मेदांता हॉस्पिटल में जिस मरीज से मांगे 8 लाख- वह 125 रुपए में हुआ ठीक

3 मिनट के भीतर यदि आपने रूपयों की व्यवस्था नहीं की तो इलाज के अभाव में मोहन स्वरूप भारद्वाज की मौत हो जाएगी।

Update: 2024-06-07 12:24 GMT

लखनऊ। देश में प्राइवेट कंपनी लिमिटेड की तरह पब्लिक की खाल उतारने के लिए जगह जगह बड़े अस्पतालों के रूप में खोले गए जिस हॉस्पिटल में मरीज से उसे ठीक करने की एवज में 800000 रुपए मांगे गए थे, वह मरीज दूसरे चिकित्सक के पास पहुंचकर केवल 125 रुपए की दवाई और तीन इंजेक्शन से ठीक हो गया। अस्पताल की इस लूट की बाबत अब पीड़ित मरीज द्वारा मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को शिकायती चिट्ठी भेजकर मामले में कार्यवाही की डिमांड की गई है।

दरअसल राजधानी लखनऊ की सुशांत गोल्फ सिटी में स्थित फ्लैट के भीतर रहने वाले 45 वर्षीय मोहन स्वरूप भारद्वाज को पिछले महीने की 23 मई की शाम तकरीबन 4:30 बजे चक्कर आ गए थे, जिसके चलते घर पर गिरे मोहन स्वरूप भारद्वाज पसीने से लथपथ हो गए थे।

आनन-फानन में मोहन स्वरूप का भाई और उनकी पत्नी उन्हें लेकर राजधानी लखनऊ के मेदांता हॉस्पिटल में पहुंचे, जहां कार्डियोलॉजिस्ट डॉक्टर महिम शरण एवं डॉक्टर अवनीश द्वारा मोहन स्वरूप की एंजियोग्राफी तथा अन्य जांच कराई गई। जांच रिपोर्ट आने के बाद मोहन स्वरूप के भाई और उनकी पत्नी से अस्पताल के चिकित्सकों द्वारा 800000 रुपए की डिमांड करते हुए बताया कि मरीज के दिल में छल्ला पड़ेगा। 3 मिनट के भीतर यदि आपने रूपयों की व्यवस्था नहीं की तो इलाज के अभाव में मोहन स्वरूप भारद्वाज की मौत हो जाएगी।

यह सुनते ही मोहन स्वरूप का भाई और उनकी पत्नी बुरी तरह से हड़बड़ा गए और बोले कि हमारे पास केवल 200000 रुपए है। अभी अस्पताल प्रबंधन उन्हें हड़काने में लगा ही हुआ था कि इसी दौरान मोहन स्वरूप के बीमार होने की जानकारी पाकर उनका मित्र मनोज कुमार मौके पर पहुंच गया और उसने हालत देखने के बाद कहा कि इन्हें हार्ट की कोई परेशानी नहीं है। निश्चित रूप से उनके पेट में गैस बनने की वजह से परेशानी हो गई है।

मनोज की यह बात सुनकर जब मोहन स्वरूप का भाई और पत्नी अस्पताल से उन्हें डिस्चार्ज कराने लगे तो आरोप है कि दोनों डॉक्टर तथा नर्सिंग स्टाफ उनके साथ बदतमीजी करते हुए लड़ाई झगड़ा एवं मारपीट पर उतारू हो गया। किसी तरह मोहन स्वरूप का भाई और पत्नी उन्हें डिस्चार्ज कराकर रात में ही ग्लोबल हॉस्पिटल में डॉक्टर दीपक अग्रवाल के यहां ले गए।

जहां चिकित्सक द्वारा जांच पड़ताल के बाद मरीज को दवाइयां लिख दी गई और तीन इंजेक्शन दे दिए गए। दवाओं की कीमत केवल 125 थी। मोहन स्वरूप भारद्वाज का कहना है कि 125 रुपए की दवाई खाने के बाद 2 घंटे के भीतर कि उन्हें राहत मिल गई और वह उसी दिन सवेरे 5:00 बजे अपने घर आ गए।

मरीज का कहना है कि यदि मेरे दिल में छल्ला डाल दिया जाता तो निश्चित रूप से डॉक्टरों द्वारा मेरी जिंदगी खराब कर दी गई थी। इस बाबत मोहन स्वरूप भारद्वाज ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को एक शिकायती चिट्ठी बेचकर मामले की जांच पड़ताल करते हुए कार्यवाही की डिमांड की है। मुख्यमंत्री दफ्तर की ओर से अब इस बाबत पुलिस आयुक्त लखनऊ को मामले की जांच कार्यवाही के निर्देश दिए गए हैं।

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