उत्तर प्रदेश की सियासत में ब्राह्मण कार्ड
उत्तर प्रदेश में जाति एवं धर्म की राजनीति ने लगभग चार दशक से इस तरह कब्जा जमाया है
लखनऊ । उत्तर प्रदेश में जाति एवं धर्म की राजनीति ने लगभग चार दशक से इस तरह कब्जा जमाया है कि उससे पीछा छुड़ाना अब मुश्किल नजर आ रहा है। पिछले महीने दबंग विकास दुबे की इनकाउंटर में मौत के बाद अचानक ब्राह्मणवादी और ब्राह्मण विरोधी राजनीति मुखर हो गयी। मामला इतना आगे बढ़ गया कि भगवान को भी क्षत्रिय और ब्राह्मण कार्ड में बांट दिया गया। अयोध्या मे राम मंदिर के भूमि पूजन के साथ भाजपा के लिए राम और रामकाज मुख्य मुद्दा बन गया हो उत्तर प्रदेश के विपक्षी दल ब्राह्मण वंश के भगवान राम के ही एक अवतार माने जाने वाले भगवान राम के ही एक अवतार माने जाने वाले भगवान पशुराम को अपना आदर्श मान लिया है और उनका मंदिर बनाने मूर्ति स्थापित करने की घोषणा होने लगी है। कांगेस तो शुरू से ही यह कहती रही है कि ब्राह्मण उसके प्रमुख वोट बैंक रहे हैं। इस प्रकार विपक्षी दल भाजपा को ब्राह्मण विरोधी साबित करने में जुट गये हैं। ऐसा नहीं कि भापा इसके प्रति सतर्क नहीं हैं। भाजपा की तरफ से भी बाकायदा यह साबित किया जा रहा कि ब्राह्मण की असली हितैषी भाजपा ही है जबकि अन्य राजनीतिक दलों ने ब्राह्मणों को एक वोट बैंक के रूप में प्रयोग किया। इतना ही नहीं, माना जा रहा है कि योगी मंत्रिमंडल में शीघ्र ही कुछ ब्राह्मण नेताओं को स्थान मिल सकता है।
इसी के तहत उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में ब्राह्मणों पर अत्याचार से जुड़ा पोस्टर लगाया गया। पोस्टर के जरिए योगी आदित्यनाथ सरकार की आलोचना की गई है और समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव को रक्षक के रूप में दिखाया गया। यह कथित पोस्टर हजरतगंज इलाके में स्थित दारुल शफा के विधायक निवास की दीवार पर लगाया गया है। विवादित पोस्टर में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के साथ कई बड़े मंत्रियों की फोटो भी है। ये पोस्टर ब्राह्मणों पर हो रहे कथित अत्याचार के विरोध स्वरूप लगाया गया है।
पोस्टर में सीएम योगी आदित्यनाथ को ब्राह्मणों पर फरसे से हमला करते हुए दिखाया गया है। सीएम योगी के पीछे केशव प्रसाद मौर्य समेत दूसरे नेताओं की तस्वीरें भी लगाई गई हैं। पोस्टर में लिखा गया है-बेटी बचाओ भाजपा भगाओ, बंद करो ब्राह्मणों पर अत्याचार, ना भ्रष्टाचार ना गुंडाराज, अबकी बार अखिलेश सरकार। ये पोस्टर समाजवादी पार्टी छात्र सभा के प्रदेश सचिव विकास यादव के नाम से लगाया गया है। भगवान परशुराम की फोटो के साथ सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव को ब्राह्मणों का रक्षक दिखाया गया है। पोस्टर से लखनऊ की सियासत गर्मा गई है और पुलिस कार्रवाई में जुट गई है।
पिछले कुछ वक्त से लगातार योगी सरकार पर ब्राह्मण विरोधी होने के आरोप लगाए जा रहे हैं। हाल ही में आम आदमी पार्टी के सांसद और यूपी प्रभारी संजय सिंह ने खुले तौर पर आरोप लगाया था कि यूपी में सिर्फ ठाकुरों के लिए सरकार चल रही है और ब्राह्मणों को निशाना बनाया जा रहा है। संजय सिंह से पहले यूपी के एक विधायक विजय मिश्र ने आरोप लगाया था कि ब्राह्मण होने के नाते उन्हें परेशान किया जा रहा है। मारपीट के आरोप में फरार होने के दौरान विजय मिश्र ने कहा था कि मैं ब्राह्मण हूं, एनकाउंटर हो जाएगा। बता दें कि कानपुर के कुख्यात बदमाश विकास दुबे के एनकांउटर के बाद भी इस तरह की चर्चाओं ने जोर पकड़ा था।
