लॉकडाउन में बेहाल हुए मजदूरों की जिंदगी चल रही है मदद और उधार पर

कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर को थामने के लिए लागू किए गए लाॅकडाउन को लागू हुए 1 महीने से अधिक का समय हो गया है।

Update: 2021-05-23 13:17 GMT

नई दिल्ली। कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर को थामने के लिए लागू किए गए लाॅकडाउन को लागू हुए 1 महीने से अधिक का समय हो गया है। लॉकडाउन की पाबंदियों से जहां बड़े कारोबारी परेशान है , वहीं मजदूर व छोटे कामगारों को लॉकडाउन की पाबंदियों ने बुरी तरह से बेहाल कर दिया है। रोजाना दिहाड़ी कमाने वाले लोगों को अब उधार और सामाजिक संस्थाओं की मदद पर जिंदगी की गाड़ी चलानी पड़ रही है।

कोरोना संक्रमण की रोकथाम के लिए राजधानी में लगाए गए लॉकडाउन के बीमारी के लिहाज से परिणाम सुखद मिल रहे हैं। सड़कों पर घूमने और बाजारों के खोलने पर लगाई गई पाबंदियों से कोरोना के वायरस को लोगों के घर-घर तक पहुंचने का मौका नहीं मिल रहा है। जिससे उसका बोरिया बिस्तर बंधने लगा है। संक्रमण की चपेट में आए लोगों के स्वस्थ होने के मामले भी तेजी के साथ बढ़ रहे हैं। एक तरह से सरकार ने कोरोना की रफ्तार को थामने की चारों तरफ से नाकेबंदी कर रखी है। जिसके चलते राजधानी के बाजारों में पूरी तरह से सन्नाटा पसरा हुआ है। सड़कों पर सामान्य दिनों में रहने वाली वाहनों व लोगों की रेलमपेल माहौल से पूरी तरह से गायब है।

कोरोना की वजह से लगाये गये लाॅकडाउन की मार रोजाना मेहनत मजदूरी करके कमाने वाले लोगों के साथ एक निश्चित राशि हर महीने पाने वाले लोगों पर बुरी पड़ रही है। कमाकर जोड़े गए रुपए समाप्त हो जाने के बाद अब मजदूर व गरीब तबके के लोगों की जिंदगी उधार और संपन्न लोगों व सामाजिक संस्थाओं की मदद के सहारे चल रही है। आर्थिक तंगी का झंझावातों से जूझते हुए जब आज का दिन किसी तरह दिन कट जाता है तो रात को फिर से अगले दिन की चिंता रोजाना खाने कमाने वाले लोगों को सताने लगती है। महिलाएं भी घरों में बुरी तरह से आहत हैं।

उन्हें भी कदम कदम पर आर्थिक तंगी के कारण सामान खत्म होने की दुश्वारियां झेलनी पड़ रही। लॉकडाउन व कोरोना के कारण लोग अपने घरों में भी काम नहीं करा रहे हैं। जिससे लोगों के छोटे मोटे काम धंधे ठप गए हैं। दुकानदारों का भी कुछ ऐसा ही बुरा हाल है जो लॉकडाउन के खुलने का इंतजार कर रहे हैं। कोरोना संक्रमण के मामले कम होने की जितनी खुशी सरकार को हो रही है। उससे ज्यादा खुशी काम धंधे की तलाश में बैठे लोगों को हो रही है। मजदूर तबके के लोगों का कहना है कि कोरोना की रफ्तार पूरी तरह से थम जाए तो उनकी रोजी-रोटी का जुगाड़ हो सके।

Tags:    

Similar News