मकान पर कब्जा कराने के ठेकेदार 14 पुलिसकर्मी लाइन हाजिर
भ्रष्टाचार और अवैध कब्जे के बड़े मामले में एक साथ बड़ी संख्या में पुलिसकर्मियों के खिलाफ की गई इस कार्रवाई से पुलिस महकमे में हड़कंप मच गया है।
कानपुर। पुलिस कमिश्नर की ओर से की गई बड़ी कार्रवाई के अंतर्गत मकान पर कब्जा कराने और झूठा मुकदमा लिखने के मामले में बर्रा थाने के यादव मार्केट चौकी इंचार्ज समेत 14 पुलिसकर्मियों को लाइन हाजिर कर दिया गया है। भ्रष्टाचार और अवैध कब्जे के बड़े मामले में एक साथ बड़ी संख्या में पुलिसकर्मियों के खिलाफ की गई इस कार्रवाई से पुलिस महकमे में हड़कंप मच गया है। जांच में एसीपी से लेकर चौकी इंचार्ज तक की संलिप्तता की बात सामने आने के बाद भी फिलहाल एसीपी गोविंद नगर एवं थानेदार को जांच पूरी नहीं होने का हवाला देते हुए राहत दी गई है।
कानपुर के पुलिस कमिश्नर विजय सिंह मीणा ने मकान पर कब्जा कराने और पीडित के ऊपर झूठा मुकदमा लिखने के मामले में दोषी पाये गये बर्रा थाने के यादव मार्केट चौकी इंजार्ज समेत 14 पुलिसकर्मियों को लाइन में हाजिर होने का फरमान सुना दिया है। एडीसीपी मनीष सोनकर ने बताया है यादव मार्केट चौकी क्षेत्र में रहने वाले महादेव ने ईडब्ल्यूएस कालोनी स्थित अपने मकान का वर्ष 2014 में बिक्री के लिए उमराव नाम के व्यक्ति से 3500000 रुपए में सौदा किया था। उस वक्त उमराव ने केवल 1000000 रुपए देकर मकान की रजिस्ट्री अपने नाम करवा ली थी। लेकिन पैसे पूरे नहीं दिए गए थे इसलिए महादेव के बेटे राजकुमार ने मकान के ऊपर उसका कब्जा नहीं होने दिया था।
महादेव परिवार समेत कॉलोनी में ही रहता था। इस बीच उमराव ने वर्ष 2015 में महादेव के ऊपर धोखाधड़ी का मुकदमा दर्ज कराया, जिसका मुकदमा अभी न्यायालय में चल रहा है। महादेव ने भी सिविल केस दायर कर दिया था। इस बीच 17 दिसंबर 2021 को उमराव अदालत को गुमराह करते हुए कोर्ट से आदेश कराया कि मकान पर जिसका कब्जा है वही मकान पर काबिज रहेगा।
इसी आदेश का हवाला देकर पुलिस की मौजूदगी में वर्ष 2022 की 23 फरवरी को उमराव ने मकान पर कब्जा किया। जिसके चलते महादेव और उसका परिवार बेघर हो गया। पुलिस ने सिर्फ महादेव को बेघर ही नहीं किया बल्कि विरोधी के गुंडों से पिटवाया और चोरी का झूठा मुकदमा भी दर्ज किया था। पुलिस कमिश्नर से शिकायत के बाद एडीसीपी साउथ की ओर से की गई जांच में पुलिस का खेल उजागर हुआ।