दारु ने कर दिया था बर्बादी का इंतजाम-करवाचौथ ने कराई खुशियों की एंट्री
करवा चौथ ने बर्बादी के कगार पर पहुंच चुके परिवार में खुशियों की एंट्री करा दी है।
हापुड़। भारतीय संस्कृति में हिंदू समाज की सुहागिन महिलाओं के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण माने जाने वाले त्योहार करवा चौथ ने बर्बादी के कगार पर पहुंच चुके परिवार में खुशियों की एंट्री करा दी है। प्रबुद्ध लोगों की ओर से किये सदप्रयासों के बाद एक दूसरे से अलग रह रहे पति पत्नी अब इस त्योहार पर कसम खाते हुए साथ रहने को तैयार हो गए हैं। जबकि दारू ने हंसते खेलते इस परिवार को बर्बादी के कगार पर लाकर खड़ा कर दिया था।
दरअसल जनपद के गढ़मुक्तेश्वर में रहने वाली एक महिला और उसका पति पिछले कई महीनों से अलग अलग रह रहे थे। पति खेती किसानी का काम करता है जबकि पत्नी सिलाई कढ़ाई सेंटर चलाते हुए अपना जीवन यापन कर रही थी। तकरीबन 8 साल पहले दारु को लेकर हुई तकरार के बाद दोनों अलग अलग रहने लगे थे। दोनों के एक बेटी भी है। बीते दिन अड़ौस पड़ौस के लोगों को अलग रह रहे दंपत्ति की बेटी के भविष्य की चिंता हुई।
महिला के मुताबिक शराब पीने के बाद पति अक्सर उसके साथ मारपीट करता था और घर खर्च के लिए एक पैसा भी नहीं देता था। रोज रोज होने वाली मारपीट और विवाद से परेशान होकर कई महीने पहले महिला ने अपने पति का घर छोड़ दिया था और बेटी के साथ मायके में आकर रहने लगी थी।
करवा चौथ के त्यौहार पर समाज के कुछ जागरूक एवं प्रबुद्ध लोगों ने दारू की वजह से बर्बाद होने की कगार पर खड़े हंसते खेलते परिवार में दोबारा से खुशियां लाने की योजना बनाई। जिसके चलते दोनों पक्षों के लोग इकट्ठा हुए और योजनाबद्ध तरीके से एक दूसरे की पीड़ा को सुना।
समाज के लोगों ने दोनों को अलग रहने के कारण जीवन में आने वाली परेशानियों एवं बच्चों की परवरिश को लेकर ऊंच-नीच की बात कही जिसके चलते पति पत्नी के दिमाग में दोबारा से परिवार को एकजुट कर खुशियां लाने की बात आई। प्रबुद्ध नागरिकों की ओर से किए गए प्रयासों का यह सुफल रहा कि पति-पत्नी के बीच दारू की वजह से उत्पन्न हुए मतभेद खत्म हो गए और दोनों फिर से एक साथ रहने के लिए तैयार हो गए। इतना ही नहीं दारू की गोद में पूरी तरह से बैठकर परिवार को बर्बादी के कगार तक पहुंचा चुके पति ने भविष्य में अब कभी शराब को हाथ नहीं लगाने की कसम भी खाई।