ध्वनि प्रदूषण से आप हैं परेशान तो मिलाइये इस नंबर पर फोन

यदि किसी विद्यार्थी को पढाई के दौरान या नागरिकों को किसी अन्य तरह की दिक्कत तेज आवाज से होती है

Update: 2021-12-15 15:55 GMT

लखनऊ। आप अपने आस-पास होने वाले ध्वनि प्रदूषण से परेशान हैं तो बेझिझक यूपी-112 पर कॉल कर के या सोशल मीडिया के अन्य माध्यमों पर सूचना दे कर पुलिस की सहायता ले सकते हैं। पिछले 11 माह में पूरे प्रदेश से ध्वनि प्रदूषण के 13,838 मामलों में नागरिकों ने पीआरवी की सहायता ली है। इस दौरान राजधानी लखनऊ में सर्वाधिक 1421 लोगों ने ध्वनि प्रदूषण के खिलाफ यूपी-112 की मदद ली है।

ऐसे ले सकते हैं मदद

यदि किसी विद्यार्थी को पढाई के दौरान या नागरिकों को किसी अन्य तरह की दिक्कत तेज आवाज से होती है तो वह आपात सेवा 112 पर कॉल कर के अथवा सोशल मीडिया के अन्य माध्यमों से पुलिस की सहायता ले सकते है। यूपी- 112 पर कॉल आते ही शिकायत दर्ज कर पुलिस रिस्पांस वेह्किल (पीआरवी ) को तत्काल मौके पर भेजा जाता है। शिकायत के आधार पर पीआरवी मौके पर जा कर ध्वनि प्रदूषण को बंद करने के लिये निर्देशित करती है। शोर-शराबा करने वाला यदि पुलिस निर्देश मानते हुए शोर बंद कर देता है तो उसे चेतावनी देते हुए छोड़ा जा सकता है। ऐसे लोग या संस्थाएं जो बार-बार समझाने और चेतावनी देने के बाद भी ध्वनि प्रदूषण फैलाते हुए व्यवधान पैदा करते हैं तो उनके खिलाफ स्थानीय थाना स्तर पर पुलिस वैधानिक कार्यवाई की जाती है।

क्या है नियम :

शैक्षिक संस्थाओं के आसपास कम से कम 100 मीटर क्षेत्र को शांत क्षेत्र घोषित किया गया है. इसके अतिरिक्त अलग-अलग क्षेत्रों के लिये ध्वनि का मानक निर्धारित किया गया है। औद्योगिक क्षेत्र के लिये सुबह 6 बजे से रात्रि 10 बजे तक 75 तो रात्रि 10 बजे से सुबह 6 बजे तक 70 डेसिवल का मानक निर्धारित है. इसी तरह व्यापारिक क्षेत्र के लिये दिन में 65 तो रात्रि में 55 डेसिवल ध्वनि का मानक निर्धारित है। आवासीय क्षेत्र के लिए दिन में 55 और रात्रि में 45 डेसिवल तथा शांत क्षेत्र के लिये दिन में 50 व रात्रि में 40 डेसिवल मानक तय है।



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