विहिप करेगी रामत्व के भारत का निर्माण: आलोक कुमार

आदिकवि बाल्मीकि ने इसीलिए मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम को अपने काव्य का नायक बनाया और बाल्मीकि रामायण की रचना हुई।

Update: 2020-08-04 13:21 GMT

लखनऊ। राम का व्यक्तित्व तो असीम है। उसको किसी सीमा में नहीं बांधा जा सकता। आदिकवि बाल्मीकि ने इसीलिए मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम को अपने काव्य का नायक बनाया और बाल्मीकि रामायण की रचना हुई। इसलिए राम का अंश मात्र का तत्व भी किसी समाज को जाज्वल्यमान कर सकता है। विश्व हिन्दू परिषद (विहिप) के केन्द्रीय कार्याध्यक्ष एडवोकेट आलोक कुमार ने गत 3 अगस्त को उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के विश्व संवाद केन्द्र में पत्रकार वार्ता के दौरान इसीलिए बहुत ही गंभीर बात कही। उन्होंने अयोध्या में प्रभु श्रीराम के भव्य मंदिर निर्माण के लिए भूमि पूजन से एक दिन पूर्व रामजन्म भूमि मंदिर और भविष्य का भारत विषय पर कहा कि विहिप रामत्व के भारत का निर्माण करना चाहता है और राम मंदिर का निर्माण तो इसका प्रारम्भ है।

रामत्व का भारत कैसा होगा? इस पर उन्होंने विस्तार से चर्चा की और विहिप ने जो उद्देश्य अपने स्थापना काल से तय किया है, उसका एक आवश्यक भाग यह भी है। भगवान राम ने वन यात्रा के दौरान ऊँच-नीच का भेदभाव मिटाते हुए सभी को एक साथ अन्याय के खिलाफ लड़ने को तैयार किया। वे शबरी के आश्रम मंे गये। अहिल्या का उद्धार किया। इन सभी का मनतव्य समझना होगा। अहिल्या नारी के तिरस्कार की प्रतीक है। महिलाओं को समाज में सम्मान पूर्वक स्थान दिलाना ही पड़ेगा। इसके बगैर समाज उन्नति नहीं कर सकता। विहिप के कार्याध्यक्ष ने कहा हमारी संस्था देश भर में एक लाख से अधिक एकल विद्यालयों का संचालन करते हुए गांवों में जागरूकता ला रही है। एकल विद्यालयों के माध्यम से विशेष रूप से अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति के लोगों को शिक्षा एवं स्वास्थ्य के बारे में बताया जाता है।

विहिप के केन्द्रीय कार्याध्यक्ष ने श्रीराम जन्मभूमि और भविष्य का भारत विषय पर अपने विचारों को केन्द्रित करते हुए कहा कि 1989 में श्रीराम जन्मभूमि पर भव्य मंदिर के लिए शिलान्यास हुआ था, पर मंदिर का निर्माण शासकीय बाधाओं, राजनीतिक तिकड़मों और न्यायालयों में देरी के मकड़जाल में फंस गया था। लगभग 31 वर्ष के बाद अब यह सुखद संयोग बना है कि 5 अगस्त को माननीय प्रधानमंत्री जी की उपस्थिति में मंदिर का निर्माण शुरू हो रहा है। उन्होंने कहा कि हमारा विश्वास है कि यह सारा प्रयत्न केवल एक और मंदिर बनाने के लिए नहीं है, यह अभियान तो पृथ्वी पर परम रामत्व की स्थापना के लिए है, रामराज्य के लिए है। विहिप के केन्द्रीय कार्याध्यक्ष ने कहा कि यह भी समझना जरूरी है कि केवल सरकार के भरोसे यह कार्य नहीं हो सकता। समाज में भी जन-जन को इस काम में जुटना होगा।

