसभा चुनाव हार गए हों, लेकिन चौधरी चरण सिंह के चलते आज जाट समुदाय का एक तबका उन्हें अपना नेता मानता है। ऐसे में जयंत चौधरी अपनी पार्टी को दोबारा से खड़ा करने के लिए पश्चिम यूपी में संघर्ष कर रहे हैं।

कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी और महासचिव प्रियंका गांधी के हाथरस पीड़िता के गांव जाने के बाद 4 अक्टूबर को जयंत चौधरी कार्यकर्ताओं के साथ वहां पहुंचे थे। जयंत पीड़िता के गांव में जब पत्रकारों से बात कर रहे थे तभी पुलिस ने अचानक लाठीचार्ज कर दिया था। पुलिस के इस लाठीचार्ज से लोग सकपका गए थे और जयंत चौधरी को उनके पार्टी के कार्यकर्ताओं ने घेर लिया था ताकि लाठीचार्ज से बच सके। जयंत चौधरी पर लाठीचार्ज के विरोध में उसी दिन से पश्चिमी उत्तर प्रदेश में कई जगहों पर आरएलडी कार्यकर्ताओं ने प्रदर्शन शुरू कर दिया था। इस प्रकार 2014 से मिल रही चुनावी हार से पस्त पड़ी आरएलडी के लिए जाट समुदाय का बीजेपी के खिलाफ स्वाभिमान जगाने का मौका हाथ लग गया। मुजफ्फरनगर की महापंचायत में हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह के बेटे और कांग्रेस सांसद दीपेंद्र सिंह हुड्डा और ओम प्रकाश चौटाला के बेटे अभय सिंह चौटाला भी पहुंचे थे। इसके अलावा सपा के पूर्व सांसद धर्मेंद्र यादव भी उपस्थित थे। इन सभी लोगों ने जाट स्वाभिमान को मुद्दा बनाने का दांव चला। पंचायत में आए नेताओं में से ज्यादातर ने एकसुर में कहा कि जाट समाज के मान सम्मान से कोई समझौता नहीं किया जाएगा। जाट समुदाय के नेताओं ने यूपी की योगी सरकार को चेताया कि लाठीचार्ज से किसान समाज की आवाज को दबाया नहीं जा सकता। ऐसा करने पर सूबे की सत्ता भाजपा के पास नहीं रहेगी। सभी नेताओं ने कहा कि यहां भाईचारा मजबूत है। अत्याचार के खिलाफ डटकर खड़े रहने और हम साथ-साथ हैं का संदेश दिया गया है। साथ ही चुनाव में सबक सिखाने की चेतावनी और सड़कों पर जंग लड़ने का एलान भी आरएलडी ने कर दिया है। ऐसे में देखना होगा कि जयंत चौधरी इस कवायद के जरिए जाट समुदाय को अपने साथ जोड़ पाने में कितना सफल रहते हैं। (हिफी)

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