उपेन्द्र कुशवाहा की लाचारगी

बिहार में विधानसभा चुनाव को लेकर विपक्षी महागठबंधन के अंदर भी अब हलचल तेज हो गई है

Update: 2020-08-28 13:57 GMT

लखनऊ। बिहार में विधानसभा चुनाव के लिए सत्ता रूढ राजग गठबंधन और विपक्षी दलों का महागठबंधन अब सीटों के बंटवारे पर मंथन कर रहे हैं। राजग गठबन्धन में लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) बेचैन दिखती है तो विपक्षी महागठबंधन में राष्ट्रीय लोक समता पार्टी (आरएलएसपी) के उपेंद्र कुशवाहा की लाचारगी भी साफ साफ दिख रही है। हालात यहां तक पहुंच गये कि गत 27 अगस्त को उपेंद्र कुशवाहा को आरजेडी के चीफ लालू प्रसाद यादव से सीट बंटवारे को लेकर गुहार लगानी पड़ी। पटना में एक प्रेस वार्ता के दौरान उन्होंने अपनी पीड़ा जाहिर करते हुए कहा कि गठबंधन में अभी कई बातों पर स्पष्टता नहीं है इसलिए लालू प्रसाद से हस्तक्षेप की अपेक्षा है।  

बिहार में विधानसभा चुनाव को लेकर विपक्षी महागठबंधन के अंदर भी अब हलचल तेज हो गई है, खासकर सीटों के तालमेल पर सभी पार्टियां एक दूसरे से संपर्क साधने में लगी हैं। कांग्रेस के प्रभारी सचिव अजय कुमार गत 27अगस्त को पटना पहुंचे।अजय कपूर ने खुलासा किया कि सीटों के तालमेल को लेकर राजद और कांग्रेस में शीर्ष स्तर पर वार्ता चल रही है।अजय कपूर ने बताया कि कांग्रेस हर हाल में सम्मानजनक समझौते की ओर अग्रसर है और उम्मीद की जानी चाहिए राष्ट्रीय जनता दल समेत महागठबंधन में शामिल सभी दल सीट शेयरिंग मामले को लेकर सकारात्मक रुख अख्तियार करेंगे। अजय कपूर ने दावा किया कि बिहार की जनता इस बार परिवर्तन के मूड में दिख रही है, खासकर बेरोजगारी समेत तमाम मुद्दों पर नीतीश सरकार की विफलता जगजाहिर हो चुकी है और ऐसे में बिहार की जनता उम्मीद भरी नजरों से राजद कांग्रेस वाले महागठबंधन की तरफ देख रही है। पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी के महागठबंधन छोड़कर जाने और इसका दलित वोट बैंक पर असर पड़ने की बात से अजय कपूर साफ तौर पर इंकार करते है। सीट शेयरिंग मामले को लेकर रालोसपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा के बयान पर कांग्रेस के बिहार प्रदेश कार्यकारी अध्यक्ष और बिहार विधान परिषद के सदस्य समीर सिंह ने कहा है कि उपेंद्र कुशवाहा महागठबंधन के प्रमुख घटक दल के नेता हैं। अधिकाधिक सीट पाने की उनकी महत्वाकांक्षा गैर वाजिब नहीं है लेकिन इस मुद्दे पर वह कोई जिद नहीं करेंगे यह भी तय है।

महागठबंधन में सीट शेयरिंग में तवज्जो नहीं दिए जाने पर राष्ट्रीय लोक समता पार्टी ( आरएलएसपी ) प्रमुख उपेंद्र कुशवाहा ने हाल में ही अपनी लाचारगी जताते हुए कहा था कि महागठबंधन के दल अमृत पीएं हम विष पीने को तैयार हैं। अब उनके इस बयान पर काफी प्रतिक्रियाएं सामने आ रही हैं। कांग्रेस नेता तारिक अनवर ने कहा कि उपेन्द्र कुशवाहा पुराने और अनुभवी नेता हैं, गठबंधन में एकता बनी रहे इसलिए उन्होंने ऐसा कहा। महागठबंधन को मजबूत करने के लिए ऐसा बयान सराहनीय है। तारिक अनवर ने कहा कि महागठबंधन के साथ चुनाव लड़ने के लिए वामदलों से हमलोगों की बातचीत जारी है। पिछले चुनाव में भी सहयोगी दलों के तौर पर चुनाव लड़ा था, इस बार भी हम लोग साथ में चुनाव लडेंगे। वहीं, उपेंद्र कुशवाहा के इस बयान पर राजद नेता जयप्रकाश यादव ने कहा कि महागठबंधन का एक मात्र लक्ष्य एनडीए को हराना है। सभी घटक दल पूरी तरह एकजुट हैं। उपेंद्र कुशवाहा हमारे अलायंस के प्रमुख नेता हैं और विधानसभा चुनाव में सम्प्रदायिक शक्तियों को हराने के लिए हमलोग कटिबद्ध हैं। डबल इंजन की सरकार ज्यादा दिनों तक सत्ता में नहीं रहेगी। हाल में मीडिया के कुछ सर्वे भी बताते हैं कि सरकार बनाने की फिफ्टी फिफ्टी संभावनाएं हैं। इसलिए विपक्ष की एकता जरूरी है।

