जानिए CM योगी ने यूपी में क्यों चलाया 'वरासत' अभियान

यूपी में जो विरासत दर्ज करने का अभियान चलाया गया है, वह उसी संस्मरण के चलते चलाया गया है, जो उन्होंने सभी के साथ शेयर किया है।

Update: 2021-03-05 12:38 GMT

लखनऊ। यूपी लोकसेवा आयोग में चयनित अभ्यर्थियों को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने नियुक्ति पत्र वितरित किये। इस दौरान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अपनी जिंदगी का एक ऐसा संस्मरण शेयर किया, जिसे सुनकर सभी दंग रह गये। उन्होंने उक्त बात को सभी के साथ सांझा करने का कारण भी बताया। इसी के साथ उन्होंने बताया कि यूपी में जो विरासत दर्ज करने का अभियान चलाया गया है, वह उसी संस्मरण के चलते चलाया गया है, जो उन्होंने सभी के साथ शेयर किया है।

यूपी लोक सेवा आयोग द्वारा चयनित अभ्यर्थियों को नियुक्ति पत्र देने के दौरान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अपनी जिंदगी से जुड़ा एक महत्वपूर्ण पहलू सांझा किया। उन्होंने बताया कि हाल ही में उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा वरासत अभियान चलाया गया था। इस अभियान के तहत लगभग आठ लाख शिकायतें दर्ज की गई हैं। यह अभियान उन लोगों के लिए था, जिनके विरासत में नाम दर्ज नहीं हुए थे। पिता की मृत्यु हो गई, तो बेटे का नाम नहीं चढ़ सका। इन जैसी दिक्कतों के कारण नागरिकों को काफी परेशानियां झेलनी पड़ती थी। उक्त दिक्कतों को देखते हुए ही वरासत अभियान चलाया गया था और अभियान के दौरान नाम दर्ज करने की कार्रवाई की गई। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए उक्त अभियान चलाये जाने के पीछे के कारण को भी बताया।

उन्होंने बताया कि वर्ष 2014 में उनके गुरू का शरीर पूर्ण हो गया था। गुरू के शरीर पूर्ण होने के बाद योगी आदित्यनाथ ने विचार बनाया कि वे गुरू की सारी सम्पत्ति से एक ट्रस्ट बनायेंगे, ताकि उक्त सम्पत्ति खुर्द-बुर्द न हो। इसके लिए वरासत में दाखिल होना अनिवार्य था, जिसके लिए उन्होंने एप्लाई किया, जबकि वे 1998 से गोरखपुर में लगातार सांसद थे। उन्होंने बताया कि दो साल तक वह प्रकरण लंबित रहा। बाद में जब उन्होंने जिलाधिकारी से बात की, तब जाकर वह मामला निबट सका। तब उन्हें यह ज्ञात हुआ कि जब एक सांसद के लिए इतनी बड़ी परेशानी हो सकती है, तो आम आदमी को कितनी बड़ी दिक्कतों का सामना करना पड़ता होगा। मुख्यमंत्री को स्वयं वरासत दर्ज कराने के लिए दो साल तक परेशान होना पड़ा था, इसलिए वे इस पीड़ा को भलीभांति समझते हैं। उत्तर प्रदेश सरकार ने वरासत अभियान इसीलिए चलाया था कि आम लोगों को कोई परेशानी का सामना न करना पडे़। उन्होंने एसडीएम बने सभी अफसरों से आह्वान किया कि वे आम लोगों से जुड़ें और जो भी छोटी से छोटी समस्याएं हैं, उनका प्राथमिकता के आधार पर निस्तारण करना चाहिए।

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