अयोध्या में कॉरिडोर अपरिहार्य
इसमें कोई दो राय नहीं कि उत्तर प्रदेश में जब से योगी आदित्यनाथ ने सरकार की कमान संभाली है,
लखनऊ। इसमें कोई दो राय नहीं कि उत्तर प्रदेश में जब से योगी आदित्यनाथ ने सरकार की कमान संभाली है, तब से प्रदेश की धार्मिक नगरियों का कायाकल्प होने लगा है। गोरक्षपीठ के पीठाधीश्वर के रूप में और हिन्दू धर्म के गौरव को पुनर्स्थापित करने की दृढ़ इच्छा रखने के चलते इसे अस्वाभाविक भी नहीं कहा जा सकता। इसका यह मतलब भी नहीं कि योगी आदित्यनाथ सिर्फ धार्मिक नगरियों को ही संभाल रहे हैं और प्रदेश के विकास पर ध्यान नहीं दे रहे। एक मुख्यमंत्री के रूप में प्रदेश को विकास के पथ पर उन्होंने तेजी से बढ़ाने का प्रयास किया है। इन्वेस्टर्स समिट बुलाकर उद्यमियों को प्रदेश में निवेश करने के लिए प्रेरित किया। डिफेन्स कॉरिडोर बनाकर रोजगार और रक्षा क्षेत्र को मजबूत किया है। धािर्मक स्थलों के विकास से भी लोगों को रोजगार मिलता है और सांस्कृतिक रूप से लोग एक-दूसरे से परिचित होते हैं। महाराष्ट्र में शिरडी और आंध्र प्रदेश में तिरुपति बाला जी के मंदिर ने स्थानीय लोगों को रोजगार भी दिया है। उत्तर प्रदेश में अब तक ऐसा कोई मंदिर नहीं था जो श्रद्धालुओं की भारी भीड़ जुटा सकता। काशी का बाबा विश्वनाथ मंदिर भी द्वादश ज्योतिर्लिंग में शामिल होते हुए भी श्रद्धालुओं को उतना आकर्षित नहीं कर पाता था जितना अब भव्य कॉरिडोर बनने के बाद शिव भक्त वहां आ रहे हैं। इसको देखते हुए योगी आदित्यनाथ ने अयोध्या में बन रहे मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम के मंदिर के लिए भी कॉरिडोर बनाना अपरिहार्य समझा है। सरकार ने इसका फैसला कर लिया है और धनराशि भी आवंटित कर दी गयी हैं। अयोध्या में प्रभु श्रीराम का भव्य मंदिर तीव्र गति से बन रहा है। ट्रस्ट की बात पर विश्वास करें तो जनवरी 2024 तक भगवान रामलला अपने गर्भ गृह में विराजमान हो जाएंगे।
अयोध्या में भी काशी विश्वनाथ धाम की तर्ज पर श्रीराम जन्मभूमि का विकास किया जाएगा। यहां भी अब श्रीराम जन्मभूमि मंदिर कॉरिडोर बनाया जाएगा। इसके लिए राममंदिर की ओर जाने वाली मुख्य सड़क को चौड़ा किया जाएगा। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में 2 अगस्त को कैबिनेट बैठक में इस पर मुहर लग गई है।योजना के तहत अयोध्या में सहादतगंज से नयाघाट तक 12.94 किलोमीटर लंबी सड़क का चौड़ीकरण और सुदृढ़ीकरण किया जाएगा। इसके लिए 797.69 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे।
पर्यटन मंत्री जयवीर सिंह ने बताया कि सहादतगंज से नयाघाट मार्ग सुग्रीव किला होते हुए श्रीरामजन्मभूमि स्थल तक चार लेन की सड़क बनाई जाएगी। यह प्रस्ताव काशी विश्वनाथ कॉरिडोर की तर्ज पर है। इसके तहत दुकानदारों, कब्जेदारों को पुनर्विस्थापित किया जाएगा।
इसके अलावा अयोध्या जिले में फैजाबाद मुख्य मार्ग से हनुमानगढ़ी होते हुए श्रीरामजन्मभूमि स्थल तक के मार्ग का चौड़ीकरण और सुदृढ़ीकरण किया जाएगा। इस योजना में सीवर व्यवस्था, पावर केबल व्यवस्था सहित अन्य यूटिलिटी शामिल हैं। इस कार्य को दो साल में पूर्ण करने का लक्ष्य रखा गया है। जून से राममंदिर की पहली मंजिल का निर्माण शुरू हो गया है। पहली मंजिल पर ही गर्भगृह का निर्माण होना है। अभी इसकी चौथी लेयर का निर्माण चल रहा है। गर्भगृह के परिक्रमा क्षेत्र का निर्माण पूरा होने के बाद गर्भगृह की कोठरी का निर्माण शुरू होगा। श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षत्र के ट्रस्ट के अनिल मिश्र ने कहा था कि राम जन्मभूमि परिसर में मंदिर निर्माण के लिए चबूतरा तैयार करने