उत्पादन तथा उत्पादकता दोनों को बढ़ाना जरूरीः सूर्य प्रताप शाही
जल के संरक्षण के लिए मुख्यमंत्री द्वारा लांच की गयी अमृतसरोवर योजना का भी उल्लेख किया गया।
लखनऊ। कृषि क्षेत्र को जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों से निपटने के लिए ठोस कार्ययोजना बनाए जाने की आवश्यकता है। यह बात प्रदेश के कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही ने राज्य स्तरीय रबी उत्पादकता गोष्ठी-2022 के दौरान कही। उन्होंने जिलाधिकारियों को निर्देशित किया कि वह अपने जनपद की फसलवार उत्पादकता का आंकलन करें और देखे की किन-किन फसलों की उत्पादकता राष्ट्रीय स्तर और प्रदेश स्तर से कम है। उनका मुख्य फोकस प्रदेश की उत्पादकता कैसे बढ़े इस पर होना चाहिए। प्राकृतिक संसाधनों के दोहन पर चिन्ता व्यक्त करते हुये उनके द्वारा बताया गया कि प्रदेश में देश की 17 प्रतिशत आबादी के लिए 03 प्रतिशत ही भू-जल उपलब्ध है। जल के संरक्षण के लिए मुख्यमंत्री द्वारा लांच की गयी अमृतसरोवर योजना का भी उल्लेख किया गया।
राज्य स्तरीय रबी उत्पादकता गोष्ठी- 2022 का आयोजन कृषि उत्पादन आयुक्त की अध्यक्षता में कृषि निदेशालय के प्रेक्षागृह में किया गया। कृषि निदेशक, उ0प्र0 द्वारा सभी प्रतिभागियों का स्वागत करते हुये प्रदेश की रबी हेतु रणनीति पर चर्चा करते हुये बताया गया कि प्रदेश में बीज एवं खाद की पर्याप्त व्यवस्था कर दी गयी है। किसानों को रबी की बुवाई में किसी भी निवेश की कमी का सामना नहीं करना पड़ेगा। उन्होंने अधिकारियों को पराली प्रबन्धन हेतु किसानों को जागरूक करने के निर्देश दिये तथा पराली में आग की घटनाओं के प्रति सजग रहने की अपेक्षा की गयी।
कृषि उत्पादन आयुक्त मनोज कुमार सिंह ने इस अवसर पर बताया कि कुल उत्पादन में रबी फसलों का हिस्सा दो तिहाई होता है इसलिए रबी की फसलों के उत्पादन एवं उत्पादकता पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है। समय से बुवाई के महत्व के दृष्टिगत उन्होंने किसानों से समय से खेती की तैयारी करने का सुझाव दिया ताकि अधिकतम उत्पादकता प्राप्त की जा सके। जनपद लखनऊ के दो तीन गांवों को चयनित कर इसमें संरक्षित खेती के मॉडल तैयार करने के निर्देश दिये गये। बड़े-बड़े शहरो के पास के गांवों में भी इस तरह के मॉडल बनाने पर बल दिया गया। आमदनी वृद्धि हेतु किसानों को खेती के साथ-साथ खाद्य प्रसंकरण अपनाने की भी आवश्यकता है। कृषि एवं उद्यान विभाग द्वारा भी प्रयास किया जाये कि प्रत्येक गांव में संरक्षित खेती की कम से कम एक इकाई की स्थापना की जाये। उन्होंने बताया कि प्रदेश के प्रत्येक जिले में दो हाईटेक नर्सरी लगाने की व्यवस्था की गयी है। जिलाधिकारी एवं जिला उद्यान अधिकारी को इस बिन्दु पर तत्काल कार्यवाही करने के निर्देश दिये गये।
कृषि राज्य मंत्री द्वारा अपने उद्बोधन में इस खरीफ में मौसम की विपरीत परिस्थितियों का जिक्र करते हुये बताया गया कि धान, गेहूँ, गन्ना प्रदेश की मुख्य फसलें हैं। उन्होंने इस फसलों के अतिरिक्त अन्य फसलों की ओर उन्मुख होने के लिए कृषकों का आहवाहन किया। साथ ही प्राकृतिक खेती अपनाने पर भी जोर दिया गया। उन्होंने बताया कि प्राकृतिक खेती का सिद्धान्त है कि खर्चा कम हो आमदनी बढ़ें। कृषि विभाग द्वारा भी अपने केन्द्रों पर
प्राकृतिक खेती के प्रदर्शन लगाने के निर्देश दिये गये। कृषि को आगे बढ़ाने के लिए यह अपेक्षा की गयी कि जनपद में होने वाली कृषि गोष्ठियों में जिलाधिकारीगण जरूर प्रतिभाग करें।