आलोक कुमार ने इसी संदर्भ में रामराज का उल्लेख किया। वे आतंकवाद के संदर्भ को भी इससे जोड़ते हैं जो आज विश्व की गंभीर समस्या है। भगवान राम ने वन में ऋषि, मुनियों की अर्थात सज्जनों की बिकलता देखी तब प्रतिज्ञा की थी- निसिचर हीन करौं महि, भुज उठाइ प्रणकीन्ह। उन्हांेने कहा कि रामराज में न दरिद्रता थी और न ही अस्वस्थता। रामत्व एक ऐसे समता मूलक समाज को बनाने से आएगा, जिसमें सभी मनुष्यों को गरिमा मिलेगी। सभी को भोजन मिलेगा और सभी को स्वास्थ्य एवं शिक्षा की सुविधा भी हासिल होगी। शिक्षा और रोजगार की भी आश्वस्ति होगी। परिवार के सदस्यों में प्रेम होगा और सभी के लिए अपने अंदर के प्रभुत्व को समाप्त करके मनुष्य होना होगा। इससे आगे बढ़ते हुए ईश्वर के साक्षात्कार का अवसर मिलेगा। इसी लक्ष्य को ध्यान में रखकर विश्व हिन्दू परिषद की तरफ से, उसके सहयोग से एक लाख से ज्यादा गांवों में एकल विद्यालय चलते हैं। इन विद्यालयों के माध्यम से गरीबों, विशेष रूप से अनुसूचित जाति व जनजाति के लोगों को शिक्षा, संस्कार, स्वच्छता, जैविक खेती और ग्रामों को आत्मनिर्भर बनाने के काम को गति दी जा रही है। अनुसूचित जाति एवं जनजाति के बंधुओं में शिक्षा, स्वास्थ्य एवं रोजगार का अवसर देने का कार्य हो रहा है। इसके लिए सरकार द्वारा इन वर्गों के लिए बनायी गयी योजनाओं का लाभ जरूरत मंदों तक पहुंचाने में विहिप मदद करती है।

इस प्रकार विश्व हिन्दू परिषद एक सेतु की तरह भी लोगों की मदद करके सशक्त भारत का निर्माण कर रही है। विहिप के कार्याध्यक्ष ने कहा कि विश्व हिन्दू परिषद देश भर में देश भक्ति के भाव को सुदृढ़ कर सज्जन शक्ति के बल पर देश को सभी प्रकार के आतंक से मुक्त करने में सहयोग देगी। विहिप अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के साथ में हिन्दू परिवार व्यवस्था को सुदृढ़ करने का प्रयत्न भी करेगी। परिवारो में संस्कार और परस्पर प्रेम भावना भी रामराज का प्रमुख अंग थे। संस्कार एवं प्रेम भावना से अकेलेपन की समस्या अर्थात् डिप्रेशन से मुक्ति मिलेगी। तनाव और अकेलेपन की समस्या ने युवाओं को विशेष रूप से कमजोर किया है। मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम ने अपने जीवन में समाज की समरसता के लिए सतत् प्रयत्न किया। वे 14 वर्ष के वनवास में नंगे पैर समाज के सब वर्गों में जाकर उन्हें आदर दिया और संगठित भी किया। विहिप पदाधिकारी ने कहा कि विश्व हिन्दू परिषद राम के आदर्शों पर ही समरस समाज बनाने के लिए निरंतर काम कर रही है। आलोक कुमार जी ने कहा कि हम ऐसा भारत बनाएंगे जो अहिल्या, शबरी और निषाद राज के पास मित्रता और प्रेम से जाएगा। ऊँच-नीच का भ्रम दूर कर एक ऐसे समाज का निर्माण करेगा जिसमें न तो किसी का तुष्टीकरण होगा और न ही किसी का शोषण।

विहिप पदाधिकारी ने गोवंश के संरक्षण और संवर्द्धन पर भी अपने विचार रखे। उन्होंने कहा कि विश्व हिन्दू परिषद यह भी प्रयत्न करेगी कि गोवंश के संवर्द्धन, गौ उत्पादों का विकास ओर जैविक खेती का अधिकाधिक प्रसार हो। इसके लिए विहिप ने गोपालकों और किसानों को प्रशिक्षण देने की व्यवस्था की है। विहिप के केन्द्रीय कार्याध्यक्ष ने कहा कि हमें विश्वास है कि हम सभी के पुरुषार्थ से आत्म विश्वास से परिपूर्ण, आत्मनिर्भर और उत्कृष्ट भारत का निर्माण हो सकेगा। ऐसा भारत विश्व में सुख व शांति स्थापित करने के अपने ईश्वरीय दायित्व का भी निर्वहन कर सकेगा।

इस अवसर पर विहिप के पदाधिकारी से पत्रकारों ने काशी और मथुरा के मंदिरों को मामले में विहिप की राय जानने का प्रयास किया। पत्रकारों ने याद दिलाया कि विहिप ने वरिष्ठतम पदाधिकारी अशोक सिंघल कहते थे- अयोध्या तो झांकी है, काशी-मथुरा बाकी हैं। इस पर आलोक कुमार जी ने बड़ी सफाई से टालते हुए कहा कि हमारा सारा ध्यान राम मंदिर पर है। समस्त भारत के विकास पर है। इसीलिए राम मंदिर के निर्माण में देश भर से मिट्टी और जल लाया जा रहा है। राम मंदिर पूरे भारत का प्रतिनिधित्व करेगा और तभी रामत्व का भारत बनेगा।

(अशोक त्रिपाठी-हिन्दुस्तान समाचार फीचर सेवा)

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