का कार्य चल रहा है। लगभग 21 फुट ऊंचा यह चबूतरा ग्रेनाइट पत्थरों से तैयार किया जा रहा है जिसमें 17000 पत्थर लगाए जाएंगे। इसमें से करीब 5000 पत्थर अब तक लगाए जा चुके हैं। अनिल मिश्र ने बताया कि अगस्त के अंत तक प्लिंथ के 350 गुणे 250 क्षेत्र पर ग्रेनाइट पत्थरों को लगाने का काम पूरा हो जाएगा। उसके पूरे बेस पर मुख्य मंदिर का निर्माण कार्य शुरू हो जाएगा। श्रीराम जन्मभूमि मंदिर के प्रथम तल का निर्माण कार्य 2023 तक पूरा हो जाएगा। अक्टूबर से दिसंबर 2023 के बीच अस्थायी मंदिर से रामलला को भव्य और दिव्य श्रीराम जन्मभूमि मंदिर में शिफ्ट कर दिया जाएगा। इसी के साथ
अयोध्या का बहु प्रतीक्षित श्रीराम मंदिर दर्शनार्थियों के लिए खोल दिया जाएगा। मंदिर की दो अन्य मंजिल का निर्माण कार्य चलता रहेगा।
देश के करोड़ों राम भक्तों का सपना अब धीरे-धीरे साकार होता दिख रहा है। 2019 में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद अयोध्या में प्रभु श्रीराम का भव्य मंदिर का निर्माण तीव्र गति के साथ आगे बढ़ रहा है। मंदिर निर्माण कार्य को लेकर हर महीने ट्रस्ट के पदाधिकारी और एलएनटी के इंजीनियर बैठक करते हैं। वहीं ट्रस्ट की मंशा है कि, जनवरी 2024 तक भगवान रामलला अपने गर्भ गृह में विराजमान हो जाएंगे या यूं कहा जाए कि राम भक्तों का जो लंबे वर्षों का इंतजार रहा वह धीरे-धीरे खत्म होता दिख रहा है।
श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने मंदिर निर्माण का एक वीडियो जारी किया था जिसके बाद मंदिर के गर्भ गृह में लगाए जा रहे राजस्थान के बंसी पहाड़पुर के पिनस्टोन पर तराशे गए पत्थर का भी फोटो जारी किया था। हालांकि ट्रस्ट की मंशा है कि हर राम भक्त मंदिर निर्माण प्रक्रिया से रूबरू हो सके। राम मंदिर ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय बताते हैं कि, मंदिर निर्माण में प्लिंथ निर्माण का काम 3 चौथाई पूरा हो गया है। एक माह के अंदर प्लिंथ का निर्माण कार्य पूरा हो जाएगा। चंपत राय ने कहा कि वास्तु शास्त्र के अनुसार 1 जून को गर्भ गृह के पश्चिम में अर्धचंद्राकार परिक्रमा मार्ग पर तराशे गए बंसी पहाड़पुर के पत्थर गुलाबी रंग के बलुआ पत्थरों के साथ इंस्टॉल करना प्रारंभ कर दिया गया था। श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय बताते हैं कि, 2 महीने में 200 से ज्यादा नक्काशीदार पत्थरों की 5 लेयर गर्भ गृह के पश्चिम में परिक्रमा मार्ग पर पूर्ण रूप से स्थापित कर दिया गया है। निर्माण कार्य की प्रक्रिया बहुत ही अच्छे तरीके से चल रही है। बहुत ही शीघ्र दूर से भी नक्काशी दार पत्थर दिखने शुरू हो जाएंगे।
तेजी से हो रहे मंदिर निर्माण को देखकर हर राम भक्त अपने को धन्य मान रहा है। इसके साथ ही मंदिर निर्माण में सहयोग के लिए दिल खोलकर दान भी कर रहे हैं।नगद से लेकर 4 कुंतल चांदी और कई ग्राम सोना अभी तक दान में मिल चुका है। गौरतलब है कि 15 जनवरी से लेकर 27 फरवरी 2021 तक समर्पण निधि अभियान चलाया गया था, जिसमें राम भक्तों ने 5000 करोड़ रुपए रामलला को दान दिया था। मंदिर निर्माण में राम भक्तों ने नगद राशि के साथ-साथ चेक और सोने चांदी का भी दान देना शुरू कर दिया था। कैश के साथ-साथ बड़ी संख्या में सोने और चांदी के दान को देखकर ट्रस्ट ने अपील करते हुए कहा, कि अभी इस तरह के धातुओं की जरूरत नहीं है। श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट कैंप कार्यालय के प्रभारी प्रकाश गुप्ता बताते हैं कि लगभग 4 कुंतल चांदी और कई ग्राम सोना राम भक्तों ने अभी तक दान दिया है। (हिफी)
(अशोक त्रिपाठी-हिन्दुस्तान समाचार फीचर सेवा)