हाईकोर्ट का बड़ा फैसला- UP मदरसा बोर्ड कानून असंवैधानिक करार

मदरसा एजुकेशन एक्ट 2004 को असंवैधानिक करार देते हुए कहा है कि यह कानून धर्मनिरपेक्षता के सिद्धांत के खिलाफ है।

Update: 2024-03-22 11:42 GMT

प्रयागराज। इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच की ओर से दिए गए एक बड़े फैसले में उत्तर प्रदेश बोर्ड आफ मदरसा एजुकेशन एक्ट 2004 को असंवैधानिक करार देते हुए कहा है कि यह कानून धर्मनिरपेक्षता के सिद्धांत के खिलाफ है।

शुक्रवार को इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच द्वारा उत्तर प्रदेश बोर्ड का मदरसा एजुकेशन एक्ट 2004 को असंवैधानिक करार दिया गया है।

अदालत ने अपने फैसले में कहा है कि उत्तर प्रदेश बोर्ड आफ मदरसा एजुकेशन कानून 2004 धर्मनिरपेक्षता के सिद्धांत के खिलाफ है। अदालत ने मदरसे में पढ़ने वाले छात्र-छात्राओं को बुनियादी शिक्षा व्यवस्था में समायोजित करने की बात भी अपने फैसले में कही है।

इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने यह फैसला याची अंशुमान सिंह राठौड़ की उस याचिका पर दिया है जिन्होंने याचिका दाखिल करते हुए यूपी बोर्ड आफ मदरसा एजुकेशन एक्ट 2004 को चुनौती दी थी।

जस्टिस विवेक चौधरी एवं जस्टिस सुभाष विद्यार्थी की डिवीजन बेंच की ओर से दिए गए इस फैसले को लेकर रजिस्टर मदरसा शिक्षा बोर्ड प्रियंका अवस्थी का कहना है कि हाई कोर्ट के विस्तृत आदेश का इंतजार है। आदेश आने के बाद ही स्थिति पूरी तरह से साफ हो सकेगी।

उन्होंने कहा है कि विस्तृत आदेश का अध्ययन करने के बाद आगे का फैसला लिया जाएगा।

उधर उत्तर प्रदेश मदरसा बोर्ड के चेयरमैन डॉक्टर इफ्तार अहमद जावेद ने इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच की ओर से उत्तर प्रदेश बोर्ड आफ मदरसा एजुकेशन एक्ट 2024 को असंवैधानिक करार देने के फैसले पर अपनी प्रतिक्रिया में कहा है कि अभी विस्तृत आदेश देंखेंगे। आदेश के अध्ययन के बाद वकीलों की टीम का गठन किया जाएगा। क्योंकि 200000 बच्चों के भविष्य का सवाल है और इस फैसले से मदरसों में पढ़ा रहे शिक्षकों का रोजगार भी जाएगा।

उन्होंने कहा है कि सुप्रीम कोर्ट में इस फैसले को लेकर चैलेंज किया जाएगा।

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