उद्यान राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) दिनेश प्रताप सिंह द्वारा कृषकों का आहवाहन किया गया कि वह यदि उद्यानीकरण से जुड़ते है तो उनकी आय वृद्धि हो सकती है। मिर्जापुर, देवरियाँ जैसे जनपदों में स्ट्राबेरी की खेती करके किसान लाखों का लाभ ले रहे हैं।
उन्होंने समय पर गेहूं की बुवाई के साथ-साथ एफ0पी0ओ0 को बीजोत्पादन से जोड़ने पर बल दिया। उ०प्र० बीज विकास निगम उन एफ०पी०ओ० के साथ एम0ओ0यू० निष्पादित कर लें जिनको दृष्टि योजनान्तर्गत शतप्रतिशत अनुदान पर बीजा गोदाम एवं बीज विधायन संयंत्र दिये गये है। एक ट्रीलियन डालर की अर्थव्यवस्था के लिए कृषि के साथ-साथ उद्यान, पशुपालन, मत्स्य, दुग्ध विकास आदि विभागों की भूमिका को महत्वपूर्ण बताते हुये इसे प्राप्त करने का आहवाहन किया गया।
वर्तमान में मौसम की अनियमितता का उल्लेख करते हुये कृषि मंत्री द्वारा प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना का महत्व उपस्थित किसान जन समूह को बताया गया गत खरीफ में 22.5 लाख किसानों द्वारा कराये गये बीमा के आंकड़े को बताते हुये निर्देश दिये गये कि इनका समय से सर्वे कराते हुये नियमानुसार क्षतिपूर्ति की कार्यवाही प्राथमिकता पर करायी जाय। उन्होंने बताया कि मौसम के विपरीत परिस्थितियों के कारण खरीफ में जिन किसानों की फसल को नुकसान हुआ है या बुवाई से खेत खाली रह गया है उन्हें दलहन, तिलहन के मिनीकिट निःशुल्क दिये जायेगें। मिनीकिट के निःशुल्क बीज के रूप में 36 हजार कुन्तल दलहन बीज दिये जाने की व्यवस्था हैं। आगे आने वाले कृषि के स्वरूप पर भी चर्चा करते हुये कृषि मंत्री द्वारा डिजिटल एग्रीकल्चर के महत्व को भी बताया गया। सरकार द्वारा आर्टिफिसियल इन्टेलिजेन्स के माध्यम से मौसम की पूर्व सूचना, कीट रोग की जानकारी, कौन सी फसल किस क्षेत्र के लिए उपयुक्त होगी आदि विषयों पर सूचना की व्यवस्था शीघ्र ही कर ली जायेगी।
गोष्ठी के तकनीकी सत्र में कृषि विश्वविद्यालयों, केन्द्रीय उपोष्ण बागवानी संस्थान, राष्ट्रीय दलहन अनुसंधान संस्थान के वैज्ञानिकों द्वारा गेहूं, जौ, सब्जी के साथ-साथ प्राकृतिक खेती पर विस्तृत जानकारी कृषकों को दी गयी। कृषकों हेतु प्रश्नोत्तरी कार्यक्रम का आयोजन करते हुये इसमें प्रतिभागी कृषकों को पुरस्कार स्वरूप बीज मिनीकिट, बायोपेस्टीसाइड एवं अन्य पुरस्कार अपर मुख्य सचिव (कृषि) द्वारा वितरित किये गये। गोष्ठी के समापनोपरान्त विभागीय अधिकारियों के साथ अपर मुख्य सचिव (कृषि) द्वारा बैठक करते हुये विभागीय योजनाओं विशेष रूप से प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि, फसल अवशेष प्रबन्धन हेतु इनसीटू योजना, सब मिशन ऑन एग्रीकल्चरल मैकेनाईजेशन, बीज व्यवस्था, दलहन तिलहन, बीज मिनीकिट की समीक्षा भी की गयी।
गोष्ठी में मुख्य अतिथि के रूप में श्री सूर्य प्रताप शाही, कृषि मंत्री के साथ दिनेश प्रताप सिंह, मा0 मंत्री उद्यान (स्वतंत्र प्रभार), बलदेव सिंह औलख, कृषि राज्य मंत्री भी उपस्थित थे। बीज विकास निगम, बीज प्रमाणीकरण, उद्यान विभाग, पशुपालन विभाग के निदेशकगण और पी०सी०एफ०, सिंचाई, विद्युत आदि विभागों के वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा प्रतिभाग किया गया। कार्यक्रम में लखनऊ मण्डल की गोष्ठी का भी आयोजन किया गया, जिसमें जनपद लखनऊ, रायबरेली, सीतापुर, उन्नाव, हरदोई के जिलाधिकारी एवं लखीमपुर खीरी के मुख्य विकास अधिकारी द्वारा अपने-अपने जनपद की रबी 2022 की रणनीति पर चर्चा की गयी। गोष्ठी में प्रदेश के विभिन्न जनपदों से लगभग 500 किसानों द्वारा प्रतिभाग किया गया।