उत्तर प्रदेश की योगी सरकार के साढ़े तीन साल बीत गए हैं और आगामी 2022 के विधानसभा चुनाव को लेकर राजनीतिक दलों ने तैयारियां भी शुरू कर दी हैं। विपक्ष ब्राह्मण मुद्दे पर योगी सरकार को पहले से ही घेरने में जुटा है और चुनावी आहट के साथ बीजेपी विधायकों की बेचैनी भी सामने आने लगी है। ऐसे में माना जा रहा है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ अपने मंत्रिमंडल का जल्द पुनर्गठन कर राजनीतिक और सामाजिक संतुलन साधने का दांव चल सकते हैं। बीजेपी के विश्वस्त सूत्रों की मानें तो मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जल्द ही अपने कैबिनेट का विस्तार कर सकते हैं। संभव है कि दो अक्टूबर से पहले यूपी कैबिनेट में फेरबदल किया जा सकता है। हालांकि, बहुत कुछ केंद्र की मोदी सरकार के कैबिनेट विस्तार पर भी निर्भर करेगा। वहीं, योगी सरकार के मंत्री चेहत चैहान और कमला रानी का कोरोना के चलते निधन हो गया है, जिसके चलते उनके मंत्रालय खाली हो गए हैं। इसके अलावा मंत्रिमंडल में 4 सीट पहले से खाली हैं। उत्तर प्रदेश में विधायकों की संख्या के हिसाब से मंत्रिपरिषद में 60 सदस्यों को शामिल किया जा सकता है। योगी सरकार ने पिछले साल 21 अगस्त को मंत्रिमंडल विस्तार किया था। 23 मंत्रियों ने शपथ ली थी जिसमें 18 नए चेहरे को जगह दी गई थी। इस तरह से मौजूदा योगी कैबिनेट में 56 सदस्यीय मंत्रिपरिषद थी। हाल ही में प्राविधिक शिक्षा मंत्री कमला रानी वरुण और होमगार्ड मंत्री चेतन चैहान की कोरोना से मृत्यु के बाद यह संख्या 54 रह गई है। मंत्रिपरिषद में छह स्थान खाली हैं। ऐसे में योगी सरकार अपनी मंत्रिपरिषद में 6 नए लोगों को शामिल कर उन्हें मौका दे सकते हैं।
विधानसभा सत्र शुरू होने के साथ ही कैबिनेट विस्तार को लेकर चर्चा तेज हो गई है। सरकार के सूत्र की मानें तो जल्द ही कैबिनेट विस्तार होगा, जिसमें खाली मंत्री पद भरे जाएंगे। साथ ही यह योगी सरकार का चुनाव के पहले का आखिरी विस्तार माना जा रहा है। ऐसे में मंत्रिमंडल विस्तार में कुछ मंत्रियों का प्रमोशन हो सकता है जबकि कुछ असंतोषजनक परफॉर्मेंस मंत्रियों की कैबिनेट से छुट्टी भी हो सकती है। इसके अलावा कोरोना के इस दौर में कुछ उम्र दराज मंत्रियों को विश्राम दिया जा सकता है और उनकी जगह युवा मंत्रियों को मौका दिया जा सकता है।
उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में भले ही अभी समय बचा हो, लेकिन सियासी बिसात अभी से बिछाई जाने लगी है। योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व वाली बीजेपी राम को घर-घर पहुंचाने में जुटी है तो सपा से लेकर बसपा तक श्परशुरामश् की नाव पर सवार होकर सत्ता पाना चाहते हैं। सूबे में ब्राह्मण राजनीति को लेकर सियासी समीकरण बनाने की कोशिश चल रही है।
सपा और कांग्रेस के बड़े नेताओं ने ब्राह्मणों की उपेक्षा का आरोप लगाया और ब्राह्मणवाद का कार्ड भुनाने में जुटे हैं। सोशल मीडिया पर भी उत्तर प्रदेश की सियासत में ब्राह्मण वोट बैंक की चर्चाएं तेज हैं। सूबे में करीब 10 फीसदी ब्राह्मण मतदाता संख्या के आधार पर भले कम हों, लेकिन माना जाता कि राजनीतिक रूप से सत्ता बनाने और बिगाड़ने की ताकत रखते हैं।
~ अशोक त्रिपाठी
हिन्दुस्तान समाचार फीचर सेवा