बाबरी विध्वंस मामले में 30 सितम्बर को आयेगा फैसला

सीबीआई की विशेष अदालत बाबरी विध्वंस के करीब 27 साल बाद 30 सितम्बर को इस बहुप्रतीक्षित मामले में अपना फैसला सुनायेगी।

Update: 2020-09-16 13:54 GMT

लखनऊ। केन्द्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) की विशेष अदालत बाबरी विध्वंस के करीब 27 साल बाद 30 सितम्बर को इस बहुप्रतीक्षित मामले में अपना फैसला सुनायेगी।

सीबीआई के विशेष न्यायाधीश एस के यादव ने आदेश दिया है कि 30 सितंबर को फैसला आने के समय सभी आरोपी अदालत में मौजूद रहें। इस मामले में पूर्व उप प्रधानमंत्री लाल कृष्ण आडवाणी, पूर्व राज्यपाल कल्याण सिंह, भाजपा नेता विनय कटियार, पूर्व केंद्रीय मंत्री उमा भारती,साध्वी ऋतंभरा, राम विलास वेदांती, साक्षी महाराज, विश्व हिंदू परिषद (वीएचपी) नेता और राम मंदिर न्यास के महासचिव चंपत राय, महंत नृत्य गोपाल दास के अलावा भाजपा और विश्व हिन्दू परिषद के कई दिग्गज आरोपी हैं। सीबीआई ने इस मामले में 49 आरोपितों के खिलाफ चार्जशीट फाइल की थी, जिसमें से 17 लोगों की मौत हो चुकी है।

सीबीआई की विशेष अदालत मेें 351 गवाह और लगभग 600 दस्तावेजी सुबूत पेश किये जा चुके है। सीबीआई के वकील ललित सिंह ने बताया कि अदालत ने बचाव पक्ष और अभियोजन पक्ष की दलीलें सुनने के बाद एक सितंबर को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था।

उच्चतम न्यायालय के तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई ने इसी आठ मई को लखनऊ की सीबीआई अदालत को 31 अगस्त तक इस मामले का निपटारा करने आदेश दिया था। उसके बाद से मामले की रोजाना सुनवाई हुई।

विशेष न्यायाधीश सुरेन्द्र कुमार यादव की रिपोर्ट और अनुरोध पर शीर्ष न्यायालय ने 19 अगस्त को मामले के निपटारा करने के लिए एक महीने का वक्त और देते हुए फैसला सुनाने की तिथि 30 सितंबर कर दी थी।

मामले में जीवित 32 आरोपियों के बयान दर्ज होने के बाद एक सितंबर को सुनवाई पूरी हुई और 02 सितंबर से मामले में फैसला लिखा जाने लगा था।

गौरतलब है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस दौरान पांच अगस्त को अयोध्या में राममंदिर के निर्माण का शिलान्यास कर चुके हैं। अयोध्या में बाबरी मस्जिद को लेकर हिंदू और मुस्लिम समुदायों में कई दशकों से विवाद था। हिंदूवादी नेताओं का दावा था कि श्रीराम जन्मभूमि पर बने मंदिर को तोड़कर 1528 में बाबर के कमांडर मीर बाकी ने मस्जिद बनवाई थी। इस पर हिंदू और मुस्लिम दोनों ही अपना दावा ठोंकते थे। 1885 से ही यह मामला अदालत में था। 1990 के दशक में भाजपा नेता लाल कृष्ण आडवाणी के नेतृत्व में राम मंदिर आंदोलन ने जोर पकड़ा और 06 दिसंबर 1992 को उन्मादी भीड़ ने मस्जिद को ढहा दिया। उस समय कल्याण सिंह के नेतृत्व में उत्तर प्रदेश में भाजपा की सरकार थी।

आरोपियों में जिनकी मौत हो चुकी है उनमें शिवसेना संस्थापक बाला साहेब ठाकरे, वीएचपी के अध्यक्ष अशोक सिंघल, गिरिराज किशोर, विष्णुहरी डालमिया, विनोद कुमार वत्स, राम नारायण दास, लक्ष्मी नारायण दास महात्यागी, हर गोविंद सिंह, रमेश प्रताप सिंह, देवेंद्र बहादुर राय, मोरेश्वर सवे, महंत अवैद्यनाथ, महामंडलेश्वर जगदीश मुनि महाराज, बालकुंठ लाल शर्मा, परमहंस रामचंद्र दास, डॉ सतीश कुमार नागर शामिल हैं।

वार्ता 

Tags:    

Similar News