अखिल भारतीय सम्मेलन में लिए जाएंगे अहम फैसले: टिकैत

आंदोलन को तेज करने के लिए इस मंच के माध्यम से संयुक्त किसान मोर्चा द्वारा अहम और बड़ा फैसला लिया जाएगा।

Update: 2021-08-26 14:31 GMT

सोनीपत। संयुक्त किसान मोर्चा के बैनर तले नए कृषि कानूनों के विरोध में हरियाणा में सोनीपत के कुंडली बॉर्डर पर चल रहे धरने के नौ महीने पूरे होने पर गुरुवार को आयोजित दो दिवसीय अखिल भारतीय सम्मेलन में देशभर से पहुंचे 2500 से अधिक प्रतिनिधियोंं ने एक स्वर में केंद्र सरकार की किसान और मजदूर विरोधी नीतियों का विरोध जारी रखने का फैसला लिया है।

भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने सम्मेलन का उद्घाटन करते हुए कहा कि आंदोलन को तेज करने के लिए इस मंच के माध्यम से संयुक्त किसान मोर्चा द्वारा अहम और बड़ा फैसला लिया जाएगा। साथ ही उन्होंने केंद्र सरकार को चेताया कि काले कानून वापसी से कम कुछ भी स्वीकार नहीं होगा।

कुंडली बॉर्डर पर आज संयुक्त किसान मोर्चा द्वारा आयोजित दो दिवसीय अखिल भारतीय सम्मेलन के पहले दिन का आगाज किसान आंदोलन के शहीदों को श्रद्धांजलि देते हुए शोक प्रस्ताव के साथ किया गया। बाद में रह-रहकर सम्मेलन स्थल किसान और मजदूर एकता के जयघोष से गूंजता रहा।

सम्मेलन के उद्घाटन अवसर पर बोलते हुए भाकियू के नेता राकेश टिकैत ने कहा कि नौ महीने से किसान सरकार के दर पर बैठे हैं मगर उनको किसानों की कोई फिक्र नहीं है। सम्मेलन में विस्तार से चर्चा की जाएगी कि आंदोलन में हमने क्या खोया और क्या पाया। उन्होंनें कहा कि सरकार तीन कृषि कानूनों को वापस ले और एमएसपी पर लिखित गारंटी दे। आगे के लिए एक कमेटी बने जिसमें सरकार के अलावा संयुक्त किसान मोर्चा के नेताओं को भी शामिल किया जाए ताकि भविष्य में ऐसी नौबत न आने पाए। साथ ही उन्होंने कहा कि आंदोलन का मकसद किसान और किसानी को बचाने के अलावा देश को भी बचाना है। उन्होंने युवाओं का आह्वान किया कि वे फ्री के डाटा के घेरे से बाहर निकल कर देशहित में अपना योगदान दें। किसान नेता टिकैत ने इस किसान सम्मेलन में जो भी तय किया जाएगा पूरे देश में उसी पर काम किया जाएगा।

संयुक्त किसान मोर्चा के वरिष्ठ सदस्य जोगेंद्र सिंह उगराहां ने कहा कि यह लड़ाई किसी एक जत्थेबंदी की नहीं है और ना ही किसी एक धर्म और जात की है बल्कि मेहनतकश लोगों की है। इस लड़ाई में किसान विरोधी सरकार और कॉरपोरेट घरानों को टारगेट बनाया गया है। यह अपनी तरह का पहला आंदोलन है जिसकी आज पूरी दुनिया में चर्चा है। साथ ही उन्होंने चेतावनी भरे लहजे में कहा कि जिस दिन आप हिंसक हो गए, उस दिन समझ लेना हम आंदोलन हार गए। शांतिपूर्वक आंदोलन में ही हमारी जीत है और हमें यकीन है कि हम तीन काले कानूनों को वापस कराने में कामयाब होंगे।

भाकियू (चढूनी) के राष्ट्रीय अध्यक्ष गुरनाम सिंह चढूनी ने कहा कि किसान आंदोलन करीब 650 किसान अपने प्राणों की आहुति दे चुके हैं। हरियाणा में 37,650 किसानों पर मुकदमें दर्ज हो चुके हैं। यहां तक हमारी माता और बहनों को लाठियां झेलनी पड़ी है। उन्होंने कहा कि यह आंदोलन किसानों का ही नहीं बल्कि आम जनता का भी है। मगर अब समय आ गया है कि हमें यहां पर बैठे रहने की बजाय ठोस कदम उठाने होंगे। हम यहां पर बैठकर 2024 तक सरकार का विरोध कर उसे सत्ता से बाहर कर भी दें तो क्या गांरटी है कि अगली सरकार किसानों की मांगों को स्वीकार करेगी। उन्होंने मंच से कहा कि अगर हम एक बार ऐलान कर दें कि दिल्ली जाना है तो यहां पर लाखों की संख्या में किसान इक्ट्ठा हो जाएगा। उन्होंने कहा कि मेरा मानना है कि उसके बाद दिल्ली पहुंचकर सरकार को घेर कर उस पर दबाव बनाकर हम अपनी मांगें मनवा सकते हैं।

आज के सम्मेलन में तीन सत्र रखे गए। पहला सीधे तौर पर तीन काले कानूनों से संबंधित, दूसरा औद्योगिक श्रमिकों को समर्पित और तीसरा कृषि श्रमिकों, ग्रामीण गरीबों और आदिवासी मुद्दों से संबंधित था। सभी वक्ताओं ने किसानों, मजदूरों, महिला किसानों, कृषि श्रमिकों,आदिवासियों और आम लोगों को शामिल करते हुए आंदोलन को व्यापक व विस्तारित करने के लिए जोरदार ढंग से अपने सुझाव दिए। प्रत्येक सत्र में 15 वक्ताओं ने विचार-विमर्श किया और योगदान दिया।

सम्मेलन में मुख्य तौर पर बलबीर सिंह राजेवाल, डॉ दर्शन पाल, हन्नान मोल्ला जगजीत सिंह डल्लेवाल, शिवकुमार शर्मा क्का, युद्धवीर सिंह तथा योगेंद्र यादव समेत सभी 40 जत्थेबंदियों के नेता भी शामिल रहे।




वार्ता

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