उधर, उपेंद्र कुशवाहा कहते हैं कि गठबंधन की सबसे बड़ी पार्टी आरजेडी है, इसलिए जिम्मेदारी भी उसकी अधिक है। ऐसे में उन्हें ही आगे आकर सब कुछ ठीक करना होगा। उन्होंने कहा कि कुछ अंदर की बातें हैं जिसे बताना ठीक नहीं है। गौरतलब है कि पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी के महागठबंधन से अलग होने के बाद ऐसा माना रहा था कि रालोसपा प्रमुख उपेंद्र कुशवाहा को अब अधिक तरजीह मिलने लगेगी लेकिन, लगता है कि उन्हें अब भी कोई खास तवज्जो नहीं मिल रही है। कांग्रेस के अजय कपूर भी कहते हैं कि कांग्रेस हर हाल में सम्मानजनक समझौते की ओर अग्रसर है और उम्मीद की जानी चाहिए राष्ट्रीय जनता दल समेत महागठबंधन में शामिल सभी दल सीट शेयरिंग मामले को लेकर सकारात्मक रुख अख्तियार करेंगे। बिहार की जनता उम्मीद भरी नजरों से राजद कांग्रेस वाले महागठबंधन की तरफ देख रही है। जीतनराम मांझी के महागठबंधन छोड़कर जाने और इसका दलित वोट बैंक पर असर पड़ने की बात से अजय कपूर ने भी साफ तौर पर इंकार कर दिया है। अजय कपूर कहते हैं बिहार कांग्रेस ने इस बार विधानसभा वार वर्चुअल मीटिंग करने का फैसला किया है और ऐसे में पार्टी की कोशिश है 100 से अधिक सीटों पर वर्चुअल मीटिंग की जाए। सीट शेयरिंग मामले को लेकर रालोसपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा के बयान पर कांग्रेस के बिहार प्रदेश कार्यकारी अध्यक्ष और बिहार विधान परिषद के सदस्य समीर सिंह ने कहा है कि उपेंद्र कुशवाहा महागठबंधन के प्रमुख घटक दल के नेता हैं। अधिकाधिक सीट पाने की उनकी महत्वाकांक्षा गैर वाजिब नहीं है लेकिन इस मुद्दे पर वह कोई जिद नहीं करेंगे यह भी तय है। समीर सिंह ने जीतन राम मांझी के लोकसभा चुनाव में फिसड्डी साबित होने की चर्चा करते हुए कहा कि जीतनराम मांझी का दलितों पर पूरी पकड़ नहीं है और विधानसभा चुनाव में भी वे कुछ खास नहीं कर पाएंगे।

उपेन्द्र कुशवाहा का राजनीतिक सफर काफी लंबा रहा है। उपेंद्र कुशवाहा बिहार विधानसभा में विधायक, नेता प्रतिपक्ष, राज्यसभा सांसद और लोकसभा सांसद का सफर तय किया है। हालांकि उनकी राजनीति में काफी उतार चढ़ाव रहे हैं। नीतीश कुमार ने कभी उन्हें बिहार विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष बनाया था लेकिन बाद में जेडीयू से उनकी तल्खी इतनी बढ़ गई कि उपेंद्र कुशवाहा ने जेडीयू से दूर आरएलएसपी पार्टी बनायी।

पचपन वर्षीय उपेंद्र कुशवाहा ने अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत साल 1985 से की थी और 1988 में उन्हें युवा लोकदल का राज्य महासचिव बनाया गया था जिसके बाद साल 1993 में वह राष्ट्रीय महासचिव बने थे। वहीं, 1994 में वह समता पार्टी से महासचिव बनाए गए जिसके बाद से उन्हें राजनीति में काफी महत्व मिलने लगा था। वह 2002 तक इस पद पर रहे थे। उपेंद्र कुशवाहा ने लालू प्रसाद यादव और नीतीश कुमार के साथ लंबे समय तक काम किया है। वह लालू यादव के सामाजिक राजनीति के बड़े प्रशंसक और सहयोगी रहे थे। कुशवाहा कांग्रेस के हमेशा से विरोधी रहे हैं इसलिए जब लालू यादव की नजदीकियां कांग्रेस से बढ़ने लगी थीं, तो उन्होंने लालू यादव से दूरियां बढ़ा लीं।

उपेंद्र कुशवाहा साल 2000 में पहली बार बिहार विधानसभा के सदस्य चुने गए थे। वह 2005 तक विधानसभा सदस्य रहे। कुशवाहा को जेडीयू नेता नीतीश कुमार के करीबी सहयोगियों में से एक माना जाता था। इसलिए ऐसा माना जाता है कि साल 2004 में उन्हें जब नेता प्रतिपक्ष बनाया गया था तो नीतीश कुमार ने उन्हें समर्थन दिया था। हालांकि बाद में दोनों के संबंधों में खटास दिखने लगी थी

उपेंद्र कुशवाहा ने 2013 में अपनी नई पार्टी आरएलएसपी का ऐलान किया। इसी दौरान जेडीयू भी एनडीए से अलग हो गया था। उपेंद्र कुशवाहा ने समय और नजाकत को भांपते हुए एनडीए से हाथ मिला लिया और 2014 के लोकसभा चुनाव में आरएलएसपी को 3 सीटों पर लड़ने का मौका मिला। साथ ही मोदी लहर में उन्होंने तीनों सीटों पर जीत दर्ज की। उपेन्द्र कुशवाहा को बिहार की तीन लोकसभा सीटें सीतामढ़ी, काराकाट और जहानाबाद की मिली और पार्टी ने तीनों ही सीटें जीत ली।

(अशोक त्रिपाठी-हिन्दुस्तान समाचार फीचर सेवा)

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